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बीमा कंपनियों की निगाह सरकार की नई स्वास्थ्य योजनाओं पर

Last Updated- December 05, 2022 | 5:08 PM IST

गैर-जीवन बीमा कंपनियां 23 लाख अवकाशप्राप्त तथा मौजूदा केंद्रीय कर्मचारियों और उनके परिवार वालों के लिए प्रस्तावित 1,000 करोड़ रुपये की स्वास्थ्य बीमा योजना में हिस्सेदारी लेने को बेताब हैं।


बीमा कंपनियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक किसी एक बीमा कपंनी के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रबंधन करना काफी मुश्किल होगा। इसलिए इस योजना के लिए बीमा कंपनियों से एक समूह का गठन करने को कहा जाएगा। योजना को स्थान के आधार पर बांटा जा सकता है।


बहरहाल, स्वास्थ्य बीमा योजना को पूरे देश में लागू किया जाना है। इस योजना में सेना और रेल के कार्मिकों को छोड़कर करीब 17 लाख कर्मचारी और 6 लाख पेंशनभोगी शामिल किए जाएंगे। हालांकि पहले से काम कर रहे कर्मचारियों के लिए यह योजना एक विकल्प के रूप में होगी। लेकिन नए कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए यह योजना अनिवार्य होगी। इसके अलावा यह योजना उन लोगों के लिए भी आवश्यक होगी जिनकी नई भर्तियां होने वाली है या फिर जो सेवानिवृत्त होने वाले हैं।


हालांकि इसके बाद नए कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को सीजीएचएस की सेवा मुहैया नहीं कराई जाएगी। यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य बीमा योजना को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के समकक्ष ही चलाई जाएगी।बीमा कंपनियों ने बताया कि कार्मिक मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और पीएमओ के अधिकारी स्वास्थ्य योजना को लागू करने के लिए उनसे पिछले तीन साल से बातचीत कर रहे हैं। प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत निवारण विभाग (एआरपीजी) को  इस योजना को लागू करने का अधिकार दिया गया है।


बीमा कंपनियों ने एआरपीजी के समक्ष यह प्रस्ताव रखा है कि ऑउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट सर्विसेज में कैशलेस हॉस्पिटेलाइजेशन योजना कर पेशकश की जाए। इस योजना के तहत गंभीर बीमारियों को भी शामिल किया जाएगा। बीमा कंपनियां कर्मचारियों के लिए अस्पताल संबंधी खर्चे को कवर करने के लिए 3 लाख रुपये और कार्पोरेट फ्लोटर को कवर करने के लिए  2 लाख रुपये मुहैया कराएगी।


हालांकि मंत्रालय का कहना है कि कॉर्पोरेट फ्लोटर को कवर करने के लिए बीमा कंपनी 10 लाख रुपये मुहैया कराए।मंत्रालय ऐसा इसलिए कह रही है क्योंकि हॉस्पिटेलाइजेशन कवर के खत्म हो जाने के बाद भी कॉर्पोरेट फ्लोटर एक अतिरिक्त कवर के रूप में काम करता रहेगा।बहरहाल, सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय सीजीएचएस से आईपीडी (इनपेशेंट विभाग सुविधाएं) को अलग करने का मन बना रहा है।


गौरतलब है कि पूरे देश में सीजीएचएस सिर्फ 24 शहरों में ही मौजूद है। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों की करीब 20 से 30 फीसदी आबादी गैर-सीजीएचएस इलाके में निवास करती है। जिन इलाकों में सीजीएचएस की सुविधाएं मौजूद नहीं है, वहां रहने वाले पेंशनभोगी हर महीने मेडिकल खर्चों के लिए अंशत: 100 रुपये चुकाते हैं।


गैर-सीजीएचएस इलाकों में रहने वाले पेंशनभोगी की मांग है कि सरकार उन्हें अतिरिक्त भत्ता मुहैया कराए। उनका कहना है कि कार्यरत कर्मचारियों को स्वास्थ्य संबंधी जितनी सुविधाएं दी जाती है, उतना ही पेंशनभोगियों को उनके चिकित्सा व्यय की वापसी की जाए। इसमें कोई शक नहीं कि स्वास्थ्य बीमा योजना के लागू होने से गैर-सीजीएचएस इलाकों में रहने वाले पेंशनभोगियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।

First Published - March 27, 2008 | 12:28 AM IST

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