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एनपीए हो सकता है 8 प्रतिशत से ज्यादा

Last Updated- December 11, 2022 | 10:32 PM IST

अगले वर्ष सितंबर तक देश में वाणिज्यिक बैंकों के दबावग्रस्त ऋणों में 8.1 से 9.5 फीसदी के बीच वृद्घि हो सकती है। सितंबर 2021 में यह 6.9 फीसदी रही थी। वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) के मुताबिक दबावग्रस्त परिस्थितियों के बावजूद समग्र और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर बैंक पर्याप्त पूंजी के साथ ऋण संबंधी झटकों को झेलने के लिए अच्छी स्थिति में होंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक की द्विवार्षिक रिपोर्ट एफएसआर में कहा गया है कि भले ही बैंक बेहतर स्थिति में हैं लेकिन शहरी शहकारी बैंक (यूएसबी) और वित्त कंपनियां बहुत विविधतापूर्ण तस्वीर पेश करते हैं। चूंकि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और ऋण की मांग बढ़ रही है ऐसे में बैंकों को ऋण वृद्घि को मजबूती देने के लिए पर्याप्त पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पड़ेगी।
गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी) और यूएसबी को तरलता के मोर्चे पर कमजोरी को लेकर चौकन्ना रहना होगा और मजबूत संपत्ति-देनदारी प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा। यह सब उन्हें अपने ऋण पोर्टफोलियो की गुणवत्ता में सुधार लाने के अलावा करना होगा। प्रणाली के स्तर पर एनबीएफसी द्वारा वित्त की अच्छी खासी हिस्सेदारी लेने पर विचार करते हुए वित्तीय स्थिरता के हित में उनकी वित्तीय स्वास्थ्य पर लगातार ध्यान देने की जरूरत है।
वाणिज्यिक बैंकों का सकल जीएनपीए मार्च 2021 के 7.5 प्रतिशत से गिरकर सितंबर 2021 के अंत में 6.9 प्रतिशत हो गया। इसी के अनुरूप उनका शुद्ध एनपीए (एनएनपीए) अनुपात भी 10 आधार अंक गिरकर 2.3 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2021 में 2.4 प्रतिशत था।
वाणिज्यिक बैंकों का सालाना चूक अनुपात बढ़ा है, क्योंकि निजी बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में ज्यादा गिरावट आई है। बहरहाल प्रॉविजनिंग कवरेज अनुपात (पीसीआर) मार्च 2021 के 67.6 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर सितंबर 2021 में 68.1 प्रतिशत हो गया है।
उधारी लेने वालों की खराब कर्ज के प्रकार की हिस्सेदारी का हवाला देते हुुए रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएनपीए में बड़े उधारी लेने वाले मार्च 2020 के 75.9 प्रतिशत की तुलना में सितंबर 2021 में घटकर 62.1 प्रतिशत रह गए हैं।
सेक्टर के हिसाब से देखें तो व्यक्तिगत कर्ज में जीएनपीए का अनुपात 6 महीने पहले और एक साल पहले के स्तर की तुलना में बढ़ा है। यह गिरावट आवास और वाहन ऋण के मामले में आई  है। औद्योगिक क्षेत्र के जीएनपीए अनुपात में गिरावट जारी है। बहरहाल कुछ उप क्षेत्रों जैसे खाद्य प्रसंस्करण, केमिकल और इन्फ्रास्ट्रक्चर (बिजली को छोड़कर) में मार्च 2021 के स्तर से बढ़ोतरी हुई है।
एफएसआर में कहा गया है कि इकाइयों द्वारा पुनर्गठन कोविड-19 की दूसरी लहर से प्रभावित हुआ है। समाधान ढांचे (आरएफ) 2.0 के तहत सितंबर 2021 के अंत तक कुल एडवांस के 1.5 प्रतिशत का पुनर्गठन हुआ, जिसमें उधारी खाते के 81.7 प्रतिशत खाते शामिल थे, जहां योजना के तहत पुनर्गठन किया गया।
एमएसएमई और खुदरा कर्ज के मामले में इस सेक्टर के कुल एडवांस की तुलना में 2.4 प्रतिशत का पुनर्गठन हुआ और इसमें 80.0 प्रतिशत उधारी खाते शामिल थे। पुनर्गठन को लेकर साफ तस्वीर आरएफ 2.0 लागू होने के बाद सामने आ सकेगी, जिसकी अवधि 31 दिसंबर, 2021 को खत्म हो रही है।

First Published - December 29, 2021 | 11:37 PM IST

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