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डिजिटल करेंसी पर सतर्कता से कदम बढ़ा रहा आरबीआई

Last Updated- December 11, 2022 | 9:20 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि वह सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) की पेशकश को लेकर कोई समयसीमा नहींं बता सकते, लेकिन यह बजट में की गई घोषणा के मुताबिक वित्त वर्ष 23 में पेश हो जाएगा। डिजिटल करेंसी जारी करने की खातिर जब सरकार आरबीआई अधिनियम में संशोधन कर देगी तब केंद्रीय बैंक इसकी पायलट परियोजना शुरू करेगा।
गवर्नर ने हालांकि कहा कि आरबीआई किसी हड़बड़ी में डिजिटल करेंसी जारी नहींं कर सकता और खास तौर से साइबर सुरक्षा के जोखिम को देखते हुए इस पर सतर्कता से कदम बढ़ा रहा है।
नीतिगत बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में गवर्नर दास ने कहा, हम हड़बड़ी में नहीं हैं, ऐसे में साइबर सुरक्षा के जोखिम को देखते हुए हम सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रहे हैं। यह नया उत्पाद है और सभी वैश्विक केंद्रीय बैंक इस मसले पर सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
इस साल के आम बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि ब्लॉकचेन व अन्य तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए आरबीआई वित्त वर्ष 23 में डिजिटल रुपया जारी करेगा ताकि डिजिटल इकॉनमी को मजबूती दी जा सके। सरकार ने आरबीआई अधिनियम की धारा 2 व 22 में संशोधन करने की बात कही है ताकि स्पष्ट हो जाए कि सीबीडीसी यानी डिजिटल रुपया भी बैंंक नोट के समान माना जाएगा।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा, हम पिछले 18-24 महीने से डिजिटल रुपये पर काम कर रहे हैं। इस साल के बजट में प्रस्ताव रखा गया है कि आरबीआई अधिनियम में संशोधन किया जाएगा ताकि आरबीआई डिजिटल रुपया जारी करने में सक्षम हो। जब संशधन हो जाएगा तब हम पायलट परियोजना जारी करेंगे।
पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में शंकर ने सूचित किया था कि आरबीआई विभिन्न तरह के सीबीडीसी पर काम कर रहा है, जिसमें से एक थोक खाते पर आधारित है जबकि दूसरा खुदरा खाते पर आधारित। गुरुवार को शंकर ने दोहराया कि वे सभी मॉडल (थोक व खुदरा सीबीडीसी) पर काम कर रहे हैं।
सीबीडीसी अनिवार्य तौर पर वर्चुअल करेंसी है, लेकिन यह केंद्रीय बैंंक जारी करेगा और उसकी सॉवरिन बैकिंग होगी। डिजिटल रुपया, सामान्य रुपये की तरह ही होगा और इसे सामान्य रुपये में बदला भी जा सकेगा पर यह डिजिटल फॉर्मेट में होगा। शंकर ने कहा, डिजिटल रुपया आरबीआई जारी करेगा और यह आरबीआई का दायित्व भी होगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि सीबीडीसी जमाकर्ताओं का बैंकों में एक्सपोजर कम कर देगा और संस्थानों के लिए भी सेटलमेंट डिफॉल्ट का जोखिम भी घटा देगा। इसके अलावा सीबीडीसी में सीमापार भुगतान की लागत कम करने की भी क्षमता होगी।
ई-रुपी की सीमा बढ़ी
आरबीआई ने गुरुवार को ई-रुपी वाउचर की सीमा मौजूदा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया ताकि ऐसे वाउचर के इस्तेमाल की गुंजाइश बढ़े और विभिन्न सरकारी सेवाओं की तेज गति से डिलिवरी लाभार्थियों तक हो जाएगा। आरबीआई ने कहा है कि ई-रुपी का इस्तेमाल कई बार हो सकता है और तब तक जबतक कि यह वाउचर की रकम पूरी तरह से खत्म न हो जाए।

First Published - February 10, 2022 | 11:20 PM IST

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