भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज निर्यातकों के लिए प्रक्रियाओं को आसान करने वाले उपायों की घोषणा की है। रिजर्व बैंक के इस कदम से व्यापारियों को ऐसे समय पर थोड़ी राहत मिलेगी जब बड़े बाजारों में कोविड के कारण नए सिरे से लॉकडाउन लगाए जाने से निर्यात के लिए मुश्किल खड़ी हो रही है।
निर्यातकों ने कहा कि रिजर्व बैंक के इन उपायों से लेनदेन में लगने वाले समय में कमी आएगी और उनकी पेरशानी कम होगी लेकिन रिजर्व बैंक को तीसरे देशों से भुगतान जैसी प्रारंभिक मुद्दों का भी हल निकालना चाहिए था।
फिलहाल कुछ प्रक्रियाओं की केंद्रीय बैंक से मंजूरी लेनी पड़ती है। रिजर्व बैंक ने आज उन नियमों को हटा दिया और बैंकों को अपने स्तर से निर्णय लेने की अनुमति दे दी। उदाहरण के लिए बैंक अब उन मामलों में निर्यातों को नियमित कर सकते हैं जिनमें प्राप्तियां मिल गई हों। फिलहाल बैंक ऐसा 10 लाख डॉलर तक के निर्यातों के मामलों में करते हैं। इस सीमा से ऊपर जाने पर यह काम रिजर्व बैंक करता है। इन मामलों में दस्तावेज सीधे निर्यातकों से खरीदारों के पास भेज दिए जाते हैं।
इस कदम को स्पष्ट करते हुए निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा कोविड के दौरान बहुत सारे निर्यातकों ने सीधे खरीदारों के पास दस्तावेज भेज दिए। दर्जा प्राप्त निर्यातकों को खरीदारों के पास सीधे दस्तावेज भेजने की अनुमति मिली हुई है लेकिन बाकी को इसकी अनुमति केवल केवल उसी सूरत में दी जाती है जब अग्रिम भुगतान हुआ हो।
कोविड के समय में कुरियर सेवा एक बड़ी चुनौती बन गई थी। लिहाजा, बहुत सारे निर्यातकों ने डिजिटल माध्यम से दस्तावेज भेज दिए हैं और निर्यातकों ने भुगतान कर दिया है।
सहाय ने कहा, ‘ऐसे में यह तार्किक है कि जब देश को भुगतान मिल गया है तो बैंक को निर्यातों को नियमित कर देना चाहिए। यह एक व्यवहारिक कदम है।’
रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामलों में बिना किसी सीमा के निर्यात बिलों को बट्टे खाते में डालने की अनुमति भ्भी दे दी है जिनमें विदेशी आयातकों को दिवालिया घोषित कर दिया गया है या सीमा शुल्क विभाग या विदेश में अन्य प्राधिकारियों ने सामानों को नष्ट कर दिया है।
सहाय ने कहा कि फिलहाल बट्टे खाते में डालने की सुविधा सामान्य निर्यातकों के लिए उनके निर्यात मूल्य के 5 फीसदी तक और दर्जा प्राप्त निर्यातकों के लिए 10 फीसदी तक है। इससे ऊपर के लिए फिलहाल मंजूरी के लिए मामले को रिजर्व बैंक के पास भेजना होता है।