सरकारी बैंकों ने लोगों से खाते में मिनिमम बैलेंस न होने पर करोड़ों रुपये वसूले हैं। SBI को छोड़कर 11 सरकारी बैंकों ने पिछले साल खाताधारकों से 2,331 करोड़ रुपये लिए। ये पैसे उन लोगों से लिए गए जिनके खाते में तय रकम से कम पैसे थे। पिछले तीन सालों में इन बैंकों ने इसी वजह से कुल 5614 करोड़ रुपये वसूले हैं। SBI ने हालांकि साल 2020 से ही ये चार्ज लेना बंद कर दिया है।
बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने पर सबसे ज्यादा जुर्माना PNB ने वसूला
सरकारी बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने सबसे ज्यादा 633.4 करोड़ रुपये वसूले हैं। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने 386.51 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक ने 369.16 करोड़ रुपये वसूले हैं। ये पैसे उन लोगों से लिए गए हैं जिनके खाते में तय रकम से कम पैसे थे। प्राइवेट बैंकों की बात करें तो वो भी इस तरह के जुर्माने लगाते हैं, लेकिन उनकी रकम सरकारी बैंकों से ज्यादा होती है।
हालांकि, सरकार ने कुछ बेसिक बचत बैंक खातों (BSBDA) के लिए ये नियम नहीं बनाए हैं। इन खातों में बिना किसी पैसे के भी खाता खुलवाया जा सकता है और आप जितना चाहें उतना पैसा जमा कर सकते हैं। महीने में चार बार आप पैसे निकाल सकते हैं। लेकिन बाकी खातों के लिए बैंक अपने नियम बना सकते हैं और ग्राहकों से अलग-अलग तरह की सेवाओं के पैसे ले सकते हैं।
बैंक खाते में कम पैसे रखने पर जुर्माना
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने साल 2014 और 2015 में कुछ नियम बनाए थे जिनके मुताबिक बैंक अपने ग्राहकों से खाते में कम पैसे रखने पर जुर्माना ले सकते हैं। लेकिन ये जुर्माना तय नियमों के हिसाब से ही होना चाहिए। बैंक अपने ग्राहकों को खाता खोलते समय बताते हैं कि उनके खाते में कम से कम कितने पैसे होने चाहिए।
अगर बाद में ये नियम बदलते हैं तो भी बैंक ग्राहकों को बताते हैं। अगर किसी के खाते में तय रकम से कम पैसे होते हैं तो बैंक उन्हें पहले ही बता देते हैं। अगर ग्राहक एक महीने के अंदर अपने खाते में पैसे नहीं जमा करते हैं तो बैंक उनसे जुर्माना ले सकते हैं। लेकिन बैंक ये भी सुनिश्चित करते हैं कि जुर्माने की वजह से किसी के खाते में पैसों का घाटा न हो।