कामकाजी महिलाएं जीवन बीमा पॉलिसी लेने में पुरुषों से आगे निकल गई हैं। इंडिया प्रोटेक्शन कोशिएंट (आईपीक्यू) सर्वे के मुताबिक 79 फीसदी कामकाजी महिलाओं ने जीवन बीमा कराया है, जबकि पुरुषों का हिस्सा 76 फीसदी है।
जीवन बीमा पॉलिसियां लेने के मामले में कुल मिलाकर महिलाओं की संख्या बढ़ी है। आईपीक्यू 1.0 में उनकी संख्या 59 फीसदी थी, जो आईपीक्यू 6.0 में बढ़कर 73 फीसदी हो गई।
कामकाजी महिलाएं सावधि बीमा लेने के मामले में भी तेजी से आगे बढ़ी हैं और सावधि योजना को लेकर पुरुषों व महिलाओं के बीच अंतर कम हुआ है। आईपीक्यू 6.0 सर्वे के मुताबिक 35 फीसदी कामकाजी महिलाओं ने सावधि बीमा पॉलिसी ली है, जबकि शहरी इलाकों में पुरुषों का हिस्सा 33 फीसदी है।
बहरहाल गृहिणियां इस मामले में पीछे हैं और सिर्फ18 फीसदी के पास सावधि बीमा है। सर्वे से यह संकेत मिलता है कि महिलाओं को अपनी वित्तीय स्थिति पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए गहन कार्रवाई की आवश्यकता है।
मैक्स लाइफ के सीईओ और प्रबंध निदेशक प्रशांत त्रिपाठी ने कहा, ‘हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, ऐसे में यह महत्त्वपूर्ण है कि महिलाओं की वित्तीय तैयारियां नजर आएं। हाल का आईपीक्यू 6.0 सर्वे इस बात को रेखांकित करता है कि महिलाओं ने जीवन बीमा निवेश के माध्यम से सक्रिय रूप से अपनी वित्तीय भलाई सुनिश्चित करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।’
आगे उन्होंने कहा कि सर्वे से वित्तीय जागरूकता में लैंगिक भेदभाव का पता चलता है। महिलाओं को अपनी वित्तीय स्थिति पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए गहन कार्रवाई की आवश्यकता है। इसलिए उद्योग को मिल जुलकर कार्रवाई करने की जरूरत है, जिससे सबके लिए बीमा के समावेशी दृष्टिकोण को पूरा करने में मदद मिल सके।
जीवन बीमा के मालिकाना में सकारात्मक धारणा के बावजूद सर्वे में वित्तीय तैयारियो को लेकर उल्लेखनीय लैंगिक भेदभाव नजर आता है। सर्वे के मुताबिक शहरी इलाकों में वित्तीय सुरक्षा के मामले में 46 अंक के साथ पुरुष आगे निकल गए हैं, जबकि कुल मिलाकर शहरी इलाकों में औसत 45 अंक का है। जीवन बीमा को लेकर जागरूकता में भारी अंतर के कारण शहरी इलाकों में महिलाओं और पुरुषों की वित्तीय सुरक्षा में अंतर नजर आ रहा है। इसकी जानकारी के सूचकांक में पुरुषों को 64 अंक मिले हैं, जबकि 54 अंक के साथ महिलाएं पीछे हैं।
सर्वे के मुताबिक शहरी भारतीय महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा का स्तर पहली बार 40 अंक के पार गया है, जो पिछले 6 साल में 33 से 41 अंक पर पहुंचा है। आईपीक्यू 6.0 के मुताबिक महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा 64 फीसदी पर बनी हुई है, जो अभी महामारी के पहले के आईपीक्यू 1.0 के 65 फीसदी से नीचे है।
हालांकि गृहिणियों की वित्तीय सुरक्षा में मामूली गिरावट आई है और यह आईपीक्यू 5.0 के 38 अंक से गिरकर आईपीक्यू 6.0 में 36 पर आ गया है। इससे वित्तीय बेहतरी के लिए कदम उठाने की जरूरत का पता चलता है। इसके विपरीत कामकाजी महिलाओं का प्रोटेक्शन कोशेंट आईपीक्यू 5.0 के 43 से बढ़कर आईपीक्यू 6.0 में 47 हो गया है।