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बजट में कई तरह की कर छूट की आस

Last Updated- December 12, 2022 | 9:17 AM IST

कोविड-19 के साथ आए आर्थिक संकट से उबरने की कोशिशों के बीच सभी की निगाहें 1 फरवरी को आने वाले आम बजट पर टिक गई हैं। 2020 में महामारी की तपिश झेलने वाला आम आदमी बजट में प्रोत्साहन, लाभ एवं करों की दर में कटौती के रूप में राहत की उम्मीद कर रहा है।
महिला वर्ग
निजी क्षेत्र में कार्यरत और मुंबई निवासी स्मिता विल्सन ने कहा, ‘कर की दरों में कमी, छूट की सीमा में वृद्धि या कम से कम धारा 80 सी के तहत कटौती में वृद्धि पर विचार किया जाना चाहिए। वित्त मंत्री को महिलाओं के लिए अलग से कर स्लैब भी लाना चाहिए।’ 2011-12 तक महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग आयकर स्लैब थे, जिसमें महिलाओं को कुछ कम आयकर देना होता था। लेकिन वित्त वर्ष 2012-13 के बाद दोनों के लिए एक जैसे स्लैब कर दिए गए। धारा 80 के तहत उपलब्ध कर कटौती में इजाफा भी अहम मांग है। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर ताप्ती घोष का कहना है कि धारा 80 सी, 80 सीसीसी और 80 सीसीडी (1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक कटौती की मौजूदा सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। इससे मध्यम-आय वर्ग के हाथों में अधिक नकदी आएगी। अधिकांश लोग चाहते हैं कि सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक कर दी जानी चाहिए। विल्सन महिलाओं के लिए एक विशेष ‘अपस्किलिंग फंड’ भी चाहती हैं।
युवा
युवा तबके का बड़ा हिस्सा कई तरह की रियायतें चाहता है। मुंबई में रहनले वाले 20 साल के अरिल वाघेला का कहना है कि बजट में शिक्षा ऋण पर अधिक रियायतें मिलनी चाहिए। शिक्षा ऋण की मासिक किस्त में जाने वाले ब्याज पर धारा 80 ई के तहत कर रियायत की सुविधा दी जाती है। युवा चाहते हैं कि किस्त में शामिल मूलधन पर भी रियायत मिलनी चाहिए। वे मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसे उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी की मांग भी कर रहे हैं।
वरिष्ठ नागरिक
वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह साल बहुत कठिन रहा है। सेवानिवृत्त शिक्षक प्रभज्जम्मा बी कहती हैं, ‘हमारे किरायेदारों ने कोविड-19 के कारण किराया कम करने का अनुरोध किया, जिससे हमारी आय घट गई है। मेरे हिसाब से घर से होने वाली आय पर छूट बढ़ाई जानी चाहिए।’ कई वरिष्ठ एवं वृद्ध नागरिक नियमित आय के लिए छोटे-बचत के साधनों पर ही भरोसा करते हैं। प्रभज्जम्मा ने कहा, ‘इस तरह के निवेश में मिलने वाले ब्यजा पर भी कर लगाया जाता है। बुजुर्गों को इसमें छूट मिलनी चाहिए। पेंशन में भी छूट दी जानी चाहिए।’
वेतनभोगी वर्ग
कोरोना महामारी की मार सभी की जेब पर पड़ी है। मानव संसाधन पेशेवर मयूर काशलकर ने कहा, ‘मैं कर दरों या स्लैब में बदलाव के जरिये राहत की उम्मीद कर रहा हूं। साथ ही चिकित्सा पर बढ़ते खर्च को देखते हुए चिकित्सा छूट में भी इजाफा किया जाना चाहिए।’ स्वास्थ्य जांच की 5,000 रुपये की वर्तमान सीमा को बढ़ाया जा सकता है।
विशेषज्ञों को भी बजट में कुछ खास तर ही रियायतें देना सही लग रहा है। उनके हिसाब से आम आदमी को रात देने के साथ ही इससे उद्योग को भी रफ्तार मिलेगी। विशेषज्ञों को इन क्षेत्रों में खास तौर पर राहत की जरूरत महसूस होती है:
स्वास्थ्य बीमा
 महामारी ने हर किसी को स्वास्थ्य बीमा की अहमियत का अहसास करा दिया है। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के प्रमुख (दावे एवं पुनर्बीमा) संजय दत्त ने कहा, ‘स्वास्थ्य बीमा पर कर दूट की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।’ स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर धारा 80 डी के तहत राहत उपलब्ध है। दत्त आवाास बीमा की ओर भी ध्यान दिलाते हैं। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। ऐसे में यदि आवास बीमा के प्रीमियम पर कुछ कर छूट मिलती है तो उसकी मांग बढ़ जाएगी।
जीवन बीमा
जीवन बीमा भी जरूरत बन गया है। बजाज आलियांज लाइफ के प्रबंध निदेशक तरुण चुघ का कहना है कि टर्म प्लान खरीदने वाले अधिक लोग है, इसलिए जीवन बीमा पर कर कटौती की सीमा बढ़ाने या जीवन बीमा प्रीमियम पर कटौती के लिए अलग धारा बनाने पर विचार करने का वक्त आ गया है।
सरकार को ऐसे तरीकों पर भी विचार करना चाहिए, जिनसे लोगों को सेवानिवृत्ति के बाद की जरूरतों के लिए और अधिक बचत करने का प्रोत्साहन मिले। चुघ ने कहा, ‘हमारे पास सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्थित प्रणाली नहीं है, इसलिए एन्युटी एवं सेवानिवृत्ति के दूसरे लाभों पर कर राहत मिलनी चाहिए। एन्युटी से प्राप्त आय पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए।’
निवेश
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी ए बालसुब्रमण्यम का कहना है, ‘बजट में पूंजी बाजार के साधनों से संबंधित कुछ कर प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इनमें दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर, कर में कटौती, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) में स्रोत पर कर कटौती और लाभांश पर कराधान आदि शामिल हैं।’
नई वेतन संहिता
एक अप्रैल 2021 से लागू होने वाली नई वेतन संहिता के बाद आपके वेतन में भविष्य निधि (पीएफ) का हिस्सा बढ़ जाएगा। घोष ने कहा, ‘लेकिन कर कानूनों में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे इस बढ़ोतरी पर छूट मिले। इस छूट के लिए अधिनियम में विशिष्ट संशोधन होना चाहिए। वर्क-फ्रॉम-होम अब सामान्य हो गया है, जिसके लिए कई वेतनभोगियों को अब संचार एवं बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं पूरा करने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।’ इस तरह के खर्च पर मानक कटौती की शुरूआत से कई लोगों को राहत मिलेगी। डेलॉयट की ताप्ती घोष कहती हैं, ‘नियोक्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कर्मचारी के पास बिना रुकावट काम करने की सुविधा हों। इन सुविधाओं को कर अधिकारी लाभ के तौर पर देख सकते हैं, इसलिए इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।’

First Published - January 24, 2021 | 11:53 PM IST

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