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AI पर अधिक निर्भरता से बढ़ेगा जोखिम, पैदा हुईं साइबर हमले और डेटा चोरी की आशंका जैसी नई चिंताएं: RBI गवर्नर

आरबीआई द्वारा दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय सम्मेलन में दास ने कहा, ‘एआई पर अत्यधिक निर्भरता से एक ही चीज पर केंद्रित होने का जोखिम पैदा हो सकता है

Last Updated- October 14, 2024 | 10:40 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) के बढ़ते उपयोग के कारण पैदा होने वाली चुनौतियों के प्रति आगाह किया।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रौद्योगिकी ने भले ही वित्तीय संस्थानों के लिए कारोबार में विस्तार और बेहतर मुनाफे के लिए अवसर पैदा किए हैं, मगर इन पर अत्यधिक निर्भरता वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को जोखिम कम करने के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए।

आरबीआई द्वारा दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय सम्मेलन में दास ने कहा, ‘एआई पर अत्यधिक निर्भरता से एक ही चीज पर केंद्रित होने का जोखिम पैदा हो सकता है, खास तौर पर ऐसे समय में जब बाजार पर कुछ ही तकनीकी प्रदाताओं का दबदबा है। इससे प्रणालीगत जोखिम बढ़ सकता है, क्योंकि किसी भी विफलता अथवा व्यवधान का असर पूरे वित्तीय क्षेत्र में फैल सकता है।’

दास ने कहा कि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को इस प्रकार के जोखिम से निपटने के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए। दास ने कहा, ‘एआई के बढ़ते उपयोग से साइबर हमले और डेटा चोरी की आशंका जैसी नई चिंताएं पैदा हुई हैं। साथ ही एआई की अपारदर्शिता के कारण निर्णय लेने वाले एल्गोरिदम का ऑडिट या व्याख्या करना मुश्किल हो जाता है। इससे बाजार में अप्रत्याशित परिणाम दिख सकते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘बैंकों को एआई एवं उभरती प्रौद्योगिकी का फायदा अवश्य उठाना चाहिए , लेकिन प्रौद्योगिकी को अपने ऊपर हावी कतई नहीं होने देना चाहिए।’

इस बीच, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत उन चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है जहां चौबीसों घंटे काम करने वाली तत्काल सकल निपटान प्रणाली (आरटीजीएस) मौजूद है।

उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय समझौतों के जरिये डॉलर, यूरो, पाउंड जैसी प्रमुख व्यापारिक मुद्राओं में लेनदेन के निपटान के लिए आरटीजीएस में विस्तार की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। आरटीजीएस आरबीआई द्वारा विकसित एक एकीकृत भुगतान एवं निरंतर (रियल टाइम) निपटान प्रणाली है।

दास ने कहा कि भारत एवं कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं ने द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय तरीकों से सीमा पार त्वरित भुगतान प्रणालियों के विस्तार के लिए प्रयास पहले ही शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस तरीके से धन प्रेषण की लागत और समय में काफी कमी की जा सकती है।’

दास ने यह भी कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक अन्य ऐसा क्षेत्र है जहां सीमा पार भुगतान में कुशलता प्रदान करने की क्षमता है। भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जहां थोक एवं खुदरा दोनों तरह की सीबीडीसी जारी की गई हैं।

इस बीच, वित्तीय स्थिरता के लिए उभरते जोखिम के बारे में दास ने कहा कि कुछ अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक ढील, कुछ में सख्ती और कुछ में ठहराव के साथ वैश्विक मौद्रिक नीतियों में भिन्नता होने से पूंजी प्रवाह एवं विनिमय दरों में अस्थिरता पैदा होगी जो वित्तीय स्थिरता को बाधित कर सकती है।

अगस्त की शुरुआत में जापानी येन की भारी वृद्धि के दौरान यह बिल्कुल स्पष्ट तौर पर दिखा था। इससे येन पर निर्भर तमाम वित्तीय बाजारों में हड़कंप मच गया था।

First Published - October 14, 2024 | 10:40 PM IST

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