कुर्ला निवासी अब्बास शिनॉय ने अपना केबल कनेक्शन कटवा दिया है।
वजह कि उनका केबल ऑपरेटर जिस इलाके में रहता है वहां ज्यादातर समय बत्ती गुल रहने के कारण उनका टीवी भी ज्यादातर वक्तों पर खाली खाली ही रहा करती थी। पर यह समस्या सिर्फ शिनॉय के साथ ही नही बल्कि उन सभी के साथ होती है जिन्होंने एनालॉग कनेक्शन से डिजिटल कनेक्शन की ओर रुख किया है।
बोरिवली के जोसेफ मिरांडा की कहानी बिल्कुल ही अलग है। उन्होंने पिछले साल 5,000 रुपये में टाटा स्काई का कनेक्शन खरीदा पर उनकी हाउसिंग सोसाइटी ने कहा कि वह मकान की छत पर डिस्क एंटीना नहीं लगा सकते। नतीजा, उनका सेट-टॉप-बॉक्स पिछले आठ महीनों से अलमारी में बंद पड़ा हुआ है।
लेकिन उनकी निराशा सिर्फ यहीं खत्म नही हो रही क्योंकि कनेक्शन बेचने के बाद स्काई वालों ने उनकी समस्या के बारे में एक बार पूछना तक गवारा नहीं समझा है। नाराज मिरांडा का कहना है कि कस्टमर केयर सर्विस ने एक बार भी यह पूछने की जहमत नही उठाई है कि उनको दिया गया कनेक्शन इस्तेमाल हो रहा है या नहीं।
सेवा एक जैसी पर कहानियां बिल्कुल जुदा
डीटीएच सेवा की लांचिंग काफी धूमधाम तरीके और तगड़े विज्ञापनों के जरिए की गई है। शाहरुख (जी का डिश टीवी) और सबसे हाल में आमिर खान (टाटा स्काई) जैसे सेलिब्रिटीज डीटीएच सेवाओं को दर्शकों के जेहन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
इतना ही नहीं, रिलायंस के बिग टीवी जिसने हाल ही में दस्तक दी है, का दावा है कि वह सबसे बेहतर एमपीइजी4 की तकनीक से लैस एवं 200 चैनलों की सेवा दे रहा है। इसमें दूसरे लाभों की बात करें तो बेहतर पिक्चर क्वालिटी, चैनलों को चुनने के कई विकल्प और कई अन्य सुविधाएं भी हैं।
इस बाबत ठाणे निवासी बकुल गाडगिल कहती हैं कि हम हिस्ट्री एवं कई अन्य इंग्लिश चैनल भी चुन सकती हैं जिसे केबल ऑपरेटर नहीं देते हैं। साथ ही कई अवांछित चैनलों को भी हम ब्लॉक कर सकते हैं। मकान या फिर किसी इलाके विशेष को बदलने के बावजूद डीटीएच के सेट-टॉप बॉक्स को ले जाया जा सकता है और इसे दूसरी जगह लगाने में भी महज 1,000 रुपये का खर्च आता है।
कई मूल्य-वर्धित सेवाएं भी इसमें शामिल हैं। गेम्स, बच्चों के शिक्षाजनित कार्यक्रम, धार्मिक कार्यक्रमों के पैकेजों एवं अन्य सेवाएं भी डीटीएच कंपनियां दे रही हैं। लेकिन उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का जो सबसे बड़ा सबब है, वह है डीटीएच की कीमतों का कुछ हद तक ज्यादा रहना।
डिश टीवी के मुख्य परिचालन अधिकारी सलिल कपूर के मुताबिक लोगों को डिश टीवी के लिए मना लेना उतना आसान नही है क्योंकि यहां सवाल तुलना का आ जाता है। जहां केबल ऑपरेटर महज 500 से 1,000 रुपये बतौर शुल्क वसूलते हैं वहीं डीटीएच की कीमतें उपभोक्ताओं की राह में रोड़े अटकाते हैं। इतना ही नही बल्कि केबल ऑपरेटर्स मरम्मत का खर्च भी 250 से 300 रुपया ही लेते हैं।
कोई अतिरिक्त चैनलों की सेवाएं भी लेना चाहता है तो डीटीएच की कीमत में पांच से 100 रुपये तक का इजाफा देखा जा सकता है। कंपनी ने संस्थापन के बाद की समस्याओं को दूर करने की कोशिश नही कर रही है। कंपनी इन चुनौतियों से निपटने के लिए बैक एंड परिचालनों को तेज कर रही है।
मसलन डिश टीवी ने बिक्री के बाद की सेवाएं मुहैया करवाने के लिए 25,000 लोगों को नियुक्त किया है। इसके 575 वितरक हैं जबकि कुल 45,000 डीलर हैं। टाटा स्काई की बात करें तो देशभर में इसके 30,000 डीलर एवं बहुभाषी कॉल-सेंटर हैं।
साथ ही इसके पास 3,000 सर्विस इंजीनियर भी हैं। इतना ही नही बल्कि टाटा स्काई देशभर के 60 बिल्डरों के साथ गठजोड़ भी कर रहा है ताकि खरीदार जब एक जगह से दूसरी जगह जाए तो उसे एंटेना संस्थापित करने में कोई परेशानी न हो।