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सामान्य की ओर बढ़े कदम

Last Updated- December 12, 2022 | 12:24 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज अपनी नीतिगत दर और रुख में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन साफ तौर पर तरलता प्रबंधन के अपने सबसे कम उठापटक वाले तरीके के जरिये अतिरिक्त तरलता को वापस लेने की तरफ कदम बढ़ा दिए। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अक्टूबर की नीति के बाद सर्वसम्मति से रीपो दर 4 फीसदी और रिवर्स रीपो दर 3.35 फीसदी पर रखने के पक्ष में मत दिया। आरबीआई ने कहा, ‘टिकाऊ आधार पर वृद्धि को उबारने एवं बनाए रखने और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने की पहल को जारी रखने के लिए रुख को आवश्यक महसूस होने तक ‘नरम’ रखा जाएगा।’ एमपीसी के छह सदस्यों में से पांच ने रुख का समर्थन किया, लेकिन बाहरी सदस्य जयंत आर वर्मा ने एक बार फिर इसके खिलाफ मत दिया।
आरबीआई बैंकों को रीपो दर पर उधार देता है, जबकि बैंकों की अतिरिक्त नकदी को अपने पास रखने पर रिवर्स रीपो दर मुहैया कराता है। यह अतिरिक्त तरलता 6 अक्टूबर तक बढ़कर 9.5 लाख करोड़ रुपये के दैनिक औसत पर पहुंच गई। आरबीआई ने कहा कि संभावित अतिरिक्त तरलता 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
इसलिए केंद्रीय बैंक ने कहा कि अब वह अपने सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) के तहत द्वितीयक बाजार से बॉन्ड खरीदने का वादा नहीं करेगा। यह जी-सैप के जरिये पहले ही अर्थव्यवस्था में 2.2 लाख करोड़ रुपये की नकदी झोंक चुका है और अपनी 14 दिन की परिवर्तनशील दर रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) नीलामी के जरिये धीरे-धीरे अतिरिक्त तरलता को सोखेगा।
आरबीआई ने कहा, ‘अतिरिक्त तरलता के दबाव, जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) क्षतिपूर्ति के लिए अतिरिक्त उधारी की जरूरत नहीं होने और बजट अनुमानों के मुताबिक सरकार के खर्च में बढ़ोतरी से आर्थिक तंत्र में तरलता बढऩे के अनुमान को मद्देनजर रखते हुए फिलहाल और जी-सैप परिचालन की जरूरत नहीं है।’
वीआरआरआर से अतिरिक्त नकदी दिसंबर के पहले सप्ताह तक घटकर 2-3 लाख करोड़ रुपये पर आ जाएगी, इसलिए इसे आरबीआई की अत्यधिक नरम मौद्रिक नीति को सामान्य बनाने की दिशा में पहला कदम माना जा सकता है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने नीति सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंक नीतिगत सामान्यता के लिए चरणबद्ध तरीका अपना रहा है। पात्रा ने कहा, ‘इसमें पहला कदम तरलता को रोकना और दूसरा तरलता को निश्चित दर रिवर्स रीपो से नीलामियों में भेजना है…इसके बाद के कदमों के रूप में मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि आरबीआई के पास इसके बहुत से तरीके हैं। यह मुद्दा तरीकों का नहीं बल्कि समय और सटीकता का है।’
तरलता के आंकड़े
दिसंबर के पहले सप्ताह तक वीआरआरआर के तहत सोखी जाने वाली मात्रा बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी, जो शुक्रवार को 4 लाख करोड़ रुपये थी। रोचक बात यह है कि वीआरआरआर की कट-ऑफ 3.99 फीसदी पर आ गई है, जो रीपो दर के समान है। डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि आरबीआई के ‘पैसिव मोड’ में होने से कट-ऑफ ऊंची रही और वह कीमत निर्धारण की प्रक्रिया में बाजार नीलामियों से प्राप्त कट-ऑफ को स्वीकार कर रहा था।
एचएसबीसी के अर्थशास्त्रियों- प्रांजुल भंडारी और आयुषी चौधरी ने लिखा है कि आरबीआई के कदमों से टिकाऊ तरलता में बढ़ोतरी पर अंकुश लगेगा और प्रभावी दरों में इजाफा होगा। इसके बाद दिसंबर या फरवरी में रिवर्स रीपो दर में बढ़ोतरी होगी। दोनों ने लिखा है कि आरबीआई के कदमों से बाजारों में कोई उठापटक नहीं होगी।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री अनुभूति सहाय ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि दिसंबर से फरवरी के बीच रिवर्स रीपो दर में 40 आधार अंक का इजाफा होगा।’

बेंचमार्क सेंसेक्स फिर 60 हजार के आंकड़े के पार
बेंचमार्क सेंसेक्स में सबसे ज्यादा भारांश वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के शेयर में चार फीसदी बढ़ोतरी की बदौलत शुक्रवार को यह सूचकांक फिर 60,000 पर पहुंच गया।
सेंसेक्स 381 अंक या 0.64 फीसदी चढ़कर 60,059 पर बंद हुआ। यह अपनी नई ऊंचाई से महज 19 अंक दूर है। 30 शेयरों वाला यह सूचकांक सप्ताह के दौरान 2.2 फीसदी चढ़ा है, जिस पर अमेरिका की कर्ज सीमा में बढ़ोतरी, महंगाई, ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी और चीन में नियामकीय चिंताओं का असर पड़ा। केंद्रीय बैंक के नरम मौद्रिक नीति के बयान के बावजूद बैंकों और दरों के असर वाले अन्य शेयरों में मिलाजुला रुख रहा। आरआईएल का शेयर 3.84 फीसदी चढ़ा और इसने सेंसेक्स की बढ़त में 287 अंक का योगदान दिया। कंपनी का बाजार मूल्यांकन कारोबारी सत्र के दौरान 18 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया।

First Published - October 8, 2021 | 11:26 PM IST

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