भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को क्रिप्टोकरेंसी पर अपना रुख साफ कर दिया। केंद्रीय बैंक ने कहा, ऐसी परिसंपत्ति को लेकर उसे चिंता है और वर्चुअल करेंसी के इस्तेमाल पर अपने पुराने रुख को एक बार फिर दोहराया। आरबीआई ने अपना रुख और ऐसी परिसंपत्ति को लेकर अपनी चिंता से केंद्र सरकार को अवगत करा दिया है। मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, आरबीआई के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हमेंं चिंता है, जिसके बारे में सरकार को बता दिया गया है। निवेशक खुद अपने स्तर पर जांच परख करें।
इस हफ्ते आरबीआई ने इस संबंध में एक परिपत्र जारी कर स्पष्ट किया था कि बैंक क्रिप्टोकरेंसी की पेशकश न करने को लेकर उसके परिपत्र का हवाला न दें। लेकिन कहा कि लेनदार को स्थानीय नियमों का पालन करना चाहिए। कई निजी बैंकों ने अपने ग्राहकोंं को ईमेल भेजकर वर्चुअल करेंसी में सौदेबाजी पर सतर्क किया है और इसके लिए आरबीआई के साल 2018 के परिपत्र का हवाला दिया है।
केंद्रीय बैंेंक ने 6 अप्रैल, 2018 के परिपत्र में बैंकोंं को क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन या इस संबंध में ग्राहकोंं को किसी तरह की पेशकश से रोक दिया था। इस परिपत्र को सर्वोच्च न्यायालय मेंं चुनौती दी गई, जिसने 4 मार्च, 2020 को इस परिपत्र को दरकिनार कर दिया था। गवर्नर ने कहा, आपको पता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के 2018 के परिपत्र को दरकिनार कर दिया था, लेकिन हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कुछ बैंक अपने ग्राहकों को लिखे पत्र में इस परिपत्र का हवाला दे रहे हैं। ऐसे में हमें इस बारे में स्पष्टीकरण देना पड़ा कि इस परिपत्र का हवाला देना सही नहीं है। इस हफ्ते आरबीआई का स्पष्टीकरण आने के बाद एचडीएफसी बैंक ने ग्राहकों को भेजे अपने पूर्व संदेश को वापस लिया, जिसमें ऐसी वर्चुअल मुद्रा में लेनदेन को लेकर सतर्क किया गया था।
खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर अतुल पांडे ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आरबीआई के परिपत्र के दरकिनार किया है, ऐसे में आरबीआई औपचारिक तौर पर कोई अतिरिक्त अधिसूचना जारी नहीं कर सकता, जो इस फैसले के खिलाफ जाए। हालांकि आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी चिंता एक बार फिर सामने रख दी है।
स्पाइस रूट लीगल के पार्टनर मैथ्यू चाको ने कहा, आरबीआई एक बार फिर सलाह दे रहा है न कि उसकी पाबंदी पर कुछ कह रहा है।
केंद्र सरकार ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी पर अपना रुख साफ नहीं किया है बल्कि इस पर वह विवादास्पद संकेत दे रहा है, जिसके कारण भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को कई साल से बंद होने का डर सता रहा है।
पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन विश्वास पटेल ने कहा, बेहतर कार्यशैली के अनुपालन के लिए हमने सभी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के लिए एसआरओ का गठन किया है। मुझे लगता है कि सरकार इस पर अस्पष्टता दूर करे और कानून बनाए। अब गेंद सरकार के पाले में है और वह उभरते हुए क्षेत्र को विनियमित करे क्योंकि अभी करीब 1.5 करोड़ भारतीयों के पास क्रिप्टोकरेंसी में निवेश है।