ऐसे वक्त में जब कुछ ऑटो कंपनियों का मुनाफा घटकर आधा रह गया है, तो दो पहिया वाहन निर्माताओं की सेहत में बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है।
हालांकि, मुनाफा तो उनका भी कम हुआ है, लेकिन आर्थिक हालात के बदलने और लागत में कमी करने की उनकी कोशिश की वजह से आगे की राह उनके लिए रौशन नजर आ रही है।
इसका सबसे ज्यादा फायदा जिन कंपनियों को मिला है, उनमें प्रमुख है देश की दूसरी सबसे बड़ी दोपहिया निर्माता कंपनी बजाज ऑटो। मंदी के इस दौर में भी कंपनी ने मुनाफे और बाजार पर अपनी पकड़ छोड़ी नहीं है।
उत्साही आंकड़े
ऐसी बात नहीं है कि मंदी ने अपना असर नहीं दिखाया है। कम मांग की वजह से पिछले साल के मुकाबले बिक्री में कम से कम 31 फीसदी की गिरावट के बावजूद कंपनी ने अपनी कमाई और मुनाफा दोनों पर अपनी पकड़ जमाए रखी।
प्रति वाहन होने वाली शुध्द कमाई भी इस दौरान 20 फीसदी बढ़कर 40 हजार रुपये के स्तर पर आ गई। प्रति वाहन परिचालन लाभ भी 13 फीसदी बढ़कर 4,200 रुपये हो गया। लागत में कमी करने की उसकी कवायद भी रंग लाती नजर आई।
उसने अपने कर्मचारियों की तादाद में रिटायरमेंट और वीआरएस के जरिये दो तिहाई तक की कमी कर दी। उसने मुल्क भर में मौजूद अपने अहम डीलरों की तादाद को बढ़ाकर 200 कर दिया।
साथ ही, प्लांट को बंद करने की नीति का असर आंकड़ों पर दिखाई दे रहा है। परिचालन लाभ में 90 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा हुआ है। यह तीसरी तिमाही में चढ़कर 14.5 फीसदी के स्तर पर जा पहुंचा है।
वैसे, पिछले साल की तुलना में यह अभी 20 बेसिस प्वाइंट कम है। हालांकि, अगर आंकड़ों में ऐसी ही मजबूती जारी रही और कंपनी की रणनीति रंग लाई तो इस तिमाही का असर दूर तक होगा।
मध्य वर्ग पर फोकस
पिछले साल सितंबर में लॉन्च हुई प्लाटिना 125 को मिली कामयाबी से उत्साहित होकर कंपनी ने एक्सीड 135 को भी हाल में लॉन्च किया है। इसकी कीमत कंपनी ने 45 हजार रुपये रखी है।
साथ ही, वह अब अपनी प्रीमियम क्लास बाइक डिस्कवर और पल्सर पर भी पूरा जोर डाल रहा है। 125 सीसी या इससे ज्यादा की बाइक्स ही अब कंपनी को उसकी कुल आय का 63 फीसदी हिस्सा देते हैं।
पिछली तिमाही में यह आंकड़ा सिर्फ 56 फीसदी का हुआ करता था। अगले कुछ महीनों में कंपनी पांच नई बाइक्स को लॉन्च करने वाली है, जो उच्च वर्ग से ताल्लुक रखेंगी।
दूसरी तरफ भी है ध्यान
इसके अलावा, कंपनी ने निर्यात के क्षेत्र में भी अच्छा काम किया है। यह वह अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाने की पूरी कोशिश कर सकती है। उत्पादन के मामले में कंपनी ने पिछली कुछ तिमाहियों में 40-50 फीसदी का इजाफा दर्ज किया है।
ऐसे में उसकी कुल बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी 44 फीसदी की रही है। विश्लेषकों का कहना है कि विश्लेषकों का कहना है कि लैटिन अमेरिका के बाजार में गिरावट आ रही है। दूसरी तरफ विकास की रफ्तार अच्छी खासी बनी हुई है, लेकिन इस तरह ज्यादा दिनों तक इसके रहने की उम्मीद नहीं है।
मुनाफे की रफ्तार देसी और विदेशी बाजार के लिए एक जैसी रहने की उम्मीद है, लेकिन रुपये की सेहत में आई कमजोरी निर्यात के पक्ष में पलड़े को भारी कर सकती है।