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वैश्विक प्रोत्साहन समाप्त होने से प्रभावित होंगे बाजार!

Last Updated- December 12, 2022 | 9:17 AM IST

बीएस बातचीत
यूटीआई एएमसी के समूह अध्यक्ष एवं इक्विटी प्रमुख वेट्री सुब्रमण्यम ने ऐश्ली कुटिन्हो के साथ साक्षात्कार में कहा कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप के लिए मूल्यांकन उतना ज्यादा महंगा नहीं है जितना कि यह लार्ज-कैप शेयरों के लिए है, लेकिन वे ज्यादा सस्ते भी नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार को शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर (आवासीय और स्वास्थ्य क्षेत्र समेत) के विकास पर ध्यान देना चाहिए जिसे कि दूर-दराज इलाकों से आए उन प्रवासी श्रमिकों की जरूरत पूरी की जा सके, जो शहरी भारत में श्रमिकों के एक बड़े सेगमेंट का निर्माण करते हैं। पेश हैं मुख्य अंश:

क्या बाजार में बुनियादी आधार के मुकाबले ज्यादा तेजी आई है?
ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारतीय बाजार ही सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर हैं। विकसित और विकासशील देशों में कई बाजार या तो अपनी आजीवन या वर्ष की ऊंचाई पर कारोबार कर रहे हैं। बगैर किसी संदेह के, सभी क्षेत्रों में वित्त और मौद्रिक समर्थन ने इस परिणाम में योगदान दिया है। इस समर्थन से बाजारों को कोविड-19 से परे देखने में मदद मिली है और उत्पादन नुकसान को अस्थायी समझा जा रहा है। कोविड-19 टीके से भी अब लगातार सुधार की उम्मीद बढ़ी है।

मूल्यांकन को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
मूल्यांकन निश्चित तौर पर लार्ज-कैप आधारित सूचकांकों के लिए महंगा है। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंटों में, मूल्यांकन प्राइस-टु-बुक मानक पर कुछ महंगे हैं। इसलिए, कुछ क्षेत्र आकर्षक बने हुए हैं। महत्वपूर्ण यह समझना है कि क्या हम वृद्घि के चक्र में हैं और आय की गति कैसी रहेगी। पिछला अनुभव यह है कि बाजार अक्सर वृद्घि चक्र में महंगे हो जाते हैं। अब ध्यान मूल्यांकन के बजाय आय में सुधार पर होना चाहिए।

मिड और स्मॉल-कैप शेयरों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
मिड और स्मॉल-कैप शेयरों के लिए चक्रीयता संबंधी तर्क गतिविधि में सुधार और कम ब्याज दरों को देखते हुए अनुकूल है। मूल्यांकन तटस्थ हैं, और लार्ज-कैप शेयरों की तरह महंगे नहीं हैं, लेकिन ज्यादा सस्ते भी नहीं हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में ऐसी कई कंपनियां हैं जिन्हें अपने व्यवसायों में दिग्गज के तौर पर गिना जाता है। मिड और स्मॉल-कैप शेयरों पर हमारा नजरिया अच्छी स्थिति वाली कंपनियों में खरीदारी पर केंद्रित है।

कॉरपोरेट आय पर आपका क्या नजरिया है?
दूसरी तिमाही के लिए नतीजे सकारात्मक रहे थे और निफ्टी-50 के लिए मुनाफा 17 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसमें गिरावट की आशंका जताई गई थी। हमारा मानना है कि गतिविधि में वृद्घि तीसरी तिमाही में भी बरकरार रही। साथ ही तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति दबाव में इजाफा हुआ। कॉरपोरेट आय का बड़ा हिस्सा वित्त से जुड़ा हुआ है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की वजह से एनपीए की पहचान में विलंब हुआ है। हालांकि हमारा मानना है कि कंपनियां इसका खुलासा करेंगी, लेकिन यह उनके आंकड़ों में शामिल नहीं होगा।

बैंक और एनबीएफसी शेयरों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? क्या इन क्षेत्रों में बुरा समय बीत चुका है?
वित्त क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहा है और शेयरों में मूल्यांकन के पिछले स्तरों पर वापसी नहीं देखी गई है। ऐसा लगता है कि ऋण नुकसान वर्ष के मध्य में अनुमानों की तुलना में कम होगा। अर्थव्यवस्था के सामान्य होने की रफ्तार को देखते हुए नकारात्मक बदलाव की आशंका सीमित दिख रही है।

आगामी बजट से आपको क्या उम्मीदें हैं?
हमारा मानना है कि सरकार को मानवीय सहायता मुहैया कराने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ऐसे कई क्षेत्र हैं जो अभी तक सामान्य नहीं हुए हैं। इसके अलावा ऐसे क्षेत्रों के लिए ऋण वृद्घि भी जरूरी होगी। ईंधन पर कर बढऩे से राजस्व में मदद मिली, लेकिन गतिविधि सामान्य होने और जीएसटी संग्रह बढऩे के साथ ईंधन पर कुछ कर वापस लिया जाना उचित होगा। हम यह भी चाहते हैं कि सरकार शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर (आवासीय और स्वास्थ्य क्षेत्र समेत) के विकास पर ध्यान दे।

आगामी महीनों में किन वैश्विक संकेतों पर नजर रखने की जरूरत है?
नजर रखने के लिहाज से महत्वपूर्ण कारक होगा राहत और मौद्रिक सहायता को वापस लिए जाने की रफ्तार। चूंकि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था सामान्य हो रही हैं, ऐसे में ये आपात और अतिरिक्त उपाय वापस लिए जाने की जरूरत होगी, लेकिन यदि इन्हें वापस लेने की गति उम्मीद से तेज रही तो इससे बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, यदि मुद्रास्फीति में वृद्घि बनी रही तो यह नीतिगत पसंद के लिहाज से जटिल होगा।

लार्ज-कैप फंडों ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपने बेंचमार्कों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। क्या आपको हालात सुधरने की उम्मीद है?
हमारा मानना है कि कुछ चुनौतियां चक्रीय हैं और हाल ही अवधि में बाजार धारणा से संबंधित रही हैं। यह स्थिति बरकरार नहीं रह सकती है और फंडों का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है।

First Published - January 25, 2021 | 12:03 AM IST

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