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नई कारोबारी पहल के लिए मौजूदा समय है उपयुक्त

Last Updated- December 10, 2022 | 8:39 PM IST

माधवी पुरी बुच को जल्द ही आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की प्रबंध निदेशक के रूप में 50 दिन पूरे हो जाएंगे।
सिध्दार्थ के साथ साक्षात्कार के दौरान बुच ने कहा कि उन्होंने अपने लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उनमें से कुछ को पूरा करने में वे सफल रही हैं। साथ ही बुच ने कहा कि बाजार की मौजूदा स्थिति का इस्तेमाल वे अपने कारोबार में नवीनता लाने में कर रही हैं। पेश हैं साक्षात्कार के प्रमुख अंश:
क्या आपको अभी कारोबार की रफ्तार कुछ धीमी नहीं लगती?
नहीं, रफ्तार धीमी नहीं है। कारोबार का रुख विभिन्न दिशाओं की ओर रहा है। बाजार में जब कारोबार अपने उफान पर रहता है तो आप उस दौरान अपना समय और ऊर्जा उन परियोजनओं पर लगाते हैं जिन पर आप काम कर रहे होते हैं। मौजूदा समय की बात करें तो नए प्रयोगों और रणनीति बनाने का यह उपयुक्त समय है।
ऐसे में ग्राहक भी नए कारोबारों में निवेश करने के अपने विकल्प खुले रखते हैं। आने वाले कुछ दिनों में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की तरफ से आपको कुछ नई चीजें देखने को मिल सकती हैं।
आप किस तरह के नए प्रयोगों की योजना बना रही हैं?
हालांकि बारीकी से इस पर कुछ कहने की बजाय मैं यह कहना चाहूंगी कि संस्थागत ब्रोकिंग कारोबार में किए जा रहे शोध में आपको कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अनिश्चितता की स्थिति में जोखिम प्रबंधन भी तेज हो जाता है। जहां तक कॉर्पोरेट फाइनैंस की बात है तो बाजार उस हिसाब से अलग है और डेट और इक्विटी की तुलना में ज्यादा नई चीजें देखने को मिल सकती हैं।
बाजार की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो टाटा स्टील का प्रदर्शन बढ़िया रहा है और सेंसेक्स भी 9,000 अंकों के करीब है। क्या माना जा सकता है कि स्थिति में कुछ सुधार हो रहा है?
बाजार में कारोबार और वास्तविक अर्थव्यवस्था को अलग से देखने की जरूरत है। वास्तविक अर्थव्यवस्था पर नजर दौडाने के लिए आपको दूसरा नजरिया अपनाना होगा क्योंकि जिस हिसाब से बाजार आगे बढ़ता है, उससे यह बिल्कुल अलग होता है। अभी भी बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों का काफी निवेश पडा है और इस क्षेत्र के निवेशकों को जब भी नए फंड हाथ लगेंगे, बाजार में कारोबार बढिया होगा।
वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव पर बाजार की निर्भरता काफी होती है। हालांकि बाजार और वास्तविक अर्थव्यवस्था के संबंध को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन वास्तविक अर्थव्यवस्था की निर्भरता वैश्विक पटल पर हो रहे घटनाक्रमों पर बहुत कम होती है। हमें लगातार देखने को मिल रहा है एक निश्चित कीमत पर विभिन्न उद्योगों का विकास हो रहा है।
यहां तक की सीमेंट निर्माता कहता है कि उसके कारोबार का विकास अब दूसरी श्रेणी और तीसरी श्रेणी के शहरों में मांग के बढ़ने के कारण हो रहा है। जहां कहीं भी कीमतों का स्तर तार्किक लगता है वहां अक्सर हमें विकास होता नजर आ रहा है।
रेटिंग का विदेशी संस्थागत निवेशकों पर क्या असर होगा?
कुछ ऐसे लोग होते हैं जो रेटिंग एजेंसी द्वारा दी गई रेटिंग के आधार पर खरीदारी करते हैं जबकि कुछ लोग ऐसा नहीं करते हैं। रेटिंग एक तकनीकी चीज है लेकिन ऐसे लोग जो भारत में निवेश करने की चाह रखते हैं, उनकी राह में यह रुकावट नहीं बनेगी।
बाजार में कंपनियों के मौजूदा शेयर भाव अभी आपको कैसे लग रहे हैं?
बड़ी कंपनियों की बात करें तो उनके बारे में एक बुनियादी बात यह कही जा रही है कि वे मौजूदा वित्तीय संकट को असानी से झेल लेंगी और देर-सबेर उनके कारोबार की भरपाई हो ही जाएगी।
कई निवेशक मौजूदा कारोबारी हालात को काफी दिलचस्प मान रहे हैं। कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं जिनके बारे में धारणा है कि वे मंदी की शिकार हो सकती हैं। इन कंपनियों को अभी निवेशकों का विश्वास  हासिल करने में लंबा समय लग सकता है।

First Published - March 19, 2009 | 9:18 PM IST

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