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कोविड में उछाल से पुनर्गठित खातों पर बढ़ सकता है जोखिम

Last Updated- December 11, 2022 | 10:22 PM IST

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि चूंकि कोविड-19 के मामलों में फिर से तेजी से उछाल देखी जा रही है लिहाजा आगामी दिनों में बैंकिंग प्रणाली की संपत्ति गुणवत्ता विशेष तौर पर पुनर्गठित खातों को जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
सितंबर, 2021 को भारत की बैंकिंग प्रणाली ने 2.8 लाख करोड़ रुपये या मानक अग्रिमों का 2.9 फीसदी के ऋण को पुनर्गठित किया है जिसमें से करीब 1 लाख करोड़ रुपये का पुनर्गठन कोविड की पहली लहर और 1.2 लाख करोड़ रुपये का पुनर्गठन कोविड की दूसरी लहर में किया गया था और शेष रकम का पुनर्गठन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए किया गया था।   

वित्त क्षेत्र की रेटिंग्स इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष अनिल गुप्प्ता ने कहा चूंकि बैकों ने इन ऋणों का पुनर्गठन 12 महीनों के मोरेटोरियम के साथ किया था लिहाजा यह खाता चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही से मोरेटोरियम से बाहर आने लगेगा। ऐसे में कोविड की तीसरी लहर उन उधारकर्ताओं के प्रदर्शन पर बड़ा जोखिम उत्पन्न कर सकता है जो पिछली लहरों के दौरान प्रभावित हुए थे और इस प्रकार संपत्ति गुणवत्ता, लाभप्रदता और ऋण चुकाने की क्षमता में हो रहे सुधार के लिए जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि तीसरी लहर के कारण ऋणों के पुनर्गठन की मांग दोबारा से बढ़ सकती है जिसमें पहले से पुनर्गठित ऋण भी शामिल होंगे। गुप्ता ने कहा, ‘इस प्रकार के मामले में पुनर्गठित ऋण खाते के प्रदर्शन पर जो दृश्यता वित्त वर्ष 2023 के आरंभ में उम्मीद की जा रही थी अब उसके लिए वित्त वर्ष 2024 का इंतजार करना पड़ सकता है क्योंकि मौजूदा पुनर्गठित ऋणों पर मोरेटोरियम को आगे बढ़ाया जा सकता है।’

First Published - January 7, 2022 | 11:13 AM IST

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