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लेंडिंग ऐप्स पर अचानक प्रतिबंध लगाने से फिनटेक कंपनियां सकते में

Last Updated- February 07, 2023 | 10:30 PM IST
ऑनलाइन लोन बांटने से जुड़ी चीनी कंपनियों के खिलाफ जांच जारी , Investigation continues against Chinese companies involved in online loan distribution

भारत में ऑनलाइन कर्ज मुहैया करने वाले मोबाइल ऐप्लिकेशन और वित्त-तकनीक (Fintech) क्षेत्र की कंपनियां सरकार के एक निर्णय से अवाक हैं। इसकी वजह यह है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बिना कोई कारण बताए ऑनलाइन कर्ज देने वाले ऐप एवं वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।

डिजिटल लेंडिग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डीएलएईई) को भी सरकार को इस कदम की पहले से कोई जानकारी नहीं थी। सरकार के कदम पर डीएलएआई ने एक बयान में कहा, ‘एक संगठन के तौर पर मंत्रालय की तरफ से हमें इस संबंध में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है। मंत्रालय ने न तो किसी डिजिटल लेंडिंग ऐप पर प्रतिबंध लगाने की जानकारी दी है और न ही फर्जीवाड़े आदि के बारे कोई चेतावनी दी थी।‘

इस बारे में ऑनलाइन उधारी उद्योग के एक प्रतिनिधि ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि उन्हें सरकार के इस कदम के बारे में रत्ती भर भी जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘हमें लगा कि सरकार ने चीन समर्थित ऐप के खिलाफ कदम उठाया है। ऑनलाइन उधारी उद्योग से जुड़े संगठन और कंपनियां मंत्रालय के साथ संवाद कर रहे हैं। मगर अब तक हमें यह पता नहीं चल पाया है कि सरकार ने यह कदम क्यों उठाया है।‘

मंत्रालय ने जिन ऐप पर प्रतिबंध लगाए हैं उनमें इंडियाबुल्स होम लोन्स, एमपॉकेट, फेयरसेंट और क्रेडिटबी, पेयू, किस्त आदि शामिल हैं।

कई इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने इन ऐप तक पहुंच रोक दी है मगर सूत्रों के अनुसार गूगल मंत्रालय के इस निर्देश का अध्ययन कर रही है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘सरकार ने गूगल को इन ऐप को प्ले स्टोर से हटाने के लिए कहा है। कंपनी फिलहाल सरकार के निर्देश का अध्ययन कर रही है। पूरी समीक्षा के बाद गूगल इन ऐप को हटाने के बारे में निर्णय लेगी। गूगल ने इस विषय पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।’

इस बीच, मंत्रालय के इस निर्णय के बाद ऑनलाइन उधारी उद्योग में अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है और फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं लग रही है।

लेंडिंग ऐप किस्त के संस्थापक रणवीर सिंह ने कहा, ‘हमें इस बात की सूचना मिली है कि गूगल को कुछ ऐप को प्ले स्टोर से हटाने का निर्देश दिया गया है। गूगल को थमाई गई सूची में हमारी कंपनी का नाम भी है। हमें यह नहीं मालूम कि सरकार ने यह कदम क्यों उठाया है। हम इस मामले पर अधिकारियों के साथ बातचीत करने वाले हैं। किस्त में कोई भी चीन से हिस्सेधारक नहीं है।‘

सिंह ने कहा कि उनका ऐप अभी पूरे देश में ठीक ढंग से काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमें सरकार की तरफ से अब कोई औपचारिक जानकारी नहीं मिली है मगर हमें इस मामले की पूरी जानकारी मिल चुकी है। हम इस विषय पर संबंधित अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने की गुजारिश करेंगे। हमें पूरी उम्मीद है कि इस मामले का समाधान जल्द निकल जाएगा और सेवाओं में किसी तरह की बाधा नहीं आएगी।’

वित्त-तकनीक क्षेत्र की एक दूसरी कंपनी के संस्थापक ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि कहा कि किसी को भी नहीं मालूम कि सरकार ने यह कदम क्यों उठाया है।

उन्होंने कहा, ‘कोई नहीं जानता कि यह मामला चीन के ऐप से जुड़ा है या कोई और बात है। कंपनियां और इस उद्योग से जुड़े संगठन मंत्रालय से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।’

सूत्रों ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय 6 फरवरी से धन शोधन में कथित संलिप्तता और देश की वित्तीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई ऐप पर प्रतिबंध लगा रहा है जिनमें चीन के ऐप भी शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय के नोडल अधिकारी से संकेत मिलने के बाद मंत्रालय ने चीन से संबद्ध अवैध ऐप के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। डीएलएआई ने एक बयान में कहा कि संगठन के सदस्य सभी नियमों का पालन कर रहे हैं।

संगठन ने बयान में कहा, ‘हम डिजिटल लेंडिंग और फिनटेक क्षेत्र के विकास में पूरी जिम्मेदारी के साथ सहयोग कर रहे हैं। हम देश में लोगों के एक बड़े समूह तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाना चाहते हैं। हमारे संगठन के 90 से अधिक सदस्य अनिवार्य आचार संहिता का पालन करते हैं और इसके साथ ही विभिन्न नियामकों द्वारा तय दिशानिर्देशों का भी पूरा सम्मान करते हैं।’

जून 2020 में सरकार ने इसी तरह की पहल करते हुए चीन से ताल्लुक रखने वाले 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिय़ा था। इनमें टिकटॉक, यूसी ब्राउजर सहित कई ऐप शामिल थे।

मोबाइल लेंडिंग ऐप ग्राहकों से कुछ बुनियादी जानकारियां लेने के बाद 10,000 रुपये तक के ऋण तत्काल देते हैं।

First Published - February 7, 2023 | 10:30 PM IST

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