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कुछ ऐसे करें वित्त वर्ष की शुरुआत

Last Updated- December 10, 2022 | 10:03 PM IST

अब आप थोड़ी राहत महसूस कर रहे होंगे कि आयकर बचत से संबंधित सभी काम निपट गए हैं। हो सकता है कि आपने अपना आयकर रिटर्न भी दाखिल कर दिया हो।
इन सब से निपटने के बाद अब आप कुछ समय तक चिंताकुक्त रहना चाहते होंगे। लेकिन, जरा रुकिए। अभी कुछ और काम करना बाकी है। आने वाले साल के लिए वित्तीय योजना बनाना अभी से शुरू कर दीजिए। यह कहावत आपने सुनी होगी कि, समय पर काम शुरू करने का मतलब है है कि आधा काम पूरा हो गया।
वित्त वर्ष की शुरुआत का समय काफी महत्वपूर्ण है। इस समय वित्तीय योजना तैयार करने से दो फायदे होंगे। पहला, साल के अंत में आपको आयकर बचत संबंधी निवेश के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। दूसरा, निवेश पर लाभ भी अधिकतम मिलेगा। वित्त वर्ष की शुरुआत में निम्लिखित कुछ बातों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
वित्तीय योजना
सबसे पहले एक सुव्यवस्थित वित्तीय योजना की जरूरत होती है। व्यक्तिगत निवेशकों के लिए यह आवश्यक है ताकि सभी वित्तीय गतिविधियां साल के दौरान आसानी से चलती रहें। वित्तीय योजना में सभी निवेशों, कर बचत, बीमा और सेवानिवृत्ति आदि की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। इसमें बीमा से लेकर निवेश तक शामिल किया जाना चाहिए।
पहली नजर में यह वित्तीय योजना अतिरिक्त खर्चे जैसी लग सकती है क्योंकि कोई भी पेशेवर आपके इस काम के लिए 5,000 से 25,000 रुपये तक की फीस ले सकता है। हालांकि, आप बिना किसी बाहरी व्यक्ति के मदद के भी अपनी वित्तीय योजना तैयार कर सकते हैं। इसका सबसे सरल तरीका यह है कि आप साल भर की अपनी सभी जरूरतों और गतिविधियों की एक सूची बना लें।
इस सूची में तारीख के हिसाब से निवेश और भुगतान का जिक्र करें। इससे कई लाभ हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, बीमा प्रीमियम सही समय पर देने का मतलब होगा कि आप विलंब शुल्क की बचत करेंगे। सबसे बड़ी बात कि समय पर प्रीमियम का भुगतान करने से आपका बीमा कवर समाप्त नहीं होगा।
आप समय पर क्रेडिट कार्ड का बिल देने में सक्षम होंगे और अनावश्यक ब्याज देने से बच जाएंगे। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि क्रेडिट कार्ड बिल की न्यूनतम राशि का भुगतान आप समय पर नहीं करते हैं तो आपको 300 से 500 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है।
इसके अतिरिक्त, मान लीजिए कि आपकी बकाया राशि 20,000 रुपये है तो इस पर 3.41 प्रतिशत का ब्याज भी देना होगा। यह आंकड़ा बदल भी सकता है लेकिन यह सच है कि आपको ज्यादा कीमत चुकानी होती है।
पीपीएफ में करें निवेश
वित्त वर्ष की शुरुआत में जो काम सबसे पहले किए जाने की जरूरत है, वह है पब्लिक प्रोविडेंट फंड खाते (पीपीएफ) में निवेश। वह भी पांच तारीख से पहले। पांच तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्याज उसी राशि पर दिया जाता है जिसे पांच तारीख तक निवेश किया गया हो।
अब सवाल उठता है कि पीपीएफ में कितनी राशि का निवेश करना चाहिए? अगर आप सक्षम हैं तो पूरे 70,000 रुपये का निवेश पांच तारीख से पहले पीपीएफ(पीपीएफ में एक साल में निवेश की जाने वाली अधिकतम राशि) में कर डालिए।
अगर कोई निवेशक एक दिन बाद निवेश करता है तो उसे 467 रुपये गंवाने पड़ सकते हैं। यह राशि छोटी दिखती है लेकिन याद रखिए यही छोटी राशि अगर जुड़ती जाए तो बेहतर प्रतिफल पाना सुनिश्चित हो पाता है।
सिप से जोड़ें नाता
वित्त वर्ष की शुरुआत योजनाबध्द निवेश योजनाओं (सिप) में निवेश आरंभ करने का उपयुक्त समय है। यह एक नये निवेश के रूप में हो सकता है या फिर पिछले सिप को जारी रखने के रूप में। महीने की शुरुआत में ही इस पर अमल आवश्यक है ताकि सिप का भुगतान महीने के अंत की बजाय शुरू में ही हो जाए।
अगर आप किसी ऋण फंड में भी निवेश कर रहे हैं तो महीने की शुरुआत में निवेश करने का तुक बनता है। इससे आपकी निवेशित रकम में बढ़ोतरी अपेक्षाकृत अधिक होगी।
उदाहरण के लिए, अगर कोई निवेशक महीने के अंत में 5,000 रुपये का निवेश करता है और उसे 8 प्रतिशत वार्षिक का प्रतिफल मिलता है तो 10 साल बाद उसे 1,82,945 रुपये प्राप्त होंगे। अगर यही निवेशक महीने के आरंभ में भुगतान करता है तो प्राप्त होने वाली राशि 1,84,165 रुपये की होगी।
कर योजनाओं का प्रारंभ
यह सबसे महत्वपूर्ण काम है। आयकर की योजनाओं पर अभी से अमल करना शुरू कर दीजिए। वित्त वर्ष की शुरुआत में कंपनियों का मानव संसाधन विभाग साल भर के आयकर बचत संबंधी निवेश की पूछताछ कर्मचारियों से शुरू कर देता है।
कर्मचारी की आयकर योजना के अनुसार ही नियोक्ता उसके मासिक वेतन में से कटौती करता है। नियोक्ता के इस फॉर्म को आप तब तक नहीं भरना चाहेंगे जब तक आपकी इस संबेध में कोई योजना न हो।
अगर आप आयकर बचत के लिए कम निवेश का जिक्र करते हैं तो नियोक्ता कर के तौर पर आपके वेतन से ज्यादा राशि की कटौती करेगा। उदाहरण के लिए, अगर प्रोविडेंट फंड की कटौती के बाद 40,000 से 50,000 रुपये का निवेश किया जाना है तो नियोक्ता को जब तक वास्तविक जानकारी नहीं मिलती वह 1,000 से 1,250 रुपये प्रति माह काटना जारी रखेगा।
परिस्थितियां तब ज्यादा बुरी हो सकती हैं जब आप आयकर बचत के निवेश के लिए एक खास रकम की घोषणा करते हैं और आप ऐसा कर नहीं पाते। ऐसे में वित्त वर्ष के अंतिम कुछ महीनों में आपको भारी कटौती झेलनी पड़ सकती है। दीर्घावधि के लिए यह आपकी वित्त व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
लेखक प्रमाणित वित्तीय योजनाकार हैं।

First Published - March 29, 2009 | 11:00 PM IST

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