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इरडा बीमा क्षेत्र के लिए जारी करेगा नए निर्देश

Last Updated- December 09, 2022 | 11:45 PM IST

बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (इरडा) बीमा सेक्टर के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करेगा। इरडा ने दो समितियों के गठन का फैसला लिया है।
इनमें से एक समिति बीमा कंपनियों द्वारा किए जाने वाले खुलासे के लिए जबकि दूसरी समिति विलय और अधिग्रहण के लिए नए दिशानिर्देशों पर काम करेगी। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों दिशानिर्देश अगले साल मार्च तक लागू हो जाएंगे।
नियामक स्वास्थ्य दावा प्रबंधन के लिए एक डेटा वेयरहाउस भी बना रहा है। इससे बीमाकर्ताओं को अपनी योजनाओं की गुणवत्ता को सुधारने और स्वास्थ्य बीमा के दावे के बेहतर प्रबंधन की क्षमता भी बढ़ती है।
चेन्नई की स्टार हेल्थ ऐंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी के स्टार हेल्थ मैगजीन लॉन्च करने के मौके पर इरडा के अध्यक्ष जे. हरि नारायण ने कहा है कि इस साल मार्च तक इन दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार हो जाना चाहिए। इससे न केवल बीमा सेक्टर को ज्यादा उभरने में मदद मिलेगी बल्कि इसका परिचालन भी बहुत स्पष्टता से किया जा सकेगा। 
कंपनी संचालन के मुद्दे पर उनका कहना है, ‘इरडा बीमा सेक्टर में साफ-सुथरे कंपनी संचालन के मद्देनजर नए नियम बनाने की कवायद में जुट रहा है। कोई भी बीमा कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं है। इससे कॉरपोरेट जोखिम के बढ़ने की संभावना है। ऐसे में इसे रोकने की जरूरत भी है। नियामक भविष्य में बीमा के लिए बेहतर कंपनी प्रशासन के लिए नए दिशानिर्देश और कई नए कानून बनाने के लिए भी सोच सकता है।’
नई आंतरिक समिति बीमाकर्ताओं के लिए नए दिशानिर्देश लेकर आएगी। साथ ही यह बीमाकर्ताओं के खुलासे के स्तर को सुधारने के लिए कोशिश करेगी। नारायण का कहना है कि इरडा भी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)के साथ इस बाबत बात कर रही है।
डेटा वेयरहाउस के संदर्भ के बातचीत करते हुए इरडा के अध्यक्ष का कहना था, ‘इरडा ने हैदराबाद में एक डेटा वेयरहाउस स्थापित किया था। इससे स्वास्थ्य बीमा के दावे के निपटारे की निगरानी की जाएगी। इरडा ने पहले से ही बीमाकर्ताओं के पिछले पांच सालों के बीमा दावों के रिकॉर्ड को अपलोड कर दिया है और यह काफी सफल भी रहा है।’
उनका कहना है कि बीमा कंपनियां अगले कुछ महीनों में डेटाबेस तक अपनी पहुंच भी बना सकती हैं। इससे बीमाकर्ताओं को रोगों के साथ ही भौगोलिक क्षेत्रों का विश्लेषण करने में भी मदद मिलेगी। इसका फायदा उनको अपनी योजनाएं बनाते वक्त मिलेगा।
नारायण का कहना है, ‘ मिसाल के तौर पर कुछ योजनाओं की चेन्नई और हैदराबाद के मुकाबले मुंबई में लागत कुछ ज्यादा थी।’ इन कदमों से बीमा कंपनियों को दावे के प्रक्रिया का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलेगी जो वक्त की जरूरत भी है। नारायण का कहना है कि स्वास्थ्य योजनाओं के लिए लगभग 6,000 करोड़ रुपये प्रीमियम के तौर पर जुटाये गए जबकि दावे का निपटारा तकरीबन 7,000 करोड़ रुपये पर हुआ।

First Published - February 3, 2009 | 9:27 AM IST

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