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मौजूदा बाजार में बड़ी तेजी का अंदाजा लगाना आसान नहीं

Last Updated- December 12, 2022 | 7:21 AM IST

बीएस बातचीत
पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान बाजारों की चाल काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है। नोमुरा में इंडिया इक्विटी स्ट्रेटेजिस्ट सायन मुखर्जी ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि बाजार फिलहाल वृहद स्तर पर किसी बड़े बदलाव का असर नहीं देख रहे हैं, क्योंकि पोर्टफोलियो प्रवाह और मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार के साथ वृद्घि और अनुकूल बाह्य परिवेश में भरोसा बना हुआ है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

क्या मौजूदा समय में तेजी के बजाय बाजारों के लिए मंदी के ज्यादा जोखिम हैं?
हमें 2021 में बाजारों में ज्यादा उतार-चढ़ाव रहने का अनुमान है। भारत और शेष दुनिया में आर्थिक सुधार की गति मजबूत हुई है। उम्मीद है कि वैश्विक तौर पर टीके की पेशकश के साथ, कोविड-19 महामारी आगामी तिमाहियों में काफी हद तक दूर हो जाएगी। भारत के संदर्भ में हमें आर्थिक वृद्घि की रफ्तार सुधरने की उम्मीद है, क्योंकि हम सरकार से दीर्घावधि के लिए आसान वित्तीय स्थिति और समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं। बेहद महत्त्वपूर्ण है कि कॉरपोरेट आय वित्त वर्ष 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में भारी दबाव के बाद अब तेजी दर्ज करे। हालांकि हम मुद्रास्फीति और ऊंचे बॉन्ड प्रतिफल के जोखिम को स्वीकार कर रहे हैं। जिंस कीमतों में तेजी से कुछ खास क्षेत्रों में आय प्रभावित हो सकती है और ऊंचे बॉन्ड प्रतिफल से मूल्यांकन मल्टीपल में बड़ी वृद्घि सीमित हो सकती है। इसलिए सुधरते बुनियादी आधार के बावजूद, बाजार में बड़ी तेजी का अनुमान जताना मुश्किल है।

केंद्रीय बैंकों का रुख कैसा है?
केंद्रीय बैंकों ने अप्रत्याशित मौद्रिक रियायतों के साथ महामारी पर प्रतिक्रया दिखाई है। इसलिए, जैसे ही महामारी घटेगी और वृद्घि में सुधार आएगा, हम मुद्रास्फीति दबाव देख सकते हैं। बॉन्ड बाजार भी इसका संकेत दे रहे हैं। हालांकि केंद्रीय बैंक वृद्घि रिकवरी की मात्रा और निरंतरता की अनिश्चितता को देखते हुए मौजूदा समय में सहायक बने हुए हैं। इसलिए, अल्पावधि में, तरलता की स्थिति अनुकूल रह सकती है। भविष्य में कुछ बिंदुओं पर कमजोरी का जोखिम बना हुआ है। भारत का वृहद परिदृश्य अब बेहतर है।

बाजारों के लिए अब मुख्य जोखिम क्या हैं?
हम जिन कारकों को जोखिम के तौर पर देख रहे हैं वे हैं – (1) बढ़ते कोविड-19 मामलों से मौजूदा रिकवरी पर प्रभाव, (2) ऊंची जिंस कीमतों का कंपनियों के लिए अल्पावधि मार्जिन पर प्रभाव, (3) व्यापार और चालू खाता घाटे में वृद्घि और दोहरे घाटे की संभावित चिंताएं, और (4) बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल से इक्विटी मूल्यांकन पर प्रभाव। बॉन्ड प्रतिफल में तेजी का दीर्घावधि इक्विटी पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

क्या बढ़ती जिंस कीमतों को देखते हुए उन्हें वृहद परिदृश्य पर दबाव की आशंका दिख रही है?
हम नहीं मानते कि बाजार पर फिलहाल वृहद स्तर पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि पोर्टफोलियो प्रवाह और शानदार विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से वृद्घि (मौद्रिक और राजकोषीय मदद, दोनों) और अनुकूल बाह्य परिवेश पर मजबूत भरोसा है।

जिंस-केंद्रित शेयरों के लिए आपकी क्या रणनीति है?
हम कुछ खास जिंसों के लिए अच्छी मांग से जुड़े शेयरों पर सकारात्मक बने हुए हैं। हमारा मानना है कि ये शेयर मजबूत बने रह सकते हैं।
बढ़ती जिंस कीमतों से अगली कुछ तिमाहियों में कॉरपोरेट आय पर कितना प्रभाव पड़ सकता है?
वाहन और उपभोक्जा जैसे कुछ बड़े जिंस उपभोक्ता क्षेत्रों में ऊंची जिंस कीमतों की वजह से आय में कमी के जोखिम हैं। जिंस कीमतों में भारी तेजी का पूरा प्रभाव दिखने का अनुमान नहीं है। हमारा मानना है कि वित्त और तेल एवं गैस क्षेत्र को छोड़कर, बाजार वित्त वर्ष 2022/23 में एक दशक में सर्वाधिक एबिटा मार्जिन की उम्मीद कर रहा है।

क्या वित्त वर्ष 2022 में सार्वजनिक क्षेत्र के सूचीबद्घ शेयर बड़ी तादाद में निवेशकों  को आकर्षित कर सकते हैं?
सामान्य तौर पर विनिवेश लक्ष्य अब तक हासिल नहीं हुआ है। वित्त वर्ष 2022 में भी इस तरह की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि सरकार के इरादे और अनुकूल बाजार हालात को देखते हुए पिछले वर्षों के मुकाबले अब बेहतर विनिवेश आंकड़े की उम्मीद है। हमने सूचीबद्घ सार्वजनिक क्षेत्र में अच्छी तेजी दर्ज की है और यह वित्त वर्ष 2022 में भी बनी रह सकती है।

First Published - March 7, 2021 | 11:24 PM IST

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