बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण(आईआरडीए) द्वारा बीमा कंपनियों को वेंचर कैपिटल(वीसी)फंडों में निवेश की अनुमति मिलने से इन फंडों की चांदी हो गई है।
हालांकि अब से 12 माह बाद ही बीमा कंपनियां इनमें निवेश कर सकेंगी। ज्ञातव्य है कि शुक्रवार को बीमा नियामक ने बीमा कंपनियों को वीसी फंड में कुल निवेश की जानी पूंजी का 3 फीसदी या फिर फंड के आकार का 10 फीसदी जो भी कम हो, तक निवेश की अनुमति दे दी थी।
सामान्य बीमा कंपनियों के लिए यह सीमा उनकी निवेश परिसंपत्ति का 5 फीसदी और फंड के आकार का 10 फीसदी तक है। बीमा नियामक की इस अनुमति से इन बीमा कंपनियों की 70,000 करोड़ रुपये की एसेट अंडर मैनेजमेंट(एयूएम) में से 21,000 करोड़ रुपये इस क्षेत्र में लगा सकेंगे।
कैनान पॉर्टनर के सीईओ अलोक मित्तल ने बताया कि यह एक अच्छा कदम है। लेकिन इससे तत्काल किसी फायदे की उम्मीद नहीं है। उधर, मोतीलाल ओसवाल के डॉयरेक्टर और सीईओ विशाल तुलसियान ने बताया कि यह बीमा कंपनियों के लिए देश में तेजी से बढ़ते वीसी क्षेत्र में हिस्सेदारी का अच्छा अवसर है।
एक समय के बाद अधिक से अधिक बीमा कंपनियां वीसी फंड में निवेश करेंगी। जेडीजी वेंचर के सीईओ सुधीर सेठी ने बताया कि इस समय दुनियाभर में बीमा कंपनियां, पेंशन फंड और सरकारी फंड वीसी फंड में निवेश कर रहे हैं। इसकी सबसे अहम बात यह है कि पूंजी का प्रवाह घरेलू बाजार के बजाय बाहर से हो रहा है।
मुंबई स्थित वीसी फंड फ्रंटलाइन स्ट्रेटजी के अनुसार इस कदम से घरेलू फंडों के लिए धन की उपलब्धतता बढ़ जाएगी। एक बाजार में आने वाले फंड के डॉयरेक्टर सुप्रतीम बसु ने बताया कि बीमा कंपनियों का पैसा इन फंडों में लगने में छह से 12 माह का समय लग सकता है।
सिडबी वेंचर कैपिटल के सीईओ अजय कुमार कपूर बीमा कंपनियां पहले ही निवेश कर रहीं हैं। इस नियमावली से वह अपना कुछ फंड होल्ड बैक कर सकेगा। 2008 की पहली छमाही में 51 सौदों में वीसी फंडों ने 34 करोड़ डॉलर का निवेश किया था।