बाजार नियामक सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के प्रायोजकों व ट्रस्टियों की भूमिका, पात्रता के मानदंडों और कार्यों की जांच के लिए दो अलग-अलग विशेषज्ञ समूह का गठन किया है।
प्रवर्तक की तरह ही प्रायोजक होते हैं, जो एएमसी के गठन के लिए पूंजी लाते हैं, वहीं ट्रस्टी की भूमिका निगरानीि की होती है और उन्हें निवेशकों के हितों के संरक्षण का काम सौंपा गया है।
एक विज्ञप्ति में सेबी ने कहा है कि नई कंपनियों के लिए पात्रता के वैकल्पिक मानक तय किए जा सकते हैं, अन्यथा वे प्रायोजक के तौर पर काम करने के पात्र नहीं हैं।
नियामक ने कहा, इससे म्युचुअल फंड उद्योग में न सिर्फ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा बल्कि उद्योग में विलय व अधिग्रहण के जरिये एकीकरण भी होगा। उम्मीद की जा रही है कि यह उद्योग में नई पूंजी लाएगा और नवोन्मेष को भी बढ़ावा देगा।
प्रायोजकों के लिए वर्किंग ग्रुप की अध्यक्षता आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के एमडी व सीईओ बालासुब्रमण्यन करेंगे। सेबी ने संकेत दिया है कि वह प्राइवेट इक्विटी कंपनियों को भी एएमसी गठित करने की इजाजत देने पर विचार कर रहा है।
इसमें कहा गया है कि वर्किंग ग्रुप को हितों के टकराव को रोकने के लिए तरीका खोजने का काम सौंपा गया है अगर पूल्ड इन्वेस्टमेंट व्हीकल या प्राइवेट इक्विटी प्रायोजक के तौर पर काम करे। साथ ही यह ग्रुप परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों में प्रायोजकों की तरफ से हिस्सेदारी के विनिवेश की दरकार की भी जांच करेगा, जिसके तहत अभी उसकी होल्डिंग कुल नेटवर्थ का कम से कम 40 फीसदी होना चाहिए।
इस बीच, एमएफ ट्रस्टियों पर वर्र्किंग ग्रुप की अध्यक्षता मिरे एसेट्स के स्वतंत्र ट्रस्टी मनोज वैश्य करेंगे।