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अधिग्रहण के रास्ते विकास

Last Updated- December 07, 2022 | 1:42 AM IST

कांट्रेक्ट रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (सीआरएएमएस) कंपनी जुबिलैंट आर्गे-नोसिस राजस्व में इजाफे के लिए अपनी विस्तार योजनाओं और आउटसोर्सिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है।


कंपनी को फार्मास्युटिकल्स और लाइफ साइंस प्रॉडक्ट्स बिजनेस में विकास की उम्मीद है। इस बिजनेस के दायरे में सीआरएएमएस, ड्रग्स डिस्कवरी और डोसेज फार्म्स आते हैं। वास्तव में इंडस्ट्रीयल और परफार्मेंस केमिकल बिजनेस का कंपनी के कुल टर्नओवर में बड़ा योगदान होता था।

वित्तीय वर्ष 2004 में इसकी हिस्सेदारी 64 प्रतिशत थी, लेकिन अब यह गिरकर महज 38 प्रतिशत ही रह गई है। इसी परिणाम के चलते कंपनी ने बल्क कैमिकल क्षेत्र से हेल्थकेयर वेल्यू चेन के क्षेत्र में कदम रखने का निर्णय लिया।

उत्साहजनक वृध्दि

कंपनी को हेल्थकेयर के क्षेत्र में विदेशी ग्राहकों से प्रोप्रिएटरी प्रॉडक्ट्स निर्माण के कई करार मिले हैं। इसके चलते वित्तीय वर्ष 2008 में उसका मार्जिन बढ़कर 9.2 करोड़ डॉलर हो गया। पिछले साल कंपनी ने 488 करोड़ में अमेरिकी कांट्रेक्ट मैन्युफैक्चरर कंपनी होलिस्टर-स्टेइर का अधिग्रहण किया था। इस स्टेराइल इंजेक्टेबल यूनिट की क्षमता इस वित्तीय वर्ष में 4.8 करोड़ शीशी प्रतिवर्ष से बढ़कर 12 करोड़ शीशी प्रतिवर्ष हो गई है।

उम्मीद है कि इससे वर्तमान और नए ग्राहकों से मिलने वाले राजस्व में वृध्दि होगी। एसिटिल प्रॉडक्ट्स की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कंपनी के औद्योगिक केमिकल क्षेत्र में अपनी क्षमताओं में विस्तार किया है। यह प्रॉडक्ट्स कई उद्योगों में इंटरमिडिएट के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कंपनी को इस साल इस एसिटिल की कीमत में इजाफे की उम्मीद है।

यह जारी 2009 में उसके राजस्व में बढ़ोतरी कर सकता है। उसे इस वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुकूल सब्सिडी नीति और उदयपुर(राजस्थान) के प्लांट का उत्पादन बढ़ने से सिंगल फॉस्फेट(उर्वरक) से मिलने वाले राजस्व के दोगुना होने की उम्मीद है। वित्तीय वर्ष 2009 में कंपनी दो नए क्षेत्रों में विस्तार कर रही है। इसमें 750 करोड़ रुपये व्यय होंगे।

उसकी सीआरएएमएस (हॉलिस्टर स्टाइर विस्तार) में 320 करोड़ रुपये के विस्तार की योजना है। साथ ही कंपनी 70 करोड़ रुपये सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक पर,150 करोड़ रुपये एसिटिल प्रॉडक्ट्स पर और 125 करोड़ रुपये रिसर्च और डेवलपमेंट पर निवेश करेगी। उसकी 1,000 बिस्तरों वाले 5-6 अस्पताल खोलने की योजना है। इसके वित्तीय वर्ष 2009 में ही साकार रूप लेने की उम्मीद है।

अधिग्रहण

कंपनी की अधिग्रहण की योजनाएं जारी हैं। 2002 से लेकर अब तक वह 6 कंपनियों का अधिग्रहण कर चुकी है। अप्रैल 2008 में जुबलिएंट ने 25.5 करोड़ डॉलर(1,020 करोड़ रुपये) की लागत से उत्तरी अमेरिकी हेल्थकेयर कंपनी ड्रॉक्सिस हेल्थ का अधिग्रहण किया। इसके लिए कंपनी डिबेट और केश इन हैंड के जरिए फंड जुटाएगी। हाल-फिलहाल वह 525 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।

ड्रॉक्सिस से कंपनी की अधिक मार्जिन वाले रेडियो फर्मास्युटिकल क्षेत्र में इंट्री होगी, जिसका उपयोग निदान और उपचार में होता है। जुबलिएंट का दावा है कि इस अधिग्रहण से  वह कांट्रेक्ट मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में नंबर वन और उत्तरी अमेरिका में शीर्ष पांच कंपनियों में शुमार हो गई है। ड्रॉक्सिस की कांट्रेक्ट मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों से साफ है कि उसे स्थाई राजस्व मिलता रहेगा।

वित्तीय वर्ष 2007 में ड्रॉक्सिस का ऋण मुक्त राजस्व 320 करोड़ था। उसके पास इस समय जॉनसन एंड जॉनसन(जे एंड जे), जीई हेल्थकेयर और ग्लैक्जोस्मिथक्लाइन के साथ कई अहम क्लाइंट हैं। डॉक्सिस ने पिछले साल जे एंड जे कंज्युमर के साथ ब्रॉडबैंड पोर्टफोलियो वाले प्रॉडक्ट की सप्लाई का 5 साल का करार किया है। यह सप्लाई वर्ष 2009 से शुरु होगी।

निवेश की योजनाएं

कंपनी को वित्तीय वर्ष 2008 में मिले 2,488 करोड़ रुपये के निवेश में से 61 प्रतिशत फार्मा और लाइफसाइंस क्षेत्र से आया। 2007 की तुलना में इसमें 71 प्रतिशत का इजाफा हुआ। यह वृध्दि में हॉलिस्टर स्टेइर (सीआरएएमएस राजस्व 1,130 करोड़ का 21 प्रतिशत) और क्षमता विस्तार के चलते संभव हो सका। इस विस्तार में बिक्री और ग्राहक संख्या में वृध्दि उल्लेखनीय है।

सिंगल फास्फेट के जरिए कंपनी को वित्तीय वर्ष 2008 में 80 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। नई यूनिट लगने से अब इसके दोगुना होने की संभावना है। ड्रॉक्सिस से प्राप्त राजस्व में वृध्दि, हॉलिएस्टर के क्षमता विस्तार और इंडस्ट्रीयल व परफार्मेंस केमिकल बिजनेस में ऊंची वृध्दि की संभावनाओं के चलते कंपनी का राजस्व वित्तीय वर्ष 2009 में बढ़कर 3,500 करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है। वर्तमान में कंपनी का शेयर 355 पर उपलब्ध है। यह वित्तीय वर्ष 2010 में उसकी आय 28.65 रुपये का 12.4 गुना है। इससे अगले 15 माह में 29 प्रतिशत रिटर्न की उम्मीद है।

First Published - May 26, 2008 | 12:59 AM IST

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