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Treasury yield: नए मानकों से बैंकों के ट्रेजरी लाभ में आई गिरावट

सरकारी बॉन्ड यील्ड में नरमी के बावजूद निवेश मूल्यांकन और वर्गीकरण दिशानिर्देशों के बदलाव से ट्रेजरी लाभ पर असर

Last Updated- August 06, 2024 | 10:26 PM IST
RBI fine on banks

निवेश पोर्टफोलियो के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संशोधित मानक 1 अप्रैल 2024 से लागू होने के बाद वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में बैंकों का ट्रेजरी लाभ घटा है। सरकारी बॉन्ड यील्ड में नरमी के बावजूद ऐसा हुआ है।

करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी के प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘यील्ड में नरमी के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के दौरान ट्रेजरी लाभ कम रहा है। इसकी मुख्य वजह निवेश मूल्यांकन और वर्गीकरण दिशानिर्देशों में रिजर्व बैंक द्वारा किया गया बदलाव है। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक एएफएस पोर्टफोलियो में बढ़ा हुआ लाभ एएफएस रिजर्व में जाता है, वहीं हेल्ड फॉर ट्रेडिंग (एचएफटी) पोर्टफोलियो के मामले में प्रतिभूतियों का रोजाना उचित मूल्यांकन होता है और हानि या लाभ का समायोजन पीऐंडएल खाते में किया जाता है।’

वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 10 साल और 14 साल के सरकारी बॉन्डों का यील्ड 5 आधार अंक गिरा है, जबकि 30 साल के बॉन्ड का यील्ड 7 आधार अंक गिरा है। रेड्डी ने कहा कि वित्त वर्ष की शुरुआत में बैंकों को एचटीएम (हेल्ड टु मैच्योरिटी) और एएफएस श्रेणी के बीच एक बार की शिफ्टिंग की अनुमति दी गई थी।

यह बैंकों के लिए एक मौका था, जब वे एचटीएम से शिफ्ट करके बाजार में प्रतिभूतियों की बिक्री कर अपने लाभ का मुद्रीकरण कर सकते थे। उन्होंने कहा, ‘नए दिशानिर्देश लागू किए जाने के बाद बैंकों को सिक्योरिटीज की सालाना शिफ्टिंग की अनुमति नहीं है, जिससे उनके लिए अचानक तेज लाभ का मौका सीमित होगा। इसके अलावा नए दिशानिर्देशों के मुताबिक एचटीएम की बिक्री वित्त वर्ष की शुरुआत में एचटीएम के बकाया मूल्य के 5 फीसदी तक ही हो सकती है।’

रिजर्व बैंक के संशोधित मानकों के मुताबिक बैंकों को अपने पूरे बॉन्ड निवेश पोर्टफोलियो को 3 वर्गीकरणों में विभाजित करने की अनुमति है- हेल्ड टु मैच्योरिटी (एचटीएम), अवलेबल फॉर सेल (एएफएस) और फेयर वैल्यू थ्रू प्रॉफिट ऐंड लॉस (एफवीटीपीएल)। नए नियमों में हेल्ड फॉर ट्रेडिंग की मौजूदा सब कैटेगरी को अंतिम कैटेगरी यानी एफवीटीपीएल में शामिल किया गया है। ढांचे में इस बदलाव के बाद बैंकों को बोर्ड की मंजूरी और साथ-साथ नियामक की मंजूरी के बगैर अपने निवेश को कैटेगरी (एचटीएम,एएफएस और एफवीटीपीएल) के बीच नए सिरे से वर्गीकरण की अनुमति नहीं है।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) विजय श्रीवास्तव ने कहा कि इसके पहले बैंक अधिक यील्ड वाली प्रतिभूतियों को एचटीएम से एएफएस में स्थानांतरित कर देते थे और ऊंचाई पर बाजार में इसकी बिक्री और प्रॉपर्टी की ट्रेडिंग करते थे। निश्चित रूप से अगर आप ज्यादा यील्ड वाली प्रतिभूति को बेचते हैं तो निवेश पर आपका यील्ड नीचे आएगा। अब नए दिशानिर्देशों के कारण हमारे सहित सभी बैंकों ने शिफ्टिंग नहीं की है। इसकी वजह से हमारा यील्ड कायम है।

First Published - August 6, 2024 | 10:09 PM IST

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