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समाधान नजदीक तो बैड बैंक में नहीं

Last Updated- December 12, 2022 | 5:00 AM IST

ऐसी ऋणग्रस्त परिसंपत्तियां, जिनका जल्द ही समाधान होने जा रहा है या वे परिसंपत्तियां जिनके एकबारगी निपटान की प्रक्रिया चल रही है, उन्हें नए बैड बैंक में शायद नहीं भेजा जाएगा। यह बैड बैंक अगले महीने से चालू होने के आसार हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिन मामलों का समाधान एक या दो महीने में होने की संभावना है और जिनमें एनसीएलटी का आदेश पहले ही आ चुका है, उन मामलों पर विचार नहीं किए जाने के आसार हैं। ऐसी परिसंपत्तियों को राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एनएआरसी) में भेजने और दोबारा पूरी प्रक्रिया शुरू करने का कोई मतलब नहीं है।
एसबीआई के विचार का समर्थन करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के एक अन्य बैंक के अधिकारी ने कहा कि समाधान के नजदीक पहुंच चुकी परिसंपत्तियों को एनएआरसी में भेजने से यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है। जब कोविड-19 महामारी से परिसंपत्तियों की गुणवत्ता को लेकर अनिश्चितता पैदा हुई है तब समाधान से समय पर पैसा मिलेगा और ऋणदाताओं को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से अतिरिक्त दबाव और उसके नतीजतन प्रावधान का बोझ आने के आसार हैं। ऐेसे में समाधानों से प्राप्त पैसा एक राहत के रूप में काम कर सकता है।’ एनएआरसी की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि एनएआरसी अगले महीने से चालू होने के आसार हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से पैदा अड़चनों के कारण परिसंपत्तियों को नए बैड बैंक में भेजने की प्रक्रिया में एक से दो महीने की देरी हो सकती है। बैड बैंक ऋणदाताओं के फंसे ऋणों को खरीदने के लिए बनाया गया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़े बैंक के एक वरिष्ठ  अधिकारी ने कहा कि इस तिमाही से ही परिसंपत्तियां बैड बैंक में भेजने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन इसमें देर होने के आसार हैं क्योंकि हर मामले में संयुक्त ऋणदाता मंच की सहमति से ही फैसला लेना होगा और इन परिसंपत्तियों के स्थानांतरण के लिए प्रस्ताव पारित करना होगा। उन्होंने कहा कि ऋणग्रस्त परिसंपत्तियों को बैड बैंक में भेजने की शुरुआत जुलाई से होने के आसार हैं।
एनएआरसी पर काम सरकार की तरफ से तय रूपरेखा के हिसाब से होगा। इसमें प्रतिभूति प्र्राप्तियों पर केंद्र की सॉवरिन गारंटी भी शामिल है।

First Published - May 10, 2021 | 10:56 PM IST

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