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मौजूदा मंदी से घबराने की जरूरत नहीं

Last Updated- December 07, 2022 | 3:43 AM IST

नैना लाल किदवई (एचएसबीसी इंडिया की ग्रुप जनरल मैनेजर और कंट्री हेड),को नही लगता है कि मौजूदा मंदी से बहुत ज्यादा खौफ खाया जाए।


बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत के दौरान उनका कहना था किमौजूदा हालातों में भी बेहतर प्रदर्शन करने के पूरे अवसर हैं।

मौजूदा मंदी को आप किस प्रकार देख रही हैं कि यह किस प्रकार आपको प्रभावित कर रहा है?

हमें इस मंदी से कोई डर नही लग रहा हैक्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर खासी अच्छी है। हमारी रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल के विकास दर 9 फीसदी के मुकाबले इस साल विकास दर 8.5 फीसदी रहेगी। लिहाजा यह विकास दर हमारे लिए काफी है। इसके अलावा हम बिल्कुल तेजी की ओर हैं।

क्या कोई और क्षेत्र भी मंदी की मार झेल रहा है?

हां कई क्षेत्र ऐसे हैं जिन्हें मंदी की मार झेलनी बाकी है। क्योंकि जिस कदर ब्याज दरें बढ़ रही हैं उसका निश्चित ही नकारात्मक असर पड़ेगा। हालांकि पैसे की मांग बराबर बनी हुई है,बस दरकार है कि कैपिटल मार्केट में इसके इस्तेमाल के सूखे से निपटारे की।

खासकर एक्सटरनल कर्मशियल बॉरोइंग(ईसीबी)के द्वारा हालिया बदलावों से कंपनियों के लिए फंड जुटाने के लिए नए द्वार खुलेंगे क्योंकि अंडरलाइंग डिमांड अभी भी अस्तित्व में है। हालांकि जहां कहीं भी कर्ज वाली समस्याएं हैं,वहां समस्या पर पाना थोड़ा मुश्किल है।

रिटेल बैंकिंग का कैसा प्रदर्शन रहा है,खासकर डेलिंक्वेंसी रेट जिस कदर बढ़ रहा है,उससे बैंकों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?

हां,यह बात तो है कि डेलिंक्वेंसी रेट में खासा इजाफा हो रहा है।लेकिन हमारे लिए यह चिंता की बात नही है क्योंकि हम न तो गाड़ियों वाले कारोबार में हैं और न ही कंज्यूमर फाइनेंस सेगमेंट में कोई कारोबार हमारा है। हालांकि हमारे एड्वांसेज और एनपीए में इजाफा हुआ है,लेकिन कई ऐसे सेगमेंट हैं जो हमें खासा मुनाफा दे रहे हैं।

बैंक में आप और कितनी पूंजी का निवेश करने जा रही हैं?

हमारे ग्रुप ने हमें अपने मुनाफे को बरकरार रखने की अनुमति दे रखी है और हम अच्छा मुनाफा दे भी रहे हैं। हमारा पूंजी पर्याप्तता अनुपात भी बढ़िया है। लिहाजा,हमें जब कभी पूंजी की दरकार होगी हम जरुर निवेश करेंगे।

क्या आप आईडीआर(इंडिया डिपॉजिटरी रेसिप्ट)इश्यू पर भी विचार करेंगीं?

आईडीआर के जरिए हम बाहर या देश के अंदर दोनो जगहों पर फंड की ऊगाही कर सकते हैं। लेकिन इस वक्त हम इस पर ध्यान नही दे रहे क्योंकि ऐसा कतई नही है कि नए इंस्ट्रूमेंट हमेशा ही काम करें।

अप्रैल 2009 के बाद की आपकी योजना क्या है?

हम अपना विकास करना जारी रखेंगे। हालांकि इस बीच रिजर्व बैंक के क्या निर्देश मिलते हैं,इसका हम इंतजार कर रहें है। हमें इस बात की पूरी उम्मीद है कि बदलाव आशाजनक ही होंगे।

अगर कोई ऐसे बदलाव नही होते तो फिर ?

हम मौजूदा नियंत्रित व्यवस्था में भी अपनी विकास गति बनाए रख सकते हैं। खासकर जिस तरह की हमारी अर्थव्यवस्था है उसमें मौजूदा स्थिति में भी विकास गति बरकरार रखी जा सकती है। लिहाजा,हम न तो इस स्थिति को लेकर परेशान ही हैं और न ही इस बात को लेकर निराश की हमारे पास क्या है और क्या नही।

First Published - June 5, 2008 | 1:06 AM IST

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