सरकारी स्वामित्व वाली पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) ने गुरुवार को 10 साल के बुलेट बॉन्ड की 7.08 फीसदी दर पर बिक्री कर 5,000 करोड़ रुपये जुटाए। सूत्रों के अलावा, इसके अलावा सरकारी इंडियन बैंक ने 7.12 फीसदी दर के 10 साल के इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के जरिये 5,000 करोड़ रुपये जुटाए।
पीजीसीआईएल के इश्यू का आकार 1,000 करोड़ रुपये था और इसमें 4,000 करोड़ रुपये का ग्रीन शू विकल्प था। इसी तरह, इंडियन बैंक के इश्यू का आकार 2,000 करोड़ रुपये था और इसका ग्रीन शू ऑप्शन 3,000 करोड़ रुपये था। घरेलू रेटिंग एजेंसियों ने दोनों जारी बॉन्ड को ‘एएए’ रेटिंग दी है।
बाजार सूत्रों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से बीते कुछ हफ्तों में आपूर्ति कम हुई और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सहित अन्य बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों की संचित बढ़ी मांग के कारण पीजीसीआईएल बॉन्ड की कीमत सख्त रही। पीजीसीआईएल ने लंबे समय के बाद बुलेट बॉन्ड जारी किया और बाजार ने इसे सहर्ष स्वीकार किया।
पीजीसीआईएल ‘महारत्न’ कंपनी है और यह मुख्य तौर पर बिजली पारेषण के कारोबार में संलग्न है। इसके अलावा कंपनी ने ऑप्टिकल ग्राउंड वॉयर को बिछाकर अपने अखिल भारतीय स्तर के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए दूरसंचार में प्रवेश कर कारोबार को विविधता दी है। इसके अलावा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और पीसीजीआईएल ने मिलकर भी इस सप्ताह बॉन्ड जारी किए हैं।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भी शुक्रवार को कोष जुटाने के लिए तैयार है। ऐसा लगता है कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों ने यह तय कर लिया है कि उन्हें क्या करना है (सेबी परिपत्र को लेकर अब संदेह नहीं है) और अब दीवाली के बाद फिर से बॉन्ड जारी होंगे।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक व प्रबंध साझेदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने बताया, ‘पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, इंडियन बैंक और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अतिरिक्त टीयर-1 (एटी-1) द्वारा हाल में जारी बॉन्ड्स में सरकारी प्रतिभूतियों से अंतर कम है। यह निवेशकों में उच्च गुणवत्ता वाले कॉरपोरेट बॉन्ड की मजबूत मांग दर्शाता है।’
उन्होंने यह भी कहा कि निवेशक एएए रेटेड प्रतिभूतियों के विनिमय में निरंतर कम यील्ड स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रचुर नकदी के कारण मांग बढ़ी है। यह मांग विशेष तौर पर बीमा कंपनियों, भविष्य निधि व पेंशन कोष, म्युचुअल फंड के निवेश के कारण बढ़ी है।