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गैस से मजबूत होती जीपीएसएल की सेहत

Last Updated- December 10, 2022 | 1:07 AM IST

उथल-पुथल से भरे इस दौर में कुछेक ही कंपनियां हैं, जिनका भविष्य कमाई और मुनाफे के मामले में चमकदार दिखाई दे रहा है। उन्हीं में से एक है गुजरात स्टेट पेट्रोनेट (जीएसपीएल), जो देश की इकलौती प्राकृतिक गैस ट्रांसमिशन कंपनी है।
हालांकि, पिछले कुछ महीनों में इसे कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा है, लेकिन रिलायंस के केजी बेसिन से उत्पादन की शुरुआत होने और एलएनजी क्षमताओं में विस्तार की वजह से कंपनी फिर से मजबूत होती दिखाई दे रही है।
मजबूत कारोबार

गुजरात सरकार के पास जीएसपीसी (जीएसपीएल, इसी कंपनी का हिस्सा है) और दूसरी सरकारी कंपनियों के जरिये इस कंपनी की 49.2 फीसदी की हिस्सेदारी है। जीएसपीएल के पास आज की तारीख में 1,130 किलोमीटर लंबी पाइपलाइनें हैं।
साथ ही, 500 किमी की पाइपलाइन पर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसके अलावा, कंपनी 400-500 किमी की पाइपलाइन के बारे में योजना बना रही है। 

कंपनी ‘ओपेन एक्सेस’ नीति के तहत कारोबार कर रही है। मतलब, कोई भी कंपनी इसके जरिये एक निश्चित फीस चुका कर गैस को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती है।
लंबी अवधि के सौदे के तहत यह कंपनी 5 से 25 साल के लिए कॉन्टै्रक्ट करती है। यही इसकी कमाई का सबसे बड़ा जरिया है। इसके अलावा कंपनी छोटी अवधि के लिए भी कंपनियों से सौदा करके पैसे कमाती है।
फैलता कारोबार 

जीएसपीएल आज की तारीख में 16 एमएमएससीएमडी (मिलियन मेट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर पर डे) गैस को एक से दूसरी जगह ले जाती है। उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में यह मात्रा बढ़कर 20 एमएमएससीएमडी तक हो जाएगी।
कंपनी तो अब टोरेंट पॉवर के साथ 20 साल का सौदा भी कर चुकी है, जिसके तहत वह टॉरेंट पावर के 1150 मेगावॉट के पावर प्लांट के लिए पांच एमएमएससीएमडी गैस मुहैया करवाएगी। इस प्लांट के अप्रैल, 2009 से चालू होने की उम्मीद है।
साथ ही, रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी कंपनी ने एक सौदा किया है, जिसके तहत जीएसपीएल  11 एमएमएससीएमडी गैस को आरआईएल के जामनगर स्थित रिफाइनरी में ले जाएगी। हालांकि, विश्लेषकों के मुताबिक गैस उपभोग नीति के तहत शुरुआती 40 एमएमएससीएमडी गैस को उवर्रक और बिजली कंपनियों को देना जरूरी है।
लेकिन अंदरुनी इस्तेमाल पर यह नीति खामोश है, इसीलिए इसके जरिये जामनगर रिफाइनरी में गैस का पहुंचना अगले वित्त वर्ष के अंत तक ही मुमकिन हो पाएगा। वैसे, वित्त वर्ष 2011 से उम्मीद है कि जीएसपीएल से गुजरने वाली गैस की मात्रा दोगुनी होकर 31-32 एमएमएससीएमडी हो जाएगी।
फिक्र की बातें 

कुछ दिनों पहल नाप्था जैसे ऊर्जा के दूसरे स्रोतों की कीमतों में गिरती मांग की वजह से काफी गिरावट आई थी। इससे कंपनी के मुनाफे और कमाई पर असर पड़ने लगा था।
 
हालांकि, इसका अभी तक तो बही-खातों पर नहीं पड़ा है। तीसरी तिमाही के नतीजों के मुताबिक कंपनी के मुनाफे में 9 फीसदी का और कमाई में 6 फीसदी का इजाफा हुआ है।

First Published - February 15, 2009 | 10:23 PM IST

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