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नकदी और विस्तार से रोशन भविष्य

Last Updated- December 08, 2022 | 7:44 AM IST

बिजली के क्षेत्र को हमेशा ही मंदी की मार से महफूज रहने वाला और लगातार कमाई देने वाला माना जाता है और इसमें नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (एनएलसी) निवेश के लिहाज से बेहतरीन विकल्प नजर आ रहा है।


कंपनी अपनी विद्युत उत्पादन क्षमता में तेजी के साथ इजाफा कर रही है और उसके पास नकदी तथा खनिज भंडार की कमी भी नहीं है।

एनएलसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है, जो लिग्नाइट से बिजली बनाती है। फिलहाल उसके तीन बिजली निर्माण संयंत्र हैं, जिनकी कुल क्षमता 2,490 मेगावाट है।


इन सभी संयंत्रों के लिए लिग्नाइट की आपूर्ति के लिए खानें भी हैं, जिनमें लगभग 3,892.9 करोड़ टन खनिज भंडार होने का अनुमान है।

अनुमानों के मुताबिक कंपनी अपने पास मौजूद खनिज भंडार के बल पर अगले 18 से 20 साल तक तीनों संयंत्रों को अधिकतम क्षमता के साथ चला सकती है।

पिछले कुछ समय में नेवेली लिग्नाइट लिग्नाइट आधारित बिजली बनाने वाली बड़ी और विशेषज्ञ कंपनियों में शुमार हो चुकी है।

कंपनी के पास देश में लिग्नाइट का सबसे बड़ा भंडार मौजूद होने से ईंधन की दिक्कत उसके सामने नहीं आने वाली। क्षमता की बात करें, तो नेवेली लिग्नाइट का प्रदर्शन शानदार है।

इसके मौजूदा तीनों संयंत्र अपनी क्षमता की 70 से 89 फीसदी बिजली बना रहे हैं। लिग्नाइट को ‘ब्राउन कोल’ भी कहा जाता है और बिजली बनाने के लिए उसे सस्ता ईंधन माना जाता है।

यही वजह है कि नेवेली लिग्नाइट देश में सबसे कम लागत पर ताप बिजली बनाने वाली कंपनियों में शुमार है।

वह महज 1.20 रुपये प्रति यूनिट के भाव से बिजली बेचती है। कम लागत के अलावा लिग्नाइट से कंपनी को एक और फायदा होता है। दरअसल घरेलू बाजार में कोयले की आपूर्ति कम हो गई है और अंतरराष्ट्रीय कोयले के दाम ज्यादा हैं। इसलिए लिग्नाइट इस्तेमाल करना कंपनी के लिए फायदेमंद है।


सुनियोजित विस्तार

अपनी क्षमताओं को आंककर कंपनी बिजली बनाने की क्षमता बढ़ा रही है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना यानी 2007 से 2012 के दौरान अपनी बिजली उत्पादन क्षमता में 2,000 मेगावाट का इजाफा करने जजा रही है। 2917 तक उसकी 10,250 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन क्षमता हासिल कर लेने की योजना है।

इन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त ईंधन की आपूर्ति भी जरूरी है, इसलिए कंपनी अपनी खनिज भंडार क्षमता को भी बढ़ाकर 2017 तक 3.2 करोड़ टन सालाना करने की योजना पर काम कर रही है।

कंपनी के पास जो बड़ी परियोजनाएं हैं, उनमें तमिलनाडु के तूतीकोरिन में 1,000 मेगावाट क्षमता वाला कोयला आधारित संयंत्र शामिल है।

इसे तमिलनाडु विद्युत बोर्ड के साथ संयुक्त उपक्रम के तौर पर बनाया जा रहा है। इसमें एनएलसी के पास 89 फीसदी हिस्सेदारी होगी और बाकी हिस्सेदारी बोर्ड के पास होगी। कंपनी ने इस परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण कर लिया है और कोयले की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर ली है।

कंपनी इसमें 1,311 करोड़ रुपये का निवेश कर सकती है, जिसे आंतरिक संसाधनों से इकट्ठा किया जाएगा और यह संयंत्र 2012 तक पूरा हो जाएगा।

पिछले वित्त वर्ष में कंपनी को 1,500 करोड़ रुपये का नकद मुनाफा हुआ था। लाभांश का वितरण करने के बाद कंपनी के पास सालाना 1,000 करोड़ रुपये बच रहे हैं।

मार्च 2008 तक कंपनी के पास आंतरिक संसाधन और लगभग 2,785 करोड़ रुपये की नकदी थी, जिससे परियोजना में निवेश करना उसके लिए आसान है। शानदार बहीखाते के दम पर वह कर्ज भी आसानी से हासिल कर लेगी।

नेवेली के पास कई अन्य परियोजनाएं हैं, जिनमें कुछ शुरुआती चरण में हैं और उनमें उत्पादन शुरू होने में अभी काफी वक्त लगेगा। इसका मतलब है कि कमाई 4-5 साल बाद ही शुरू होगी।

इस बीच निकट भविष्य में उसका विकास चालू विद्युत उत्पादन परियोजनाओं से होगा, जिनकी क्षमता 750 मेगावाट है। ये परियोजनाएं एक-एक करके मार्च 2010 तक चालू हो जाएंगी।

इससे कंपनी को वित्त वर्ष 2009 में 5 से 6 फीसदी और अगले वित्त वर्ष में 15 से 18 फीसदी की वॉल्यूम वृद्धि मिलनी चाहिए।

हालांकि निकट भविष्य में वॉल्यूम में इजाफा बहुत मामूली होगा, लेकिन दीर्घ अवधि में कंपनी की संभावनाएं काफी उज्ज्वल हैं। नकदी का लगातार प्रवाह और नई परियोजनाएं उसके भविष्य को काफी मजबूत कर रही हैं।

निवेश की वजह

विकास की मजबूत संभावनाओं की वजह से नेवेली लिग्नाइट बेहतरीन स्टॉक बन गया है क्योंकि उसने 4 फीसदी का अच्छा लाभांश भी दिया है। कंपनी पिछले 10 साल से लाभांश दे रही है, जो 5 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंच चुका है।

कंपनी के पास लगभग कर्ज भी कम है और उसकी कीमत पहले से काफी अधिक है। इसका स्टॉक बुक वैल्यू के लिहाज से भी अच्छी स्थिति में दिख रहा है। इससे जाहिर होता है कि कंपनी कम से कम अगले तीन साल तक तो अच्छी रफ्तार के साथ विकास करती रहेगी।

यदि कुछ वक्त के लिए वॉल्यूम में इजाफा कम भी रहता है, तो चिंता नहीं क्योंकि कंपनी अपने निवेश से तो कमाई करती ही रहेगी।

First Published - December 7, 2008 | 10:15 PM IST

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