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रिवर्स मार्गेज ने नहीं लुभाया बुजुर्गों को

Last Updated- December 07, 2022 | 2:01 AM IST

पिछले कुछ सालों से रिवर्स मार्टगेज(आरएम)का प्रचार जोर शोर से हुआ है। इसके माध्यम से किसी बुजुर्ग को अपने मकान का मूल्यांकन पता लगता है।


केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पिछले दो आम बजट में इसका खास उल्लेख भी किया। पिछले आम बजट 2008-09 में आरएम के जरिए प्राप्त आय को आयकर के दायरे से बाहर रखा गया है।

हालांकि बड़ी संख्या में बैंकों और नान बैंकिंग फाइनेंशियल संस्थाओं(एनबीएफसीएस) ने भी इसकी शुरुआत की, लेकिन अब तक इसका नतीजा बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऋणदाताओं द्वारा इसे अच्छी तरह से न बेचा जाना इसका प्रमुख कारण है। इसके अलावा प्रॉपर्टी मूल्यांकन, रख-रखाव और रीपोजेशन को लेकर भी बहुत कुछ साफ नहीं है।

नेशनल हाउसिंग बैंक(एनएचबी) के कार्यकारी निदेशक आरवी वर्मा ने बताया कि इसमें मूल्यांकन ही प्रमुख समस्या है, क्योंकि इसके नार्म्स साफ नहीं हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के जनरल मैनेजर, रिटेल, नंदन श्रीवास्तव ने बताया कि आरएम के लोकप्रिय न होने की प्रमुख वजह यह भी है कि कई वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से अधिक लाभ नहीं कमाना चाहते। वे बैंकों के पास नहीं आ रहे हैं। इसके बाद भी उन्होंने अपनी शाखाओं को लक्ष्य दिया है।

फाइनेंशियल कंपनियों की रणनीतिक सलाहकार फर्म सेलेंट के वरिष्ठ सलाहकार रवि नवल ने रिवर्स मार्टगेज मार्केट: अर्ली डेज इन इंडिया शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसके अनुसार प्रॉपर्टी के हाई वेल्यूएशन के कारण ही आरएम पर कम रिस्पांस मिल रहा है। इसने मकान मालिकों को एक ओर एक ही बार में अपनी संपत्ति की बिक्री कर ऊंचा रिटर्न हासिल करने का विकल्प दिया है।

तो दूसरी ओर यह टुकड़ों में भोजन लेने जैसा है जिसकी प्रक्रिया अस्पष्ट और बोझिल है। नवल कहते हैं कि उन्हें अगले पांच सालों में प्रॉपर्टी बाजार के स्थाई रहने की उम्मीद है। इसके बाद ही आरएम बाजार अपने लक्षित क्लाइंट्स के मध्य उम्मीदों के अनुसार कारोबार कर सकेगा। अगर आज कोई इसे चुनता है तो भी इसकी संख्या उत्साहवर्धक नहीं है। ऊंची ब्याज दर और कम मूल्यांकन इसकी प्रमुख वजह है।

उदाहरण: 10 लाख की किसी संपत्ति पर यूनियन बैंक 10 प्रतिशत सालाना ब्याज दर पर 15 साल तक प्रतिमाह 1,689 रुपये देगा। (यहां संपत्ति का वास्तविक मूल्यांकन 13 लाख रुपये होता हैं। बैंक इसे 30 प्रतिशत घटा देता है)सबसे पहले इसे प्रारंभ करने वाली कंपनी दीवान हाउसिंग इसी प्रॉपर्टी पर 12 प्रतिशत की दर से 2,050 रुपये 15 साल तक देगा।

यहां तक की देश की सबसे बड़ी बैंक एसबीआई भी प्रॉपर्टी पर प्रति लाख 10.75 प्रतिशत की दर से 225 रुपये ही दे रहा है। एसबीआई अधिकतम 1 करोड़ की प्रॉपर्टी पर 22,500 रुपये प्रतिमाह ही देता है। एसबीआई भी प्रॉपर्टी वेल्यू का 90 प्रतिशत ही देता है। इसके साथ अपने घर का कर चुकाने और नियमित मैंटेनेंस का भार भी सीनियर सिटीजन पर ही डाल दिया जाता है। कुछ स्थिति में यह काफी अधिक होता है।

अधिकतर वित्तीय योजनाकारों की सलाह है किसी को आरएम का विकल्प तभी चुनना चाहिए जब उसे बेहद जरूरत हो। एक वित्तीय योजनाकार के अनुसार अगर कोई आंकड़ों पर जाए तो आरएम से प्राप्त होने वाली आय बेहद कम है। अगर कोई रिटायर्ड युगल अपने फ्लैट को किराए पर उठा दे और स्वयं किसी छोटे मकान में जाकर रहने लगे तो इससे अधिक धन कमा सकता है।

हालांकि वे ऐसा नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें किसी क्षेत्र विशेष से लगाव हो जाता है, जहां उनके रिश्तेदार और दोस्त रहते हैं। एनएचबी के वर्मा का कहना है आरएम प्रॉडक्ट्स को लोकप्रिय होने में 3-5 वर्ष और लग सकते हैं। यह ऋण लेने और देने वालों के लिए समझने का समय है।

First Published - May 27, 2008 | 11:43 PM IST

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