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हमारी भविष्य की कार्रवाइयां महंगाई दर और वृद्धि के गणित पर निर्भर

Last Updated- December 11, 2022 | 6:25 PM IST

मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नरों माइकल पात्र, राजेश्वर राव और टी रविशंकर ने विभिन्न मसलों पर संवाददाताओं से बात की। प्रमुख अंश…

वित्त वर्ष 23 में 6.7 प्रतिशत महंगाई दर रहने का अनुमान लगाया गया है। क्या रिजर्व बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरें बढ़ाएगा?
दासः हमारी भविष्य की कार्रवाइयां महंगाई और वृद्धि दर की गणित पर निर्भर होंगी। स्थिति तेजी से बदल रही है और यह इस पर निर्भर करेगा कि किस तरह की स्थिति पैदा होती है।
 
आपने संकेत दिए कि महंगाई दर दिसंबर तक 6 प्रतिशत से ऊपर रहेगी। पूरे साल 2 से 6 प्रतिशत के बीच महंगाई दर रखने के लक्ष्य में आप विफल रहेंगे। ऐसे में आप किन प्रक्रियाओं का पालन करेंगे?
दासः अत्यधिक अनिश्चित स्थितियों में हमारे पास बहुत ज्यादा अनिश्चित परिदृश्य होता है औऱ भविष्य के दिशानिर्देश उपलब्ध करा पाना मुश्किल होता है। महंगाई के लक्ष्य के ढांचे के टूटने को लेकर हम स्थिति के मुताबिक काम कर रहे हैं। स्थिति गतिशील है, ऐसे में मैं किसी चीज के बारे में अनुमान नहीं लगा सकता।
कानून बहुत साफ है। हम उसके मुताबिक काम करेंगे।
 
आपने भाषण में कहा कि आप सामान्य मौद्रिक स्थितियों को लेकर प्रतिबद्ध हैं। रीपो रेट के हिसाब से ‘सामान्य’ से आपका क्या मतलब है?
अगर रिजर्व बैंक सामान्य स्थितियों में रिजर्व बैंक का कामकाज देखते हैं और 2020 के नकदी ढांचे की स्थिति देखेंगे तो यह ओवरनाइट दरों से जुड़ा है। अहम चीज नकदी की मात्रा  किसी चीज का नहीं है। हम सभी का कहना है कि ओवरनाइटस रेट्स रीपो रेट से जोड़ दिया जाता है। इस समय भी ओवरनाइट रेट, रीपो रेट से कम है। यह एसडीएफ रेट के नजदीक है। इसलिए प्राथमिक रूप से सामान्य स्थिति यह होगी कि जब ओवरनाइट रेट, जिसे मनी मार्केट रेट कहते हैं, नीतिगत रीपो रेट से जुड़ी हुई हो।
 
आप रियल, पॉजिटिव रेट की गणना कैसे करेंगे?
पात्रः रियल रेट हमेशा आगे की स्थिति के मुताबिक होती है जैसा कि शेष मौद्रिक नीति होती है। हम भविष्य में कभी महंगाई दर के अनुमान के बारे में विचार करेंगे, जिसके मुताबिक मौद्रिक नीति काम करती है और उसके बाद रियल रेट की गणना करेंगे।
 
आपने कहा है कि असाधारण नकदी की स्थिति कई साल की अवधि के दौरान वापस ली जाएगी। वहीं कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नकदी की स्थिति साल के अंत तक सामान्य हो जाएगी?
दासः हमने जीएसएपी रोककर पिछले साल नकदी वापस लेना शुरू किया है। हमने वीआरआरआर भी पेश किया है। इस साल भी हमने कदम उठाए हैं। मई की पॉलिसी में हमने सीआरआर बढ़ाया है। मल्टीलेयर चक्र का निश्चित रूप से मतलब 2-3 साल के चक्र से है। हम इस बहुत ज्यादा अनिश्चित स्थिति में संदेश देने की कवायद कर रहे हैं कि हम कुछ भी अचानक, व्यवधान के रूप में या जटिल तरीके से चालू वित्त वर्ष में ऐसा कुछ करने नहीं जा रहे हैं।
 
आपने अपने महंगाई दर के अनुमान में दरों की कार्रवाई को शामिल नहीं किया है। जब इसे शामिल कर लिया जाएगा तो परिदृश्य कैसे बदलेगा?
दासः हर कार्रवाई को लागू करने में दिक्कत होती है। आदर्श रूप से पूरी रह से मौद्रिक नीति कार्रवाई लागू होने में 6 से 8 महीने वक्त लग जाता है।
 
सरकार की उधारी योजना के प्रबंधन कार्यक्रम में तरजीही कदम क्या होगा?
दासः हम जीसेक बाजार की निगरानी नजदीक  से कर रहे हैं। तरजीही कदम उस समय की स्थिति के मुताबिक होगी।
 
उधारी के मामले में पारेषण बहुत बेहतर है। लेकिन जमा के मामले में यह बहुत प्रभावी नहीं है?
दासः सामान्यतया पारेषण में वक्त लगता है। हमने अभी एक महीने पहले दरों में बढ़ोतरी की है।  इसका असर नजर आने में करीब 2 से 3 महीने लगेंगे।

First Published - June 9, 2022 | 12:53 AM IST

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