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मौजूदा साल में अब हमें और ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं है

Last Updated- December 10, 2022 | 12:06 AM IST

इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी रोमेश सोबती हिंदुजा प्रमोटेड इंडसइंड बैंक में अपने एक साल के कार्यकाल में बैंक के प्रदर्शन से काफी आश्वस्त दिखते हैं।
उत्साह से लबरेज सोबती ने हालांकि यह भी कहा कि प्रदर्शन के स्तर में सुधार के संकेत  और फीस आधारित आय में बढोतरी के बावजूद कारोबार में बढ़ोतरी की जरूरत है। सिध्दार्थ और अनिरूध्द लस्कर ने सोबती से उनकी आगे की रणनीति के अलावा विभिन्न मुद्दों पर बात की। प्रस्तुत है इस बातचीत के प्रमुख अंश:
दिसंबर तिमाही के दौरान विपरीत संभावनाओं के बीच आपके मार्जिन में बढ़ोतरी हुई है। आपकी शुरू से क्या रणनीति रही है और आपका ध्यान किन प्रमुख क्षेत्रों पर है?
फिलहाल हम उन छह मानदंडों पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं जो गुणवत्ता के तीन प्रमुख आयामों मुनाफा, उत्पादकता और कार्यक्षमता का आंकलन करते हैं। मुनाफे का मतलब कुल परिसंपत्ति पर आनेवाले प्रतिफल (आरओए), शेयरों के कारोबार से प्राप्त होनेवाले प्रतिफल और नेट इंटरेस्ट मार्जिन से है।
उत्पादकता से आशय प्रति कर्मचारियों और शुध्द गैर-निष्पादित धन से आनेवाला राजस्व है जबकि कार्यक्षमता से तात्पर्य लागत और राजस्व के छह मानदंडों से है। बाजार में हिस्सेदारी के  चलने वाले खेल में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि इसमें मुनाफे की कोई गारंटी नहीं होती है। यह कतई जरूरी नहीं है कि विश्व के सबसे बड़े बैंक जो बाजार में हिस्सेदारी को बढाने में अपनी दिलचस्पी दिखाते हैं, वे बेहतर मुनाफा देते हैं।
क्या आप ऐसा नहीं चाहते कि अगले दो से तीन साल में आपका बैंक दूसरे या तीसरे सबसे बडे बैंक के रूप में जाना जाए?
नही, हमारी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है लेकिन जहां तक छह प्रमुख मानदंडों की बात है तो हम निश्चित तौर पर अगले दो से तीन सालों के बीच तीन प्रमुख बैंकों की श्रेणी में शामिल होंगे। अभी तक ये छह मानदंड बिल्कुल सही दिशा की और अग्रसर हैं और हमें पूरा विश्वास है कि हम इसे बरकरार रख पाने में पूरी तरह से सफल होंगे। हमारा मानना है कि अब अंतहीन पूंजी का दौर समाप्त हो गया है और अब जो नया रुझान सामने आया है वह मार्जिन के संरक्षण को लेकर है।
हालांकि दिसंबर की तिमाही में हमारे करेंट ओर सेविंग एकाउंट (सीएएसए) में कोई बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन दिसंबर के अंत में हमारा मार्जिन 1.1 फीसदी से छलांग लगाकर 1.9 फीसदी के स्तर तक पहुंच गया है। हमें पूरा भरोसा है कि मौजूदा तिमाही में हम 2 फीसदी के आंकड़े को पार कर लेंगे।
आपको शेयरधारकों की ओर से अधिकृत पूंजी जुटाने की सहमति मिल चुकी है, अब आपकी पूंजी जुटाने को लेकर क्या रणनीति है ?
निश्चित तौर पर यह उत्साह बढाने वाली बात है लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं निकलता कि हम आवश्यक तौर पर पूंजी जुटाने में अपनी दिलचस्पी दिखाएंगे ही। इस साल हमें और किसी तरह की पूंजी की जरूरत नहीं है। अगले साल हम टायर-2 के जरिए पूंजी जुटाने की क्षमता का आकलन करेंगे क्योंकि बाजार में जाकर हम पूंजी जुटाने की हम किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं।
टायर-2 पूंजी के रूप में हम 700 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटा सकते हैं। हमने अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं किया है क्योंकि अगले पांच सालों तक दूसरी पंक्ति के कर्ज जुटाना सस्ता नहीं होगा। हालांकि अब ब्याज दरों में तेजी से गिरावट आ रही है और हमारे रिस्क प्रोफाइल में भी तेजी से सुधार हो रहा है।
 
आपके प्रवर्तकों द्वारा अपनी साझेदारी को बेचे जाने को लेकर आपका क्या कहना है और कब तव वे आरबीआई के दिशानिर्देशों का पूरी से अनुपालन करेंगे?
यह मामला प्रवर्तकों और आरबीआई के बीच का आपसी मामला है। हमें इस बात की काफी खुशी है कि हमे विस्तार की अनुमति मिली है। हम अपने कारोबार के विस्तार को लेकर काफी उत्साहित हैं क्योंकि लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा पहुंच होने के कारण हमे कारोबार में और ज्यादा फायदा होगा।
अगले दो सालों के दौरान हम अपनी शाखाओं की संख्या बढ़ाकर 350 तक करनाचाहते हैं। जब भी हम बाजार में हम जाएगंगे हम अपनी हिस्सेदारी को बेचेंगे।
इसका मतलब यह तो नहीं कि अब कोई रणनीतिक साझेदार नहीं है?
जब आप रणनीतिक साझेदार की बात करते हैं तो मैं यह कहना चाहूंगा कि इस बारे में हमारे पास प्रस्ताव आएं हैं। लेकिन मेरा सवाल यह है कि कोई भी रणनीतिक साझेदार के तौर पर हमारे लिए क्या लेकर आएंगे? हम पूंजी जुटाने में पूरी तरह से सक्षम हैं। साझेदार को अपने साथ कुछ विशिष्ट क्षमता और दक्षता जैसे कि परिसंपत्ति प्रबंधन को लेकर आना होगा।
अभी बहुत सारी परिसंपत्ति बिकवाली के लिए बाजार में मौजूद हैं, इसे देखते हुए आप अधिग्रहण को लेकर क्या योजनाएं हैं?
हम मौजूदा समय से ज्यादा आरामदायक स्थिति में रहना पसंद करेंगे और हमें अभी भी बहुत लंबा रास्ता तय करना है। जैविक ग्रोथ की अभी भी काफी संभावनाएं मौजूद हैं। आने वाले छह महीने से साल भर के बीच हमारे लिए अजैविक विकास के लिए काफी संभावनाएं रहेंगी।

First Published - February 6, 2009 | 12:10 PM IST

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