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हितों के टकराव से बचने के हैं उपाय

Last Updated- December 15, 2022 | 2:43 AM IST

बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित उपाय किए हैं कि ऋण का पुनर्गठन इस प्रकार से न हो जिससे कर्जदारों और बैंक कर्मियों के बीच हितों के टकराव की स्थिति बने। बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एएस राजीव ने कहा कि बैंक ऋण पुनर्गठन के लिए आए आवेदनों का कोविड-19 परीक्षण करेगा।
राजीव ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में कहा, ‘हमारे बोर्ड ने ऋण पुनर्गठन नीति को मंजूरी दे दी है। पुनर्गठन की शक्तियां अगले उस उच्च प्राधिकारी को सौंप दी गई है जिसने आरंभ में कर्जदार के ऋण को मंजूर किया था। इससे यह सुनिश्चित हो पाएगा कि पुनर्गठन के दौरान किसी तरह के हितों का टकराव नहीं हुआ है।’
उदाहरण के लिए यदि ऋण को शाखा प्रबंधक ने मंजूरी दी है जो कि स्केल-2 का अधिकारी होता है तो पुनर्गठन के आवेदन पर कार्रवाई केवल वरिष्ठ शाखा प्रबंधक कर सकता है जो स्केल-3 का अधिकारी होता है।  
राजीव ने कहा कि बैंक ऋण पुनर्गठन के प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए शुद्ध रूप से नकद प्रवाह को एक प्रमुख मानदंड के तौर पर देख रहा है। पुणे स्थिति बैंक के मुख्य कार्यधिकारी ने कहा, ‘हमने सभी सर्वोत्तम तरीकों और प्रकियाओं को तैयार किया है। ऋण पुनर्गठन पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों पर आधारित होगा और पुनर्गठन के फायदों को आगे बढ़ाने से पूर्व हम यह सत्यापित करेंगे कि क्या वाकई में महामारी के कारण कर्जदार के कारोबार पर असर पड़ा है।’  
बैंक का अनुमान है हाल के एक दबाव परीक्षण के आधार पर 4,000 करोड़ रुपये के ऋण का पुनर्गठन किया जाएगा। जून के अंत में बैंक के लोन बुक का करीब 23 फीसदी मोहलत के अंतर्गत था जो अगस्त में घटकर 17 फीसदी रह गया।
बैंक सितंबर के पहले हफ्ते में एक और दबाव परीक्षण करेगा जिसके माध्यम से पुनर्गठित किए जाने वाले ऋण की रकम का निर्धारण किया जाएगा। राजीव ने कहा, ‘इस बीच हमने बैंक शाखाओं को कर्जदारों से संपर्क  कर उन्हें पुनर्गठन के लिए आवेदन देने को कहा है। आवेदन के साथ कर्जदारों को इस बात का सुबूत भी देना होगा कि कोविड-19 महामारी के कारण उन पर असर पड़ा है।’
बैंक का अनुमान है कि करीब 2 से 3 फीसदी खुदरा और इतने ही कॉर्पोरेट कर्जदार ऋण पुनर्गठन के विकल्प का चुनाव करेंगे। बैंक ने पहले से ही मौजूद योजना के मुताबिक ज्यादातर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) खातों के पुनर्गठन के कार्य को पूरा कर लिया है जिसकी रकम 1,200 करोड़ रुपये है और केवल करीब 200 से 300 करोड़ रुपये के और एमएसएमई ऋणों के पुनर्गठन की आवश्यकता होगी।

First Published - September 2, 2020 | 12:17 AM IST

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