बजाज हिंदुस्तान शुगर (बीएचएसएल) के अग्रणी बैंक भारतीय स्टेट बैंक प्रवर्तकों की व्यक्तिगत गारंटी भुनाने की योजना बना रहा है क्योंकि कर्ज समाधान के लिए कंपनी को एनसीएलसटी के इलाहाबाद पीठ में भेजा जा चुका है। बजाज हिंदुस्तान शुगर की कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए एनसीएलटी ने अभी हालांकि एसबीआई की अगुआई वाले बैंकों की याचिका स्वीकार नहीं की है।
कंपनी के ऊपर भारतीय बैंकों का 4,771 करोड़ रुपये बकाया है और वह दो कर्ज पुनर्गठन योजना का सहारा पहले ही ले चुकी है, जिससे लेनदारों को भारी कटौती झेलनी होगी। एक बैंकर ने कहा, हम इस साल मई में दिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के मुताबिक प्रवर्तकों की व्यक्तिगत गारंटी भुगाने के लिए कदम उठा रहे हैं। इस संबंध में बजाज हिंदुस्तान शुगर के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। किसी खास खाते को लेकर एसबीआई से भी टिप्पणी नहीं मिली। कंपनी को अगस्त में कर्ज पुनर्गठन के लिए भेजा गया था जब वह कर्ज पुनर्गठन योजना की कुछ निश्चित अनिवार्यताएं पूरा नहीं कर पाई।
एसबीआई ने एनसीएलटी में दाखिल याचिका में कहा है, कर्ज को पिछली तारीख जून 2017 से ही गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के तौर पर वर्गीकृत किया जा चुका है। अपनी याचिका में एसबीआई ने कहा है कि कार्रवाई की वजह बरकरार रही क्योंकि बैंकों ने कंपनी को वित्तीय अनुशासन बनाए रखने को कहा था लेकिन वह निपटान की शर्तों का अनुपालन करने में नाकाम रही। एसबीआई को भी हर दिन कार्रवाई की वजह मिलती रही क्योंकि कंपनी ने देनदारी तो मानी लेकिन बैंकों को बकाए का भुगतान नहीं किया। याचिका में ये बातें कही गई है।
भारत की अग्रणी शुगर व एथनॉल विनिर्माता कंपनी बजाज हिंदुस्तान शुगर की 14 फैक्टरी है, जिसकी क्षमता रोजाना 1.36 लाख टन गन्ने की पेराई की है। इसकी छह डिस्टिलरी भी है, जिसकी क्षमता रोजाना 800 किलोलीटर इंडस्ट्रियल अल्कोहल रोजाना उत्पादन करने की है। 2021-22 में कंपनी ने 5,569 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया और उसका नुकसान 218 करोड़ रुपये रहा।
इससे पहले कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज दिए बयान में कहा था, स्वैच्छिक तौर पर परिवर्तनीय 3,488.25 करोड़ रुपये के ऋणपत्र संयुक्त लेनदार फोरम को स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेस्ड ऐसेट्स (एस4ए स्कीम) के मुताबिक जारी किए गए थे, जो कर्ज के एक हिस्से को इक्विटी में बदलने के लिए थे। इसमें ऋणपत्रधारकों के पास अधिकार के इस्तेमाल का विकल्प था। कंपनी ने ऐसे ऋणपत्र के ब्याज दर के लिए प्रावधान नहीं किया और इस साल मार्च के बाद यील्ड टु मैच्योरिटी (वाईटीएम) पर भी विचार नहीं किया। प्रबंधन का मानना है कि ब्याज दर और वाईटीएम कंपनी की तरफ से लेनदारों को सौंपी गई वित्तीय पुनर्गठन योजना के मुताबिक होंगे।