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लाख करोड़ रुपये एमकैप वाली ज्यादा फर्में

Last Updated- December 12, 2022 | 5:01 AM IST

इस साल अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बाजार पूंजीकरण की सूची में 13 कंपनियां शामिल हुई हैं। यह ऐसे समय में देखा गया है जब सेंसेक्स इस साल अब तक 3 प्रतिशत से कम चढ़ा।
यह रुझान कोविड-19 की दूसरी लहर, उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधि प्रभावित होने से भारतीय उद्योग जगत या शेयरधारकों की पूंजी पर पडऩे वाले प्रभाव को दर्शाता है।
वर्ष के शुरू में, 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बाजार वैल्यू वाली कंपनियों की संख्या 29 थी। पिछले सप्ताह के अंत में यह संख्या बढ़कर 42 हो गई और जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील, तथा वेदांत भी इस सूची में शामिल हुई हैं। जिंस शेयरों में अच्छी खरीदारी दिलचस्पी की वजह से इन कंपनियों को इस क्लब में शामिल होने में मदद मिली है।
गौतम अदाणी के नेतृत्व वाली चार कंपनियों – अदाणी पोट्र्स ऐंड स्पेशल इकोनोमिक जोन, अदाणी टोटाल गैस, अदाणी एंटरप्राइजेज, और अदाणी ट्रांसमिशन ने भी इस साल 1 लाख करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण का आंकड़ा हासिल किया है। अदाणी पोट््र्स को छोड़कर, इन कंपनियों ने इस साल अपने बाजार पूंजीकरण को दोगुने से ज्यादा किया और 42 कंपनियों की सूची में सबसे ज्यादा चढऩे वाले शेयरों में शामिल रहीं।
कोविड-19 की दूसरी लहर से पैदा हुए बिकवाली दबाव के कारण सेंसेक्स में 6 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद कोई भी इस साल इस सूची से बाहर नहीं निकली। सेंसेक्स 15 फरवरी के अपने 52,154 अंकों की सर्वाधिक ऊंचाई से भारी गिरावट दर्ज कर चुका है। पिछले साल मार्च में कोविड-19 संबंधित बिकवाली से 1 लाख करोड़ रुपये के क्लब में शामिल कंपनियों की संख्या घटकर महज 18 रह गई थी।
भारत का संयुक्त बाजार पूंजीकरण (बीएसई पर सूचीबद्घ सभी कंपनियों) ने 211 लाख करोड़ रुपये की नई ऊंचाई को छुआ था। बाजार-पूंजीकरण के लिए पिछला ऊंचा स्तर 3 मार्च को 210 लाख करोड़ रुपये का था।
कुछ विश्लेषक इसे गैर-तर्कसंगत उतार-चढ़ाव करार दे रहे हैं, क्योंकि भारत हर दिन 350,000 से 400,000 नए कोविड मामले दर्ज कर रहा है और सक्रिय मामले प्रत्येक 17 दिन में दोगुने हुए हैं। इसके अलावा, लॉकडाउन की घोषणा करने वाले राज्यों की संख्या भी बढ़ रही है और अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2022 के लिए अपने आर्थिक और आय वृद्घि अनुमानों को फिर से घटा दिया है।
एचएसबीसी में रणनीतिकारों हेराल्ड वैन डेर लिंडे और अमित सचदेवा ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘पिछले साल के अनुभव (भारी तेजी के बाद बड़ी गिरावट) को देखते हुए बाजार में बड़ा अंतर नहीं आया है, और तथ्य यह है कि कंपनियां बेहतर तरीके से तैयार हैं। वैश्विक तरलता अनुकूल बनी हुई है, और बाजार में शायद किसी बड़ी गिरावट को खरीदारी के अवसर के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि मूल्यांकन स्तरों को देखते हुए,  कोविड-19 के बिगड़ते हालात, और उसके बाद की स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और इससे बाजार में बिकवाली देखी जा सकती है।’
1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बाजार पूंजीकरण वाली 42 में से सिर्फ 11 कंपनियों ने ही इस साल अपनी शेयर कीमतों में गिरावट दर्ज की है। सिर्फ मारुति सुजूकी और कोटक महिंद्रा बैंक में इस साल 13 प्रतिशत और 11 प्रतिशत के साथ दो अंक में गिरावट दर्ज की गई।
जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘कोविड- की पहली लहर के विपरीत, भारतीय बाजार मौजूदा अनिश्चितताओं के बाद भी मजबूत बने हुए हैं और वैश्विक बाजारों में गिरावट की रफ्तार नरम रही है। हालांकि बैंक, वाहन, पूंजीगत वस्तु, और रियल्टी जैसे घरेलू चक्रीयता आधारित क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हुए हैं। धातु, प्रौद्योगिकी, और फार्मा ने अच्छा प्रदर्शन किया है।’
हालांकि स्वास्थ्य संकट के बीच, बाजार में उम्मीदों को मजबूत मार्च तिमाही के नतीजों से समर्थन मिला है। इसके अलावा शानदार जीएसटी संग्रह से भी अर्थव्यवस्था को मदद मिली है।
विश्लेषकों ने पिछले महीने के दौरान कई शेयरों के लिए अपने वित्त वर्ष 2022 के आय अनुमानों को घटाया है। इसके अलावा, अर्थशास्त्री जून तिमाही के लिए भी कमजोर जीडीपी आंकड़े का अनुमान जता रहे हैं। अब बाजार यह उम्मीद लगा रहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर धीरे धीरे थमने लगेगी, आबादी के बड़े हिस्से को टीका लगेगा और जीडीपी वृद्घि फिर से पटरी पर लौटेगी।
केआरचोकसी शेयर्स ऐंड सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा, ‘हालात सामान्य होने पर आप मजबूत खरीदारी देखेंगे। इससे अच्छी वृद्घि को बढ़ावा मिलेगा।’

First Published - May 9, 2021 | 11:45 PM IST

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