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बैंकों के मार्जिन पर बन सकता है दबाव, नकदी की तंगी के बीच जमा मांग बढ़ी

देनदारियों (जमा राशि) की लागत बढ़ती जा रही है जबकि ऋण दर स्थिर हो चुकी है

Last Updated- July 05, 2024 | 10:00 PM IST
बैंकों के मार्जिन पर बन सकता है दबाव, नकदी की तंगी के बीच जमा मांग बढ़ी , Cost of deposits to weigh on banks' margins in Q1

बैंकों का जून 2024 में समाप्त तिमाही (वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही) में मार्जिन घटने की आशंका है। इसका कारण नकदी की तंगी के बीच जमा की मांग बढ़ना है। हालांकि ब्लूमबर्ग के विश्लेषकों ने सूचीबद्ध बैंकों के शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 14.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया है। अनुमानों के अनुसार बैंकों की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) यानी ब्याज आय में से ब्याज की लागत घटाने के बाद होने वाला राजस्व, सालाना आधार पर 11.9 फीसदी बढ़ सकती है।

तिमाही आधार पर जमा राशि की लागत बढ़ने से एनआईआई में 4.8 फीसदी और शुद्ध लाभ में छह फीसदी की कमी आने का अनुमान है। विश्लेषकों का अनुमान है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 25) की पहली छमाही में बैंकों में जमा खाते के पुन: मूल्य निर्धारण से मार्जिन पर दबाव बने रहने की आशंका है।

जेएम फाइनैंशियल ने एक रिपोर्ट में बताया, ‘जमा राशि की लागत पहले की तिमाहियों के आधार पर धीरे-धीरे ही सही बढ़ रही है। हम यह अनुमान लगाते हैं कि जमा दरों के मामले में सिस्टम संभवत अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इसका वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में शुद्ध ब्याज मार्जिन पर असर पड़ने की आशंका है। लिहाजा इस पूरे क्षेत्र में एनआईआई की गति नियंत्रित रहेगी।’

केयर ऐज रेटिंग्स के अनुसार वाणिज्यिक बैंकों की बकाया ऋण दर और बकाया जमा दर मई 2024 में 2.89 फीसदी थी और इसमें मासिक आधार पर एक आधार अंक की कमी आई। इससे यह दर नौ साल के निचले स्तर पर पहुंच गई।

बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि देनदारियों (जमा राशि) की लागत बढ़ती जा रही है जबकि ऋण दर स्थिर हो चुकी है। इससे एनआईएम और स्प्रेड पर दबाव पड़ना जारी है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का ऋण-जमा अनुपात (एलडीआर) कम होने के कारण मार्जिन स्थिर रहने की उम्मीद है।

हालांकि कर्ज वृद्धि के मामले में गति जारी रहने की उम्मीद है लेकिन इससे धन जुटाने में अंतर बढ़ने से चिंता बढ़ी है। इस हफ्ते की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बैंकों की प्रमुखों की बैठक में ऋण-जमा राशि में बढ़ती खाई पर चिंता जताई थी। इससे पहले नियामक ने बैंकों के बोर्डों को बिजनेस प्लान पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था।

First Published - July 5, 2024 | 10:00 PM IST

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