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बॉन्ड के जरिये कंपनियों ने फरवरी में जुटाए 1 लाख करोड़ रुपये

ब्याज दरों में कटौती के बावजूद यील्ड बढ़ी, वित्त वर्ष 2025 में रिकॉर्ड पार होने की उम्मीद

Last Updated- March 07, 2025 | 11:32 PM IST
Bond

अधिक यील्ड के बावजूद बॉन्ड के जरिये रकम जुटाने पर कंपनी जगत का जोर दिख रहा है। फरवरी में कंपनी जगत द्वारा बॉन्ड के जरिये जुटाई गई रकम 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। मगर जनवरी में यह रकम अपेक्षाकृत कम रही थी क्योंकि भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण बाजार में काफी उतार-चढ़ाव दिखा था।

प्राइमडेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी में कंपनी जगत ने 197 बॉन्ड निर्गम के जरिये पूंजी बाजार से 1.07 लाख करोड़ रुपये जुटाए जो जनवरी में जुटाए गए 72,811 करोड़ रुपये से 47 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 2025 में फरवरी तक कॉरपोरेट बॉन्ड के जरिये 9.60 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं और वित्त वर्ष के आखिर तक उसके 10.19 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचने की उम्मीद है।

आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 में बॉन्ड के जरिये जुटाई गई रकम वित्त वर्ष 2020 के बाद से सबसे अधिक थी। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी जगत द्वारा बॉन्ड के जरिये जुटाई गई रकम चार महीनों- जुलाई, सितंबर, दिसंबर और फरवरी- में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रही। फरवरी में ब्याज दर में कटौती के बावजूद कॉरपोरेट बॉन्ड पर यील्ड में वृद्धि हुई।

इसकी मुख्य वजह राज्य सरकार की प्रतिभूतियों सहित कॉरपोरेट बॉन्ड की अधिक आपूर्ति और नकदी प्रवाह की तंग स्थिति रही। एसबीआई इकनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी प्रतिभूतियों पर राज्य सरकार की प्रतिभूतियों और कॉरर्पोरेट बॉन्ड का स्प्रेड 30-35 आधार अंक से बढ़कर 45-50 आधार अंक हो गया है। ऐसे में कई जारीकर्ताओं ने केवल आंशिक सबस्क्रिप्शन ही स्वीकार की, जिससे उन्हें रकम जुटाने के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अनुवर्ती निर्गम के साथ बाजार में लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा।

रॉकफोर्ड फिनकैप एलएलपी के संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘फरवरी में प्राथमिक बॉन्ड निर्गम में जबरदस्त उछाल दिखी क्योंकि जनवरी में बॉन्ड के जरिये रकम जुटाने की योजना टालने वाले जारीकर्ताओं ने यील्ड में तेजी के बावजूद पूंजी बाजार में उतर पड़े।

जारीकर्ता जिन्होंने जनवरी में अपने फंड जुटाने को स्थगित कर दिया था, वे बढ़ती यील्ड के माहौल के बावजूद बाजार का दोहन करने के लिए दौड़ पड़े। सरकारी बॉन्ड नीलामी, राज्य विकास ऋण (एसडीएल) और कॉरपोरेट बॉन्ड निर्गम के कारण आपूर्ति में तेजी आई। इससे क्रेडिट स्प्रेड में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, खास तौर पर 10 साल की परिपक्वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) और संबंधित कॉरपोरेट बॉन्ड में।’

जनवरी में बॉन्ड यील्ड में काफी उतार-चढ़ाव दिखा। ऐसा मुख्य तौर पर व्हाइट हाउस में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी के कारण पैदा हुई वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में उतार-चढ़ाव के कारण हुआ। इसके अलावा आरबीआई की मौद्रिक नीति और आम बजट का भी असर पड़ा।

श्रीनिवासन ने कहा कि मौजूदा रफ्तार को देखते हुए ऐसा लगता है कि कुल बॉन्ड निर्गम के लिहाज से वित्त वर्ष 2024-25 इससे पिछले वित्त वर्ष के रिकॉर्ड को पार कर जाएगा। इनक्रेड कैपिटल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक एवं प्रमुख (तय आय) अजय मंगलुनिया ने कहा, ‘हम इस साल के आखिरी चरण में हैं। ऐसे में कंपनियां रकम जुटाने के अपने सालाना लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं। वे जनवरी में नीतिगत रुख और बजट घोषणाओं का इंतजार रही थीं। दर में कटौती के बाद सभी को बेहतर दर की उम्मीद थी, लेकिन अधिक आपूर्ति के कारण यील्ड बढ़ गई।’ फरवरी में प्रमुख बॉन्ड जारीकर्ताओं में नाबार्ड, सिडबी, पीएफसी, आरईसी, एनएचबी आदि हैं।

First Published - March 7, 2025 | 11:32 PM IST

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