भुगतान संबंधी धोखाधड़ी कम करने और उसे जुड़े जोखिमों से ग्राहकों को बनाने के लिए के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल पेमेंट्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। बैंकिंग नियामक ने इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के सभी पहलुओं की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। उम्मीद की जा रही है कि यह समिति 2 महीने के भीतर अपनी सिफारिशें सौंप देगी।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) एपी होता को समिति का चेयरमैन बनाया गया है। रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘इस तरह की धोखाधड़ी से ग्राहकों को बचाने के लिए भुगतान प्रणालियां (बैंक, एनपीसीआई, कार्ड नेटवर्क, पेमेंट एग्रीगेटर और पेमेंट ऐप) विभिन्न मामलों के मुताबिक कई कदम उठाती हैं, लेकिन भुगतान व्यवस्था में नेटवर्क के स्तर पर इंटेलिजेंस और रियल टाइम डेटा शेयरिंग की जरूरत है।’
धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को देखते हुए डिजिटल पेमेंट्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म स्थापित करने का प्रस्ताव सामने आया है। पिछले 5 साल में बैंकिंग सेक्टर में धोखाधड़ी के मामले 4 गुना से अधिक बढ़कर 36,075 हो गए हैं। धोखाधड़ी की संख्या के हिसाब से देखा जाए जो डिजिटल भुगतान (कार्ड या इंटरनेट से) यह सबसे ज्यादा हो रहा है। रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट से पता चलता है कि यह संख्या वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 29,082 हो गई, जो वित्त वर्ष 2020 में 2,677 थी।
पहचान की जांच करने वाली टेक फर्म आईडीफाई के चीफ बिजनेस ऑफिसर वृजु रे ने कहा, ‘व्यक्तिगत जानकारी साझा करने संबंधी कानूनी और वाणिज्यिक मसलों के कारण पूरे उद्योग के आंकड़े को एकत्र करने के प्रयास विफल रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक इस दिशा में कदम उठा रहा है। ’