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रिजर्व बैंक रक्षात्मक, बॉन्ड बाजार में जोश

Last Updated- December 12, 2022 | 6:12 AM IST

दिल्ली और मुंबई सहित देश के कई इलाकों में आंशिक लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद बॉन्ड बाजार का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक आने वाले लंबे समय में दरों या समावेशी स्थिति में बदलाव नहीं करेगा।
इस समय महामारी तेजी से बढ़ रही है और रोजाना संक्रमण के आंकड़े एक लाख के रिकॉर्ड पर पहुंच गए हैं और ऐसे  में लॉकडाउन की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में दरों में कटौती की उम्मीद भी निवेशकों के मन में बन रही है। लेकिन बुधवार की नीति में इसकी घोषणा होने की संभावना नहीं है।
बहरहाल इस बात की संभावना है कि लंबे समय तक यथास्थिति बनाए रखने के साथ नकदी डाली जाएगी, जिसकी वजह से पहले से ही बॉन्ड बाजार ने खुशियां मनानी शुरू कर दी है। वित्त वर्ष की शुरुआत से दो कारोबारी सत्रों में 10 साल के बॉन्डों का प्रतिफल 6 आधार अंक गिरा है। मंगलवार को यह 6.122 प्रतिशत पर बंद हुआ, जो पहले की बंदी के बराबर ही है। प्रतिफल में गिरावट विकसित बाजारों में प्रतिफल कम होने की तर्ज पर और तेल की कीमतों में गिरावट के अनुरूप है। इसकी वजह से केंद्रीय बैंक पर दबाव भी कुछ हद तक कम होगा।
जन एसबीएफ के ट्रेजरी प्रमुख गोपाल त्रिपाठी ने कहा, ‘मार्च में बाजार की जो स्थिति थी, उसकी तुलना में अब बाजार धारणा बहुत अच्छी है। वृद्धि के आंकड़ों में कोविड संक्रमण में आई तेजी का असर अभी देखा जाना है, लेकिन लॉकडाउन का मतलब यह होगा कि रिजर्व बैंक के सावधानी से काम करेगा। और यह बॉन्ड बाजार के लिए अच्छा है।’
बोफा सिक्योरिटीज ने मंगलवार को कहा कि अगर एक महीने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन होता है तो इससे जीडीपी 1 से 2 प्रतिशत नीचे जाएगी। बॉन्ड रक्षात्मक निवेश रहे हैं, और जब अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत होते हैं तो इनका प्रदर्शन बेहतर होता है।
बॉन्ड बाजार स्वाभाविक ररूप से प्रतिफल में बदलाव करता दिख रहा है, ऐसे में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के पास नीतिगत स्तर पर इस बाजार में हस्तक्षेप की कम ही वजह है, जैसा कि उन्होंने पहले भी किा है।
साथ ही ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) कैलेंडर में बदलाव की संभावना भी अब कम है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने पहले ही निर्देश दिए हैं कि इस वित्त वर्ष में ओएमओ या द्वितीयक बाजार से खरीदारी कम से कम 3 लाख करोड़ रुपये की होगी। इससे बाजार को पहले ही बड़ी राहत मिल चुकी है और अब वे आक्रामक के बजाय ज्यादा ही सहयोगी हैं, जैसा कि दास ने एक बार उनसे ऐसा होने का अनुरोध किया था।
आरबीएल बैंक के घरेलू बाजारों के प्रमुख आनंद बागड़ी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के गवर्नर के आश्वासन के बाद बाजार 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये के ओएमओ की उम्मीद कर रहा है। लेकिन बाजार पॉलिसी में ओएमओ कैलेंडर रखा जाना पसंद करेगा।’
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में एसोसिएट डायरेक्टर सौम्यजीत नियोगी ने कहा, ‘कोविड मामलों के कारण नए सिरे से अनिश्चितता पैदा होने से मौद्रिक नीति सरल किए जाने की उम्मीद को बल मिल रहा है, हालांकि यह जरूरी नहीं कि ऐसा नीतिगत दरों में कटौती करके किया जाए।’

First Published - April 6, 2021 | 11:38 PM IST

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