भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) अब भारतीय रिजर्व बैंक के पास पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो आईआरसीटीसी भुगतान के क्षेत्र में प्रवेश कर सकता है, जिसके पास 10 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं का सबसे बड़ा आंकड़ा उपलब्ध है।
भारतीय रेल की टिकट बुकिंग इकाई ने कंपनी रजिस्ट्रार, एनसीटी, दिल्ली, और हरियाणा से मेमोरेंडम आफ एसोसिएशन के मुख्य उद्देश्य खंड में बदलाव करने और पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए एक नया खंड शामिल करने हेतु मंजूरी हासिल कर ली है।
यह फैसला कंपनी की हाल की सालाना आम बैठक (एजीएम) में लिया गया। यह शेयरधारकों द्वारा विशेष प्रस्ताव पारित करके किया गया। आईआरसीटीसी इस समय एक इनहाउस पेमेंट गेटवे है, जिसे आई-पे कहा जाता है। इसमें आईआरसीटीसी की वेबसाइट और मोबाइल ऐप्लीकेशन के माध्यम से पैकेज और टिकट की बुकिंग के लिए लेन-देन होता है। रिजर्व बैंक के पास आवेदन की प्रक्रिया के लिए रेल मंत्रालय से भी मंजूरी लेने की जरूरत पड़ सकती है। सूत्रों ने कहा कि इसमें कोई समस्या नहीं आएगी और यह तेजी से कर लिया जाएगा।
पेमेंट ऐंड सिस्टम सेटलमेंट ऐक्ट के तहत रिजर्व बैंक द्वारा गैर बैंक भुगतान एग्रीगेटरों को अधिकृत किया जाना अनिवार्य है, तभी वे कामकाज कर सकते हैं। रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के मुताबिक पेमेंट एग्रीगेटरों के पास मार्च 2021 तक 15 करोड़ रुपये और मार्च 2023 तक 25 करोड़ रुपये की कुल पूंजी होनी चाहिए। उन्हें उसके बाद हमेशा 25 करोड़ रुपये पूंजी बनाए रखनी होगी।
मौजूदा आई-पे प्लेटफॉर्म से टिकटों की बुकिंग की अनुमति है, जबकि इसे पेमेंट एग्रीगेटर बनाए जाने के बाद इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अन्य भुगतान सेवाओं जैसे उपयोग बिल, शुल्क और नगर निगमों के कर भुगतान भी भारत बिल पेमेंट सिस्टम के दिशानिर्देशों के तहत हो सकेगा।