facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

…ताकि जिंदगी के कड़वे पलों में भी बनी रहे मिठास

Last Updated- December 07, 2022 | 8:04 AM IST

पिछले साल जब विनोद बजाज, उम्र 62 वर्ष, एक निजी क्षेत्र की बीमा कंपनी के पास स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए पहुंचे, उन्हें बीमा खरीदने के लिए काफी कुछ सुनाया गया।


कारण, वे पिछले 19 वर्षों से मधुमेह के रोगी हैं। यहां तक कि विभाग अधिकारी ने उन्हें डांटा-फटकारा भी कि वे ऐसे में ऐसी पॉलिसी भी कैसे मांग सकते हैं, जिसमें दिल, गुर्दे और केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़े किसी दावे के लिए कवर तक नहीं मिल सकता।

सिर्फ एक साल बाद पिछले महीने सर्वोच्च न्यायालय ने एक बीमा मामले में बजाज जैसे कई लाखों लोगों के लिए राहत की सांस जैसा फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां पहले से मौजूद किसी भी बीमारी के लिए मेडीक्लेम देने से मना नहीं कर सकतीं। बीमा ब्रोकर अमरेश कुमार का कहना है, ‘इस फैसले ने मधुमेह और हाइपरटेंशन के रोगियों में नई जान फूंकी, क्योंकि अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां दोनों मामलों में कवर दे रही हैं, बेशक इनका प्रीमियम काफी अधिक लगभग 10 से 30 प्रतिशत के बीच है।’

उदाहरण के लिए अगर एक आदमी मधुमेह से पीड़ित है और वह 5 लाख रुपये की एक पॉलिसी ओरियंटल इंश्योरेंस से 55 वर्ष की उम्र में लेता है, उसे लगभग 12,732 रुपये का भुगतान करना होगा। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां पॉलिसी के पहले दो वर्षों में मधुमेह के कारण हुई किसी भी समस्या के लिए कवर पर क्लेम नहीं देतीं। तीसरे साल में वे चिकित्सा में हुए खर्च का 50 प्रतिशत वहन करती हैं। सिर्फ चौथा साल पूरा होने पर ही वे मधुमेह और हाइपरटेंशन के लिए पूरा कवर देती हैं। यह पॉलिसी 59 वर्ष की आयु तक खरीदी जा सकती है।

जहां तक निजी कंपनियों की बात है बजाज अलायंज की पुरानी बीमारियों के लिए एक पॉलिसी है और उसका नाम है सिल्वर हेल्थ, जो 46 से 70 वर्ष तक के लोगों के लिए है। यह पॉलिसी 75 वर्ष की आयु तक रीन्यू कराई जा सकती है। 5 लाख रुपये की पॉलिसी के लिए मधुमेह से पीड़ित 55 वर्ष आयु के व्यक्ति को 14,781 रुपये का भुगतान करना होगा। अगर डॉक्टर की रिपोर्ट आपके हित में न हो तो कंपनी अतिरिक्त राशि भी चार्ज करती है।

अन्य निजी क्षेत्र की कंपनियां भी निरंतर स्वास्थ्य बीमा मुहैया करा रही हैं, लेकिन सिर्फ केस से केस के आधार पर। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को मधुमेह है और उससे उसके हृदय को भी जोखिम काफी बढ़ जाता है, तब हृदय से संबंधित किसी भी समस्या के लिए उसे कवर नहीं दिया जाएगा। अधिकतर कंपनियों के लिए इन बीमारियों को कवर से बाहर रखने की अवधि पॉलिसी की अवधि तक जारी रहती है। सिर्फ कुछ ही बीमा कंपनियां जैसे स्टार हेल्थ और बजाज अलियांज पॉलिसी को लिए हुए 5 वर्ष बीतने के बाद ही और साथ ही एक वर्ष की विशेष पॉलिसियों के बाद इन बीमारियों के लिए भी कवर देती हैं।

हाल के ही कुछ वर्षों में विशेष प्रकार की योजनाएं उपभोक्ताओं के लिए पेश की गई हैं। उदाहरण के लिए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की मधुमेह के रोगियों के लिए गंभीर बीमारी की तीन पॉलिसियां। यह योजनाएं मधुमेह के टाइप 2 के लिए बनाई गई हैं। कंपनी रोगी को आठ तरह की समस्याओं जो पुरानी बीमारियों जैसे सदमा, तंत्रिका तंत्र और उत्तकों के काम करना बंद कर पर बीमा पॉलिसी देती है। यह योजना सिर्फ पांच वर्ष के लिए ही रीन्यू की जा सकती है और वे मधुमेह की वजह से होने वाली किसी भी बीमारी के लक्षणों की पहचान पर एक-मुश्त पैसा देते हैं।

ये पॉलिसियां पांच वर्ष की अवधि के लिए होती हैं और कोई भी व्यक्ति इन्हें 60 वर्ष की उम्र तक खरीद सकता है। पॉलिसी की अवधि के दौरान तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्या के मामले में, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल पॉलिसी की पूरी राशि का भुगतान करेगी। यह इसलिए क्योंकि गंभीर बीमारी से जुड़ी पॉलिसियां मेडिक्लेम की तरह मुआवजों पर आधारित नहीं होती, जहां गैर-जीवन बीमा कंपनियां सिर्फ इलाज में हुए खर्च का ही पैसा बीमाधारक को देती हैं।

जीवन बीमा कंपनियों की गंभीर बीमारी पॉलिसियां सिर्फ तभी पूरे पैसे का भुगतान करती हैं, जब बीमारी की पहचान हो पाती है। यह एक अतिरिक्त लाभ है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो इस तरह की बीमारियों से जूझ रहा है, वह मेडिक्लेम के साथ-साथ गंभीर बीमारी वाली पॉलिसी से भी पॉलिसी की राशि का दावा कर उसे भी प्राप्त कर सकता है। इस तरह की पॉलिसियों के अतिरिक्त फायदे भी होते हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के सहायक वाइज प्रेजिडेंट धीरेन सालियान का कहना है, ‘बीमा के साथ, इस तरह की पॉलिसियों का इस्तेमाल आप बीमारी के इलाज में कर सकते हैं।

बीमाधारक व्यक्ति को निरंतर हर चार महीने बाद चिकित्सीय जांच करानी पड़ती है। हम उसकी स्थिति में हुए सुधार का जायजा लेते हैं। अगर मधुमेह नियंत्रण में हो, तो हम उसे डिस्काउंट भी देते हैं, और अगर स्थिति बिगड़ रही हो तो उससे अधिक चार्ज करते हैं।’ ये डिस्काउंट अधिक से अधिक 15 से 35 प्रतिशत तक हो सकता है जो उसकी पॉलिसी की कुल राशि पर निर्भर करता है। स्टार हेल्थ भी विशेष बीमारियों के लिए कवर भी पेश करती है। इस योजना में, कंपनी एकमुश्त रकम अदायगी की बजाय चिकित्सीय खर्च का भुगतान करती है।

इसके साथ ही इस योजना तीन स्थितियों, जो कि मधुमेह की वहज से हो सकती हैं, जैसे पैर में अल्सर और गैंगरीन, गुर्दों से संबंधित समस्याएं और आंखों से संबंधित समस्याएं शामिल हैं, को कवर देती है। विभिन्न तरह के मधुमेह के लिए उपलब्ध इन सभी योजनाओं के लिए बीमा विशेषज्ञों की सलाह है कि अगर रोगी गंभीर मधुमेह की स्थिति (टाइप 2) से पीड़ित न हो तो उसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी से पॉलिसी लेनी चाहिए क्योंकि उनके साथ क्लेम का हिसाब-किताब करना अमूमन ज्यादा असान और सुविधाजनक होता है।

First Published - June 29, 2008 | 11:49 PM IST

संबंधित पोस्ट