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भारत-पाकिस्तान तनाव का असर: बीमा कंपनियों से वॉर कवर की पूछताछ बढ़ी

बीमा ब्रोकरों ने बताया कि विमानन और समुद्री पॉलिसियों के अलावा आमतौर पर बीमा पॉलिसी में वॉर (युद्ध) को शामिल नहीं किया जाता है।

Last Updated- May 13, 2025 | 9:47 AM IST
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उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बीते कुछ हफ्तों से भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण भारतीय कंपनियां और लोग वॉर कवर के बारे में पूछताछ करने लगे हैं। बीमा ब्रोकरों ने बताया कि विमानन और समुद्री पॉलिसियों के अलावा आमतौर पर बीमा पॉलिसी में वॉर (युद्ध) को शामिल नहीं किया जाता है।

बीमा के जानकारों के मुताबिक, चूंकि जमीन पर ऐतिहासिक तौर पर बहिष्कृत होता है इसलिए परिसंपत्ति, आग और अन्य क्षेत्रों सहित वाणिज्यिक बीमा में वॉर कवर शामिल नहीं होता है। मगर वॉर कवर को समुद्री एवं कार्गो तथा विमानन क्षेत्र के लिए खरीदा जा सकता है।
दो पड़ोसी देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव के कारण ग्राहक अब बुनियादी ढांचे के लिए वॉर कवर संबंधी पूछताछ करने लगे हैं।

बीमाकर्ताओं का मानना है कि अगर युद्ध को वाणिज्यिक लाइन में शामिल किया जाए तो इससे बीमा कंपनियों को अधिक दावों का निपटान करना होगा, जिससे उन्हें नुकसान होगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि युद्ध जैसी स्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल होता है और बीमाकर्ताओं के लिए मॉडलिंग करना भी परेशानी भरा है।

एडमी इंश्योरेंस ब्रोकर्स के एसोसिएट डायरेक्टर (लायबिलिटी) रुशिक पटेल ने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान के तनाव के बाद हमारे कई ग्राहकों ने वॉर कवर संबंधी पूछताछ की है। दुर्भाग्य से इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला। दुनिया भर में परिसंपत्ति, देनदारी आदि पॉलिसियों में युद्ध मानक बहिष्करण है। इसलिए, युद्ध जैसी स्थिति में होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती है। महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का बीमा कराने में भारी भरकम रकम शामिल होती है और अगर नुकसान हो जाता है तो बीमाकर्ता के बही खातों पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है। इसलिए, इन्हें जानबूझकर बाहर रखा गया है।’

पॉलिसीधारकों की ओर से वॉर कवर संबंधी पूछताछ बढ़ने के साथ ही बीमा कंपनियां अब राजनीतिक हिंसा अथवा आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा के लिए वैकल्पिक कवर प्रदान करने का विचार कर रही हैं।

राजनीतिक हिंसा युद्ध जैसी स्थितियों के खिलाफ कवर प्रदान करती है और मौजूदा स्थिति में भी युद्ध की घोषणा नहीं की गई थी। यह तोड़फोड़ और आतंकवाद के तहत भी कवर प्रदान करता है। इसके अलावा इसमें खुलेआम आतंकी गतिविधियों का कवर भी शामिल होता है। अगर पॉलिसीधारक इनसे परे बीमा कवर चाहते हैं तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार से संपर्क करना होगा।

प्रूडेंट इंश्योरेंस ब्रोकर्स के वाणिज्यिक लाइन प्रमुख (लार्ज अकाउंट प्रैक्टिसेज) दीपक मदान ने कहा, ‘हाल के दिनों में चिंता काफी बढ़ गई है और इससे पूछताछ भी बढ़ी है। ग्राहक यह आकलन करना चाहते हैं कि क्या मौजूदा युद्ध जैसी स्थिति उनकी पॉलिसी के तहत कवर की गई है या नहीं। अगर ऐसा नहीं है तो वे यह जानना चाहते हैं कि कौन से वैकल्पिक समाधान मौजूद हैं। कॉरपोरेट जगत राजनीतिक हिंसा कवर अथवा आतंकवाद कवर सहित वैकल्पिक समाधानों की तलाश में हैं।’

इसके अलावा, बीमा कंपनियां बदलते घटनाक्रम पर अपनी पैनी नजर रखी हैं और नई पॉलिसियों अथवा रिन्यूअल्स की शर्तों में शब्दों को और अधिक स्पष्ट करने की भी संभावना है। डिस्ट्रीब्यूटरों का मानना है कि बीमा कंपनियां ऐसे वाक्यांश शामिल कर सकती हैं, जिससे बहिष्करण का दायरा बढ़ सकता है।

First Published - May 13, 2025 | 9:47 AM IST

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