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नौकरी गई और मुआवजा मिला तो कैसे लें कर छूट

Last Updated- December 12, 2022 | 5:38 AM IST

महामारी की वजह से पैदा अवरोधों के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में बहुत से लोगों की नौकरियां चली गईं। ऐसे व्यक्ति को नौकरी से हटाए जाते समय अपने नियोक्ता से मिले हर्जाने की रकम कर के दायरे में आती है। इस मुआवजा राशि को कर्मचारी का वेतन माना जाता है और इस पर उसकी आयकर श्रेणी के हिसाब से कर लगता है। हालांकि वह कर्मचारी आयकर नियम, 1962 के नियम 21ए के अनुसार आयकर अधिनियम की धारा 89 के तहत इस आमदनी पर कर राहत का दावा कर सकता है।
धारा 89 में नौकरी से निकाले जाने पर मिले मुआवजे के अलावा अन्य कई तरह की आमदनी पर कर राहत की मंजूरी दी गई है। विकास मित्तल ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर चार्टर्ड अकाउंटेंट विकास मित्तल कहते हैं, ‘यह आमदनी बकाये या अग्रिम के रूप में मिला वेतन, पेंशन का बकाया, भविष्य निधि की परिपक्वता से पहले निकासी, ग्रैच्युटी और कम्यूटेड पेंशन हो सकती है।’
शर्तें लागू
अगर इस्तीफे, बर्खास्तगी, अनिवार्य सेवानिवृत्ति या सुपरएन्यूएशन जैसी वजहों से व्यक्ति का रोजगार जाने पर हर्जाना मिला है तो वह राहत प्राप्त करने का हकदार है। यह राहत प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को कुछ निश्चित शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं। हॉस्टबुक्स के संस्थापक और चेयरमैन कपिल राणा ने कहा, ‘नियम 21ए (1)(सी) और 21ए(4) के प्रावधानों के मुताबिक कोई व्यक्ति उस स्थिति में प्राप्त या प्राप्त होने वाले हर्जाने पर धारा 89 के तहत राहत पाने का हकदार होगा, जब उसने लगातार तीन साल या उससे अधिक सेवाएं दी हैं और उसकी नौकरी का बचा हुआ समय तीन साल या उससे अधिक है।’ ग्रैच्युटी के रूप में प्राप्त राशि पर भी राहत हासिल की जा सकती है। यह केवल तभी मिलती है, जब कर्मचारी पांच साल की सेवा पूरी कर चुका है। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा ने कहा, ‘अगर कर्मचारी को प्राप्त ग्रैच्युटी कर छूट के लिए पात्र है तो छूट प्राप्त हिस्से पर कोई राहत नहीं मिलेगी। छूट से अधिक राशि के हिस्से को सकल वेतन आय में शामिल किया जाता है और राहत हासिल करने के लिए पात्र है। अगर पूरी ग्रैच्युटी कर मुक्त है तो कोई राहत नहीं मिलेगी।’
राहत का कौन कर सकता है दावा
अगर कोई कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से प्राप्त मुआवजे पर धारा 89 के तहत राहत का दावा करता है तो उसे अन्य कोई छूट नहीं मिलेगी। वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मुआवजे पर पांच लाख रुपये तक की छूट का दावा कर सकता है। वाधवा कहते हैं, ‘कर्मचारी या तो पांच लाख रुपये तक की छूट या धारा 89 के तहत राहत का दावा कर सकता है, दोनों का नहीं।’
फॉर्म 10ई भरें
कर्मचारी को उस साल का आयकर रिटर्न भरते सय राहत का दावा करना चाहिए, जिसमें उसे एकमुश्त रकम मिली है। इस उद्देश्य के लिए उसे फॉर्म 10ई भरने की जरूरत है। मित्तल कहते हैं, ‘यह फॉर्म आयकर रिटर्न भरने से पहले दाखिल किया जाना चाहिए।’ यह फॉर्म आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल पर ऑनलाइन भरा जा सकता है। बीते वर्षों के दौरान उन बहुत से करदाताओं ने धारा 89 के तहत राहत का दावे किए हैं, लेकिन फॉर्म 10ई नहीं भरे, उन्हें आयकर विभाग से नोटिस मिले हैं। अगर आप यह महसूस करते हैं कि आप इसे खुद नहीं भर सकते तो नोटिस से बचने के लिए पेशेवर सलाह लें।

First Published - April 21, 2021 | 8:12 PM IST

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