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परिचालन में मजबूती से भारतीय स्टेट बैंक की रेटिंग में सुधार

Last Updated- December 15, 2022 | 2:31 AM IST

पिछले महीने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, ‘जब हम काम करते हैं, हमारा ध्यान प्रदर्शन पर रहता है। जल्द या बाद में, बाजार कारोबारी और निवेशक एसबीआई की वैल्यू को समझेंगे। बाजार ने इस वैल्यू पर ध्यान देना पहले ही शुरू कर दिया है।’ विदेशी और घरेलू, दोनों ब्रोकरों ने हाल में एसबीआई पर अपनी रेटिंग बढ़ाई है और इस शेयर के लिए कीमत लक्ष्य बढ़ाकर 310 रुपये तक कर दिया है जिससे इसमें मौजूदा 207 रुपये से करीब 50 प्रतिशत की संभावित तेजी का संकेत मिलता है। मजबूत परिचालन लाभ पैदा करने, बैलेंस शीट मजबूत बनाने की एबीआई की क्षमता और सहायक इकाइयों की मजबूत विकास संभावनाएं रेटिंग में बदलाव की संभावना के लिए उचित हैं, भले ही यह बदलाव ऐसे समय में देखा गया है जब बैंकिंग व्यवस्था अल्पावधि में परिसंपत्ति गुणवत्ता जोखिम से जूझने को तैयार है।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषक नितिन अग्रवाल ने कहा, ‘कम वित्तीय लागत (जमा दरों में गिरावट की वजह से), बाजार भागीदारी में वृद्घि (अग्रिमों और जमाओं दोनों में) के साथ साथ डिजिटल क्षमताओं से भी एसबीआई को प्रावधान-पूर्व परिचालन लाभ (पीपीओपी) में मजबूत तेजी बनाए रखने में मदद मिलेगी।’ एक घरेलू फंड हाउस के फंड प्रबंधक ने कहा, ‘भले ही कोविड- संबंधित मंदी की वजह से फंसे कर्ज में इजाफा हुआ हो, लेकिन एसबीआई का परिचालन लाभ मजबूत बना रहेगा और इससे उसे प्रावधान खर्च में आई तेजी की भरपाई करने में मदद मिलेगी।’
पिछले चार वर्षों में एसबीआई ने 50,000 करोड़ रुपये का औसत सालाना पीपीओपी (35,000 करोड़ रुपये की संयुक्त कारोबारी आय को छोड़कर) हासिल की है, जिससे उसे अधिकतम ऋण नुकसान प्रावधानों की भरपाई करने में मदद मिली है। बढ़ते ऋण और डिजिटलीकरण पर जोर से भी उसे अपना ऊंचा लागत-आय अनुपात नीचे लाने में मदद मिल सकती है।
गोल्डमैन सैक्स ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अतिरिक्त समर्थन गैर-प्राप्त निवेश लाभ से मिलेगा, जो मध्यावधि में एसबीआई की ऋण नुकसान प्रावधान जरूरत का 18 प्रतिशत हो सकता है।
एसबीआई परिसंपत्ति गुणवत्ता के संदर्भ में भी बेहतर स्थिति में है। एसबीआई के ऋणों का बड़ा हिस्सा या करीब 60 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है, जबकि खुदरा अग्रिमों का 60-95 प्रतिशत हिस्सा पीएसयू कर्मचारियों के लिए है।
आदर्श पारसरामपुरिया के नेतृत्व में सीएलएसए के विश्लेषकों का कहना है, ‘एसबीआई परिसंपत्ति गुणवत्ता पर कोविड के प्रभाव के संदर्भ में प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है, क्योंकि इसमें सरकारी/पीएसयू कर्मचारियों का योगदान काफी ज्यादा है।’ वित्त वर्ष 2018 में कॉरपोरेट सेगमेंट में बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाने के प्रयासों से भी बैंक को मदद मिली है। जून तिमाही के लिए 86.3 प्रतिशत का प्रावधान कवरेज अनुपात भी सर्वाधिक में शामिल था, और उसकी पूंजी स्थिति (11.4 प्रतिशत का टियर-1 अनुपात) बेहतर थी। इसके परिणामस्वरूप, कई विश्लेषक एसबीआई की कोर बैंकिंग फ्रेंचाइजी के मूल्यांकन में अब सुधार की संभावना देख रहे हैं, जो काफी कमजोर बना हुआ था। सभी सहायक इकाइयों और येस बैंक में एसबीआई का निवेश 1.50 लाख करोड़ रुपये का है। 1.84 लाख करोड़ रुपय के उसके बाजार पूंजीकरण से इसे अलग रखे जाने पर एसबीआई के बैंकिंग व्यवसाय की 34,000 करोड़ रुपये की शेष वैल्यू बंधन बैंक के बाजार पूंजीकरण (50,573 करोड़ रुपये), इंडसइंड बैंक के 42,703 करोड़ रुपये और येस बैंक के 35,753 करोड़ रुपये के मुकाबले कम है।

First Published - September 7, 2020 | 11:50 PM IST

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