वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को भारत की बैंकिंग व्यवस्था का परिदृश्य सुधारते हुए ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ कर दिया है। पूंजी की स्थिति में सुधार और संपत्ति की गुणवत्ता में स्थिरता को देखते हुए ऐसा किया गया है।
मूडीज ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी आने के बाद संपत्ति की गुणवत्ता में गिरावट आई थी और उसके इसमें सुधार आया है, साथ ही परिचालन के माहौल में सुधार से संपत्ति की गुणवत्ता को समर्थन मिलेगा। रेटिंग वाले बैंकों के समस्याग्रस्त कर्ज का स्तर वित्त वर्ष 19 के 8.5 प्रतिशत से कम होकर वित्त वर्ष 21 में 7.1 प्रतिशत रह गया है।
रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि कर्ज की लागत में गिरावट और संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के परिणामस्वरूप मुनाफे में सुधार होगा और पूंजी महामारी के पूर्व के स्तर पर बनी रहेगी।
अर्थव्यवस्था धीरे धीरे महामारी से निकल रही है, ऐसे में परिचालन का माहौल स्थिर रहेगा। वित्त वर्ष 22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.3 प्रतिशत बढ़ोतरी और उसके अगले साल 7.9 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में अगले 12 से 18 महीने तक रिकवरी जारी रहने की उम्मीद है। एजेंसी ने कहा है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी से कर्ज में वृद्धि होगी और हम उम्मीद करते हैं कि सालाना 10 प्रतिशत से 13 प्रतिशत वृद्धि होगी।
मूडीज ने कहा कि कि कॉर्पोरेट्स की कमजोर वित्तीय स्थिति और वित्तीय कंपनियों के वित्तपोषण की कमी बैंकों के लिए प्रमुख नकारात्मक वजहें थीं और इन जोखिमों में कमी आई है। कॉर्पोरेट ऋण की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इससे संकेत मिलता है कि बैंकों ने विरासत में मिली समस्याओं के लिए प्रावधान किया है।
एजेंसी ने कहा कि खुदरा ऋण की गुणवत्ता कम हुई है, लेकिन यह सीमित मात्रा में है क्योंकि बड़े पैमाने पर नौकरियां नहीं गई हैं।
पूंजी अनुपात कोविड के पहले के स्तर पर पहुंचा
सभी रेटिंग वाले बैंकों का पिछले वर्ष पूंजी अनुपात बढ़ा है क्योंकि ज्यादातर ने नए शेयर जारी किए हैं। मूडीज के आंकड़ों से पता चलता है कि रेटिंग वाले भारतीय बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात वित्त वर्ष 19 के 9.9 प्रतिशत से सुधरकर वित्त वर्ष 21 में 11.1 प्रतिशत हो गया है।
बाजार से इक्विटी पूंजी जुटाने की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की क्षमता खासकर क्रेडिट पॉजिटिव है, क्योंकि यह पूंजी के लिए सरकार पर निर्भरता कम करता है। बहरहला पूंजी में आगे और बढ़ोतरी सीमित होगी।
मुनाफा सुधरेगा
बैंकों की संपत्तियों पर मुनाफा बढ़ेगा क्योंकि कर्ज की लागत कम हो रही है, जबकि प्रमुख मुनाफा स्थिर रहेगा। अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो ब्याज से शुद्ध मुनाफा बढ़ेगा। साथ ही एजेंसी ने यह भी कहा है कि इससे बैंकों की सरकारी प्रतिभूतियों की बड़ी होल्डिंग पर नुकसान होगा।