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कॉरपोरेट बॉन्डों में रीपो दर की दिख रही धीमी रफ्तार

Last Updated- December 12, 2022 | 6:55 AM IST

कॉरपोरेट बॉन्डों में रीपो धीमी गति से बढ़ रही है, हालांकि इसकी मात्रा अब उस स्तर के आसपास है जिसे एक गंभीर बाजार माना जा सकता है। आश्चर्य की बात यह है कि बाजार में पेश दरें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अपनी लिक्वीडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) के जरिये पेश रीपो दर के समान या उससे कम हैं। सामान्य तौर पर, रीपो निजी कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) के ऊंची रेटिंग वाले पत्रों के साथ संबद्घ होती है। आरबीआई के नियम में रीपो के लिए न्यूनतम रेटिंग एए दी गई है। लेकिन कई ऐसे एएए-रेटिंग वाले पत्र होते हैं जिनमें कुछ तरलता सेकंडरी बाजार में होती है और इन पत्रों का इस्तेमाल रीपो के लिए किया जाता है।
निजी कंपनियों में, आवास विकास वित्त निगम (एचडीएफसी) के पत्रों को रीपो के लिए काफी हद तक स्वीकार्य माना गया है। सरकारी कंपनियां और पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन (पीएफसी), रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्प, सिडबी और एनएचबी जैसे वित्तीय संस्थानों के पत्रों का भी रीपो के लिए इस्तेमाल होता है। चूंकि एडलवाइस द्वारा जारी भारत बॉन्ड ईटीएफ को उच्च गुणवत्ता का एएए-रेटेड पत्र माना गया है जिसका इस्तेमाल भी कॉरपोरेट रीपो के लिए होता है।
रीपो ओवरनाइट या अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म लिक्वीडिटी के एवज में मॉर्गेज प्रतिभूतियों के लिए क्षमता को दर्शाती है। बैंक 4 प्रतिशत की रीपो दर पर आरबीआई से उधार लेते हैं, लेकिन वे अपनी अतिरिक्त नकदी सुरक्षित रखते हैं और 3.35 प्रतिशत की रिवर्स रीपो दर पर सरकारी प्रतिभूतियां लेते हैं। बैंकों द्वारा आरबीआई के पास सोमवार को रखी गई नकदी 5.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक थी।
कॉरपोरेट बॉन्डों में रीपो अब उस स्तर पर नहीं है। मंगलवार को सिर्फ तीन पत्रों का इस्तेमाल रीपो के लिए किया गया था और इन्हें टॉरंट फार्मास्युटिकल्स, पीएफसी, और बीएसएनएल द्वारा जारी किया गया था। कुल कारोबार महज 174 करोड़ रुपये था।
कॉरपोरेट रीपो मार्च में अब तक कुल महज 12,068 करोड़ रुपये पर रही है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कॉरपोरेट बॉन्ड रीपो में मजबूत ब्याज बेहद महत्वपूर्ण है और जब इसे सार्वजनिक क्षेत्र में व्यापक तौर पर जारी किया जाएगा तो कारोबार में तेजी आएगी।

First Published - March 17, 2021 | 11:49 PM IST

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