बीएस बातचीत
हालांकि अगली कुछ तिमाहियों के बारे में बाजार को लेकर कोई भविष्यवाणी करना कठिन कार्य है, लेकिन एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रैटिजीज के सह-मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि वह मार्च 2020 के निचले स्तरों से आई भारी तेजी को लेकर चिंतित नहीं हैं। उनका कहना है कि परिसंपत्तियों की खरीदारी में मदद के लिए वैश्विक तौर पर पर्याप्त तरलता है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
आर्थिक समस्या और बाजारों के बीच स्पष्ट तौर पर संबंध में अंतर दिख रहा है। यह स्थिति कब तक बना रहेगी?
कोविड-19 महामारी का अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पिछले संकट (2008-09) में ये तरलता संबंधी उपाय बाजारों को मजबूती प्रदान करने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए थे। मौजूदा प्रोत्साहनों का दायरा बरकरार रह सकता है जिससे परिसंपत्ति कीमत मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि जहां अल्पावधि आर्थिक आंकड़ा कमजोर बना रह सकता है, वहीं उतार-चढ़ाव के जरिये बाजार मौजूदा अविश्वास के बीच बेहतर बने रह सकते हैं।
अनलॉक 3.0 की घोषणा की जा चुकी है, अल्पावधि से मध्यावधि में बाजार को लेकर आपका क्या नजरिया है?
अगली कुछ तिमाहियों के बारे में कुछ कहना अभी कठिन है। कोविड-19 उपचार या प्रतिरोधक क्षमता के लिए वैक्सीन से अर्थव्यवस्था को मदद मिल सकेगी। जहां आर्थिक प्रदर्शन और कॉरपोरेट आय चुनौतीपूर्ण रहेंगे, वहीं बाजार अल्पावधि समाचार प्रवाह (जिसमें महामारी के दूसरे चरण का भय भी शामिल है) के आधार पर अस्थिर बना रह सकता है। बाजार में मार्च 2020 जैसा निचला स्तर इन चुनौतियों के बावजूद मुश्किल दिख रहा है।
निवेशक अब कौन से क्षेत्रों और शेयरों पर दांव लगाना पसंद करेंगे?
हमारी राय में विदेशी निवेशक भारत को सकारात्मक नजरिये से देख रहे हैं। बेहद कम ब्याज दरें, कमजोर डॉलर इंडेक्स, और प्रतिफल तथा वृद्घि के लिए तलाश भारत और उभरते बाजारों को सुर्खियों में बनाए रखेंगे। जब हम महामारी के डर से गुजरेंगे तो क्षेत्रों का चयन प्रभावित होगा। जब यह डर दूर हो जाएगा, हालात जल्द सामान्य हो जाएंगे और उसके बाद वृद्घि के अवसर और आर्थिक सुधार की उम्मीद बढ़ेगी। उस परिवेश में, हमारा मानना है कि बैंकिंग और वित्त, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और मैटेरियल तथा उद्योग बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। तब तक बाजार आय को लेकर स्पष्ट स्थिति और रक्षात्मक क्षेत्रों पर ध्यान बनाए रखेंगे।
कोविड-19 महामारी से आय वृद्घि/सुधार की रफ्तार किस तरह से प्रभावित हुई है?
आय वृद्घि के अभाव में बाजार में तेजी तरलता समर्थन के बगैर कमजोर साबित हो सकती है। हालांकि पर्याप्त नकदी के साथ बाजार ऊंचे उतार-चढ़ाव के बीच मजबूत बने रह सकते हैं, जैसा कि मौजूदा परिदृश्य से लग रहा है। इसलिए जहां बाजार जिस तेजी से बढ़े हैं, हमें उससे ज्यादा चिंता नहीं हुई है। परिसंपत्तियों की खरीदारी में मदद के लिए वैश्विक रूप से पर्याप्त नकदी है। अल्पावधि में, आय पर मौजूदा दबाव को लेकर पी/ई अनुपात पर ध्यान देना उचित नहीं हो सकता है। महामारी ने आय वृद्घि-सुधार को कम से कम एक साल पीछे धकेल दिया है।
कुछ विश्लेषकों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती बरकरार रहने पर संदेह जताया है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? निवेशकों को ग्रामीण-केंद्रित शेयरों को किस नजरिये से देखना चाहिए?
सरकार बेहद सक्रिय बनी हुई है। भले ही, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अच्छे मॉनसून से भी मदद मिली है। मनरेगा के लिए ज्यादा खर्च, अनाज की आपूर्ति और बंपर पैदावार के संदर्भ में गरीबों को पर्याप्त सहायता के अलावा शुरू में कम संक्रमण से मदद मिली।