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संकट की घड़ी में सोच-समझ कर करें निवेश

Last Updated- December 05, 2022 | 4:29 PM IST

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के उप-प्रबंध निदेशक और मृदुभाषी नीलेश शाह निलेश साह ने शोभना सुब्रमण्यम को बताया कि वर्तमान समय में बाजार में काफी जोखिम है। हालांकि यह कहना फिलहाल कठिन है कि बाजार में और कितनी गिरावट आ सकती है।



क्या सबप्राइम संकट भारत को व्यापक स्तर पर नुकसान पहुंचा सकता है?



फिलहाल बाजार की जो स्थिति है, उसमें हम केवल मूकदर्शक की भांति होने वाले उथल-पुथल को देखने को विवश हैं, क्योंकि वैश्विक संकट के बारे में कोई भी अनुमान लगाना आसान नहीं है। ऐसी स्थिति में हमें सचेत रहने की जरूरत है।


हां, अगर सावरेन फंडों को बैंक चेक के तौर पर मान्यता दे तो स्थिति में कुछ सुधार आ सकती है। लेकिन ऐसा उचित नहीं है और हमें कुछ अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा। मेरे सोचना है कि कुछ समय पहले जब तेजड़िये बाजार में बने हुए थे, तब अधिकांश लोगों ने सबप्राइम संकट को नजरअंदाज करने की भूल की थी। दरअसल, जब सेंसेक्स 21,000 के अंक तक पहुंच गया था, तब लोग सचेत तो थे, लेकिन उन्हें उ?मीद थी कि बाजार में ज्यादा से ज्यादा 15 फीसदी की गिरावट आ सकती है। यानी इतनी बड़ी गिरावट के बारे में किसी ने सोचा भी न था।



बाजार की इस स्थिति के बारे में अब आप क्या सोचते हैं?



संक्षेप में कहें तो बाजार तकनीक के आधार पर चल रहा है। अल्प और लंबी अवधि, दोनों को ध्यान में रखकर निवेशक करने वाले बेहतर स्थिति में हैं। इस समय नकद जमा सर्वाधिक है और फंडों के विकास के लिए बाजार में काफी तरलता है।


बचत और निवेश भी तकरीबन 30 फीसदी की दर से चल रहा है। रुपये की मजबूती लगातार बनी हुई है। ऐसे में भारत में सबप्राइम संकट का बहुत ज्यादा तो नहीं, लेकिन थोड़ा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। यह भी सच है कि देश 9 फीसदी की दर से विकास नहीं कर रहा है, लेकिन विकास दर अब भी 8 से 8.5 फीसदी के आस-पास है, जो कि अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है। हालांकि यह भी सच है कि बाजार में अप्रत्याशित जोखिम का खतरा भी बना हुआ है।



ये अप्रत्याशित जोखिम क्या हैं?



वर्ष 2008-09 के बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने किसानों के कर्ज को माफ करने की घोषणा की है। इससे बाजार पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है। दूसरा, ब्याज दरों में कटौती। दरअसल, बजट से पहले सभी यह मान रहे थे कि रिजर्व बैंक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ब्याज दरों में कटौती कर सकती है, क्योंकि भारत और अमेरिका के ब्याज दरों में काफी अंतर है।


हालांकि बजट के बाद रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करने के बजाए, फिलहाल बाजार का रुख देख रही है। अगर ब्याज दरों में कटौती की जाती है, तो बाजार में फिर से रौनक लौट सकती है। यही नहीं, अगर मानसून अच्छा रहने की भविष्यवाणी होती है, तो भी बाजार में सुधार आ सकता है। इसके साथ ही चुनाव पर भी बाजार का रुख निर्भर करता है। इसके साथ ही वैश्विक अनिश्चितता भी बाजार पर असर डालते हैं।


हालांकि इस संकट से उबरने के लिए अमेरिकी फेडरल बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की है, लेकिन बाजार पर इसका प्रभाव कब और किस प्रकार पड़ेगा इसके बारे में फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। अगर ये सभी तत्व सकारात्मक रहे, तो बाजार में फिर से सुधार देखा जा सकता है। इसके विपरीत अगर इसका प्रतिकूल असर पड़ा, तो बाजार में और गिरावट दर्ज की जा सकती है।



इस संकट की स्थिति में कंपनी के तिमाही नतीजे पर क्या असर पड़ सकता है?



स्थिति बड़ी विकट है। यही वजह है कि हमने अपने राजस्व अनुमानों में कटौती की है। बावजूद इसके प्रतिकूल स्थिति का खतरा बना हुआ है। अगर हम इंश्योरेंस, गैस रिजर्व और अन्य नॉन-प्रॉफिटेबल चीजों का व्यापार करें, तो 15.5 गुना व्यापार कर लाभ हासिल किया जा सकता है।



क्या विभिन्न स्तर पर मूल्यांकन करना उचित होगा?



समेकित रूप से देखें तो ऐसा करना ठीक होगा, लेकिन स्थिति अगर 911 जैसी हुई, तो ऐसा करना सही नहीं होगा। अगर ऐसी स्थिति रही तो हमें दस गुना व्यापार करना चाहिए, लेकिन वृद्धि दर 6 से 7 फीसदी तक रहेगा और ब्याज दर 10 से 11 फीसदी तक पहुंच सकता है। यही नहीं, हम विदेशी निवेश को भी आकर्षित नहीं कर पाएंगे।


हालांकि अभी स्थिति 911 जैसी नहीं है, इसलिए 15 गुना व्यापार करना उचित होगा। आंकड़े बताते हैं कि प्र्रमुख 200 कंपनियां 12 गुना से कम व्यापार करेंगी।



रिटेल क्रेडिट में भी गिरावट की बात से आप सहमत हैं?



यह सच है कि रिटेल क्रेडिट में भी गिरावट दर्ज की जा रही है और कंपनियां 10 से 15 फीसदी की दर से लाभ कमा पा रही हैं। ऐसे में हमें बजटीय सहायता की जरूरत है।
बजट में किए गए प्रावधानों से खपत को बढ़ावा मिल सकता है?
निश्चित रूप से। अगर किसी व्यक्ति का वेतन 500,000 है, तो उसकी आय में 5,000 रुपये की अतिरिक्त वृद्धि हो सकती है। ऐसे में मुद्रास्फीति को बढावा मिल सकता है। अगर उपभोक्ताओं को अतिरिक्त 5,000 रुपये नहीं मिले, तो लोगों को कुछ कटौती करनी पड़ सकती है।



रियल एस्टेट कंपनियों के बारे में आप क्या कहेंगे?



मुंबई के तकरीबन सभी इलाकों में प्रॉपर्टी के दाम में गिरावट आई है। ऐसे में डेवलपर्स अपनी जमीन को बेचने के बजाए कुछ समय के लिए रोक कर रख सकते हैं। हालांकि वे भी ऐसा बहुत समय तक नहीं कर सकते। डेवलपर से 50 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से मिलने वाली जमीन की कीमत रातोंरात 1000 रुपये प्रति वर्ग फुट हो सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि ऐसा कोई भी बिजनेस नहीं है, जिसमें आप 50 रुपये लगाकर 950 रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं।



दुनिया में सबसे अच्छा बाजार कहां है?



मेरे विचार से ब्राजील, क्योंकि इस संकट की घड़ी में भी वहां किसी तरह की गिरावट नहीं देखी गई है। शायद ईश्वर भी ब्राजील के साथ है। वहां तेल के बड़े भंडार का पता लगा है, जो कि शुभ संकेत है। भारत को दूसरे स्थान पर रखा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्राजील के पास अगर प्राकृतिक संसाधन हैं, तो भारतीयों में उद्यमिता कूट-कूट कर भरी हुई है।



तो क्या आप निवेशकों को यह सलाह देते हैं कि वे बाजार में पैसा लगाएं?



बहहुत से लोग पहले ही बाजार में निवेश कर चुके हैं और काफी नुकसान उठा चुके हैं। अभी भी बाजार में बहुत जोखिम है। हां, लंबी अवधि वाले फंडों में निवेश करना बेहतर हो सकता है।



विदेशी निवेश से आप खतरा महसूस करते हैं?



विदेशी संस्थागत निवेशकों का बाजार स्वागत करता है और हमें इसकी जरूरत भी है। बाजार में विदेशी निवेशकों की 22 फीसदी हिस्सेदारी है। हालांकि आने वाले समय में विदेशी संस्थागत निवेशक पैसा नहीं भी लगाते हैं, तो बाजार पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा।



तो फिर क्या वजह है कि बाजार में पैसा नहीं आ रहा है?



घरेलू निवेशक फिलहाल विदेशी संस्थागत निवेशकों को बाहर करने के मूड में नहीं हैं। अगर हमारे पास निवेश के लिए पैसा है, तो हमें निवेश से पहले बाजार के 10-20 फीसदी बढ़ने का इंतजार करना चाहिए।



तो क्या यह समझा जाए कि अभी केवल विदेशी संस्थागत निवेशक ही बाजार में पैसा लगा रहे हैं?



ऐसी बात नहीं है। जनवरी में विदेशी निवेशक बाजार में पैसा लगा रहे थे, लेकिन फरवरी माह में वे बिकवाली में लग गए।


 

First Published - March 7, 2008 | 10:28 PM IST

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