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जून तिमाही में है अर्थव्यवस्था की वापसी की उम्मीद

Last Updated- December 09, 2022 | 9:12 PM IST

जहां वर्ष 2008 भारतीय और वैश्विक बाजारों के लिए बहुत बुरा रहा, वहीं 2009 की शुरुआत भारत के कारोबारी जगत के लिए और भी खराब रही है।


इससे पहले कि नए साल में बाजार कुछ सुधर पाता, देश में अब तक के सबसे बड़े कारोबारी घोटाले की पोल खुल गई है। मांग में कमी आई है और अर्थव्यवस्था की हालत भी खराब है। ऐसे में हमने मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक रामदेव अग्रवाल से बाजार की हालत पर चर्चा की।


विशाल छाबड़िया को दिए गए साक्षात्कार में अग्रवाल ने तीसरी तिमाही के नतीजों से जुड़े मसलों पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हाल में सरकार और आरबीआई ने जो कदम उठाए हैं, उनका क्या असर पड़ेगा, आने वाले दिन बाजार के लिए कैसे रहेंगे और निवेश की क्या संभावनाएं रहेंगी।

इसके अलावा कई और मसलों पर उनसे विस्तार से चर्चा की गई। पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश:


सत्यम मामले में आपकी क्या राय है?

यह धोखाधड़ी का मामला है और इसका उद्योग जगत, सरकार या फिर पूरे देश से कुछ लेना देना नहीं है। अब तो सरकार ने भी इसमें हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है।

इस पूरी घटना में सबसे अच्छी बात यह रही है कि इससे ग्राहकों को कोई नुकसान उठाना नहीं पड़ा है और न ही इस मामले में बैंकों को कोई घाटा हुआ है।


इस फर्जीवाड़े का सीधा असर शेयरों पर ही पड़ा है। अगर किसी के पास सत्यम के शेयर हैं तो वह इन्हें बेच कर बाहर निकल जाए।

तीसरी तिमाही में सबसे कमजोर पक्ष कौन से रह सकते हैं और किन क्षेत्रों से सबसे अधिक हैरानी हो सकती है?

शायद बैंक सबसे हैरान करने वाला क्षेत्र बन कर उभरेगा। दूरसंचार का भी हाल अच्छा नजर आ रहा है।

रुपये के कमजोर पड़ने से आईटी का हाल भी बेहतर रहने की उम्मीद है। पर वाहन, अचल संपत्ति, रिटेल, धातु और तेल तथा गैस के लिए आने वाले दिन मुश्किलों भरे हो सकते हैं।

ईबीआईडीटीए स्तर पर मुनाफा 1 फीसदी और कुल 6 फीसदी घट सकता है। बिक्री में साल दर साल 11 फीसदी की तिमाही विकास दर दर्ज की जा सकती है।

सरकार और आरबीआई ने जो कदम उठाए हैं, क्या वे कारगर रहेंगे?

सरकार ने जो पैकेज उपलब्ध कराए हैं उनसे नकदी बढ़ेगी और रुपये का मूल्य कम करने के लिए भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में कुछ और कदम उठाए जाएंगे, हो सकता है कि ऐसा नई सरकार के आने के बाद हो।

पर हालात को वापस पटरी पर लाने में कुछ समय तो लगेगा ही। अर्थव्यवस्था में वापस तेजी लाने के लिए जरूरी है कि सस्ती दरों पर लोगों को ऋण मिल सके।

मौजूदा माहौल में लोगों का विश्वास घटा है और मांग में भी कमी आई है। क्या ये प्रमुख मसले नहीं हैं?

उपभोक्ताओं की ओर से मांग में कमी आई है तो आप इस मांग को कैसे बढ़ाते हैं, यह महत्वपूर्ण है। साथ ही आपकी परियोजनाओं में भी लोगों का विश्वास कायम होना जरूरी है।

किसी भी परियोजना में निवेश तभी सही माना जा सकता है जब रिटर्न में केवल 3 से 4 फीसदी का ही अंतर हो। अगर ऐसा होता है तो कोई उद्यमी 14 से 15 फीसदी का रिटर्न कमा सकता है। और अगर 14 से 15 फीसदी की दर पर ऋण मिल रहा हो तो ऐसे में मुनाफा कमाना आसान नहीं होता है।

पर अगर आप 10 फीसदी की दर पर पैसे जुटा पा रहे हैं तो फिर रिटर्न भी बेहतर मिलता है और निवेश करना तो आसान हो ही जाता है। इससे रोजगार और तनख्वाह पर भी असर पड़ता है।

जो कदम उठाए गए हैं उनका असर कब से दिखना शुरू होगा?

इस तिमाही में बहुत अधिक असर पड़ने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। अगली तिमाही से हालात सुधरने के आसार हैं। पर मुझे लगता है कि अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त नहीं होती है तो अप्रैल से हालात में स्पष्ट सुधार दिखने लगेंगे।

पर ऐसा तब ही हो सकेगा जब सब कुछ सामान्य हो। हम हाल ही में निर्यात में 11 फीसदी की गिरावट देख चुके हैं और अगर इससे भी बुरे दिन आते हैं तो कुछ भी कहना मुश्किल होगा।

क्या आपको लगता है कि 2009 में बाजार सुधरने लगेगा या फिर कम से कम अपने निचले स्तर को छू लेगा?

जहां तक भारतीय शेयर बाजारों की बात है तो मेरा मानना है कि सबसे खराब दौर गुजर चुका है।

हमने 7,700 से 8,000 अंकों के बीच का स्तर देखा है जिसे निचला स्तर कह सकते हैं। अगर बाजार 7,700 अंक के स्तर से भी नीचे चला जाता है तो यह बड़ी हैरानी वाली बात होगी।

विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में कब लौटने लगेंगे?

जैसे ही मुद्रा अवस्थिति का खतरा टलने लगेगा और महंगाई का ग्राफ दोबारा ऊपर चढ़ने लगेगा, अतिरिक्त नकदी की मांग से दूसरी संपत्तियों का हाल सुधरेगा। इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है, हो सकता है कि विदेशी निवेशक 6 से 8 हफ्तों में ही लौटने लगें।

आने वाले एक साल में कमोडिटी के शेयरों का हाल कैसा रहेगा?

कमोडिटी के लिए अभी और बुरे दिन आ सकते हैंपर जहां तक कमोडिटी शेयरों की बात है तो इनमें काफी गिरावट आ चुकी है और थोड़े समय बाद इनमें फिर से सुधार देखने को मिल सकता है।

First Published - January 11, 2009 | 9:36 PM IST

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