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मुद्रास्फीति को धीरे धीरे नियंत्रित करने पर रहेगा जोर

Last Updated- December 12, 2022 | 2:03 AM IST

बीएस बातचीत
मुख्य दर को 4 प्रतिशत पर बनाए रखने और अनुकूल नजरिया अपनाने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नरों माइकल देवव्रत पात्र, एमके जैन, टी रवि शंकर और एम राजेश्वर राव ने मीडिया के सवालों का जवाब दिया और वित्तीय क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर विचार पेश किए। मुख्य अंश:
मुद्रास्फीति पर परस्पर विरोधी संदेशों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
दास: ये ऐसी विरोधाभासी स्थिति है जिससे हम निपट रहे हैं और मौजूदा समय में कई प्रतिकूल परिस्थितियां हैं। कई विरोधाभासी चीजें हैं जिनसे केंद्रीय बैंक को निपटना है। आरबीआई के नीतिगत कदम को बारीकी से समझना होगा, यह दिशाहीन नहीं हो सकता।

मुद्रास्फीति में तेजी को अल्पकालिक कहना उचित है? साथ ही, क्या आप वृद्घि को लेकर बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं हैं? और क्या आप नए बैंक लाइसेंस पर कोई समय सीमा बता सकते हैं?
दास: नए बैंक लाइसेंस के लिए हमने एक बाह्य परामर्श समिति बनाई है और वह प्राप्त होने वाले सभी आवेदनों पर विचार करेगी। इसके अलावा, पारदर्शिता के लिए हमने आवेदकों की सूची बनाई है।
पात्र: मुद्रास्फीति के मोर्चे पर, यदि हम सभी छोटा सा प्रयास करें और ऐतिहासिक नजरिये से देखें तो चीजें स्पष्ट हो जाएंगी। 2016-2020 के बीच, हमने मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बनाए रखा। 2021 में हम महामारी से प्रभावित हुए थे, जिसमें अप्रत्याशित स्थिति पैदा हुई, मार्जिन बढ़ गया था, कर बढ़ गए थे। इसलिए मुद्रास्फीति औसत आधार पर बढ़कर 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। अब हम 5.7 प्रतिशत की औसत मुद्रगास्फीति की संभावना देख रहे हैं और यह 2021 के मुकाबले बड़ा सुधार होगा। इसलिए मुद्रास्फीति की राह 4 प्रतिशत की ओर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।

मौजूदा ऋणों में ट्रांसमिशन की रफ्तार घट गई है। क्या आरबीआई इस पहलू पर ध्यान दे रहा है?
दास: हम न सिर्फ नए ऋणों, बल्कि मौजूदा ऋणों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 2019 में पेश बाहरी बेंचमार्किंग ने अब तक अच्छा कार्य किया है। फरवरी 2019 से जुलाई 2020 तक, नए ऋणों पर ट्रांसमिशन 217 आधार अंक है। बकाया ऋणों के लिए यह 117 आधार अंक रहा है। बकाया ऋणों के लिए ऋण पुनर्गठन का चक्र है। महामारी की अवधि में, मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक नए ऋणों में ट्रांसमिशन 146 आधार अंक रहा, जबकि बकाया ऋणों के लिए यह 101 आधार अंक था।

एमपीसी द्वारा अर्थव्यवस्था के विकास का आकलन कैसे निर्धारित हो रहा है?
पात्र: जब आप सालाना आधार पर वृद्घि दर को देखते हैं तो आधार प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। हम मांग और आपूर्ति के संकेतकों के वास्तविक स्तर पर ध्यान देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि मैं रुकी हुई मांग पर ध्यान दूं तो मुझे मोबिलिटी, विद्युत मांग, अप्रत्यक्ष कर संग्रह आदि पर विचार करना होगा। अब हम यह समझ गए हैं कि सामान्य समय में ये स्तर क्या होने चाहिए और इसलिए आधार प्रभाव पर ध्यान देना जरूरी है। इसी तरह, मैं ऑर्डर बुक पर ध्यान देता हूं कि क्या इसमें इजाफा हो रहा है, क्या ऑर्डर बुक का अच्छा स्टॉक उपलब्ध है? क्या उपलब्ध माल में इजाफा हो रहा है? यदि फिनिश्ड सामान संबंधित इन्वेंट्री बढ़ती है, तो मैं जान लेता हूं कि अर्थव्यवस्था में मांग कम है और शायद मंदी की प्रवृत्ति है।

बाजार पर बॉन्ड प्रतिफल के संबंध पर आपकी प्रतिक्रिया है?
दास: हमें इसकी उम्मीद नहीं है कि प्रतिफल की राह एक जैसी बनी रहेगी। हम प्रतिफल चक्र के व्यवस्थित मूल्यांकन पर ध्यान दे रहे हैं, और इसके लिए हमने समय समय पर बाजार में दखल दिया है और यह हस्तक्षेप न सिर्फ प्राथमिक नीलामियों के बाद नहीं बल्कि जी-सैप, ओएमओ, ऑपरेशन टि्वस्ट के जरिये भी किया गया।

क्या आप छोटे कर्जदारों के लिए चालू खाता मानकों को स्पष्ट कर सकते हैं?
राव: चालू खाते खोलने पर प्रतिबंध नहीं है। दरअसल, हम वर्गीकृत दृष्टिकोण पर अमल कर रहे हैं। हम कर्जदारों के संदर्भ में बेहतर अनुशासन सुनिश्चित करेंगे। हमने अपने दृष्टिकोण को काफी उदार बनाया है और चालू खाते खोलने से संबंधित समस्याओं को एफएक्यू द्वारा दूर किया गया है।

आरबीआई विभिन्न कार्ड नेटवर्कों पर ताजा प्रतिबंध के साथ किस तरह का संदेश देने की कोशिश कर रहा है?
दास: नए दिशा-निर्देशों पर विनियमित संस्थाओं द्वारा अमल किए जाने की संभावना है। हम नियामकीय दिशा-निर्देशों के साथ इकाइयों के अनुपालन की निगरानी कर रहे हैं।

क्या आप एनपीए और प्रावधान अनुपात को लेकर चिंतित हैं?
जैन: हम इस पर गंभीरता से नजर रख रहे हैं। हां, पिछले आंकड़े के संदर्भ में कुछ दबाव पडऩे की संभावना है, लेकिन यह चिंताजनक नहीं है और हम विनियमित संस्थाओं के साथ लगातार संपर्क में हैं, खासकर बाहरी बैंकों और एनबीएफसी के साथ। अतीत में (कोविड बाद), हमने विनियमित इकाइयों को अपने प्रावधान सुधारने की सलाह दी, जिस पर उन्होंने ध्यान दिया है। यदि हम सभी बैंकों के नतीजों (मार्च 2021) को देखें और कोविड-पूर्व अवधि से तुलना करें तो सभी मानकों – पूंजी पर्याप्तता, सकल और शुद्घ एनपीए, प्रावधान कवरेज अनुपात और मुनाफे – पर उनमें सुधार का पता चलता है।

First Published - August 6, 2021 | 11:49 PM IST

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