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एनबीएफसी की संपत्ति की गुणवत्ता और गिरेगी

Last Updated- December 12, 2022 | 9:57 AM IST

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) कुछ बड़ी इकाइयों के डूबने के झटकों से उबरने की कवायद कर रही हैं, इसी तौदान कोविड-19 महामारी ने उन पर हर तरफ से बुरा असर डाला है। उनकी ओर से दिए जाने वाले कर्ज में उल्लेखनीय कमी आई है, इस क्षेत्र के खराब कर्ज के अनुपात में भी बढ़ोतरी हुई है। अब भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा गया है कि खासकर एनबीएफसी से धन लेने वाले उद्योग के क्षेत्र पर महामारी का व्यापक असर पड़ा है और उनका कारोबार बाधित हुआ है, जिसके चलते एनबीएफसी की संपत्ति की गुणवत्ता और खराब होने की उम्मीद है।
एनबीएफसी क्षेत्र के कर्ज के जोखिम की व्यवस्था के स्तर पर जांच के लिए 200 एनबीएफसी के नमूनों से पता चलता है कि ज्यादा जोखिम वाले परिदृश्य की गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) 6.8 प्रतिशत से बढ़कर 8.4 प्रतिशत हो सकती हैं, जबकि मध्य जोखिम परिदृश्य के मामले बढ़कर 6.9 प्रतिशत तक हो सकते हैं।
मार्च 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक एनबीएफसी का सकल एनपीए 6.3 प्रतिशत था, जो मार्च 2019 की तुलना में 100 आधार अंक ज्यादा है। वहीं 2019-20 के दौरान एनबीएफसी द्वारा दिया गया कर्ज 4.4 प्रतिशत बढ़ा, जबकि 2018-19 में यह 22 प्रतिशत बढ़ा था। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने कहा है कि व्यक्तिगत एनबीएफसी स्तर पर दबाव का परीक्षण संकेत देता है कि बेसलाइन, मध्य और उच्च जोखिम परिदृश्य में सीआरएआर 3.3 प्रतिशत, 9.7 प्रतिशत और 10.3 प्रतिशत है, जो न्यूनतम नियामकीय जरूरतों से नीचे है।

First Published - January 12, 2021 | 12:00 AM IST

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